छत्‍तीसगढ़ी आलेख: पहिली सुमरनी तोर... सुशील भोले

छत्तीसगढ़ के परब-तिहार मन म भादो महीना के अड़बड़ महात्तम हे। ए महीना ल शिव-पार्षद मन के महीना कहे जाथे काबर के भगवान शिव जेला इहां के लोकभाखा म बूढ़ादेव, या ठाकुर देव कहे जाथे, वोकर तीन प्रमुख पार्षद या गण मन के उत्पत्ति ये भादो महीना म होए हे। भादो के अंधयारी पाख के छठ तिथि म स्वामी कार्तिकेय के जनम जेला इहां कमरछठ के रूप म मनाये जाथे। भादो अमावस्या के नंदीश्वर के जनम जेला इहां पोरा के रूप म मनाये जाथे, अउ भादो अंजोरी पाख के चउथ तिथि के गणनायक गणेश के जनम होये हे। एकरे सेती ए तिथि ले पूरा दस दिन तक उत्सव के रूप म मनाए जाथे।

हमर धरम ग्रंथ मन के पढ़े ले अइसे जानबा मिलथे के गनेस के उत्पत्ति माता पारवती ह अपन सरीर के मइल ले करे हे। एक पइत उन घर म अकेल्ला रहिन हें त नहाए के बेरा घर के पहरादारी करे खातिर एक गण (सेवक) के आवश्यकता परीस। एकरे सेती उन अपन सरीर के मइल ले एक ठन मुरती बना के वोमा जीव के संचार कर दिस अउ वोला अस्त-शस्त्र धरा के घर के दरवाजा म खड़ा करके नहाए ले चल दिस। अतके म भगवान शंकर आइन। तब गनेस वोला घर भीतर खुसरन नइ दिस। भोलेनाथ वोला अब्बड़ समझाइस- बुझाइस, लइका आय कहिके भुलवारीस-चुचकारीस अउ डेरवाइस घलोक। फेर गनेस मानबे नइ करीस भलुक वोकर संग लड़े-झगरे ले धर लेइस त रिस के मारे शंकर जी ह गनेस के टोटच ल काट दिस अउ घर भीतर खुसरगे।

पारवती जब नहा-धो के बाहिर निकलीस त भोलेनाथ ल ठाढ़े पाइस। वो ह अकचकाके पूछथे तुमन ल दरवाजा म कोनो छेंकीस नहींं का? भोलेनाथ कहिन- एक झन उतलइन लइका छेंकत रिहीसे फेर मैं वोला मार के भीतर आगेंव। अतका म पारवती ह गनेस के कटे मुड़ ल धर के रोए लागीस अउ वोला जीयाए खातिर गोहराए लागीस। आखिर म भोलेनाथ ल वतकेच जुवर मरे एकठन हाथी के मुड़ी ल मंगवा के गनेस के सरीर म जोर के वोमा जीवन के संचार करे बर लागीस। अइसे किसम गनेस ल एक नवा सिर अउ नवा नांव मिलिस-गजानन। गनेस जी अपन जन्म काल ले ही बड़ गुनीक अउ विद्धान रिहीसे तेकरे सेथी जब वोकर अउ स्वामी कार्तिकेय के बीच पृथ्वी के परिक्रमा करे के बात उठिस त वो अपन माता-पिता के परिक्रमा कर के उंकर आगू म हाथ जोड़ के बइठगे। स्वामी कार्तिकेय जब मयूर म बइठे-बइठे पृथ्वी के परिक्रमा करके आइस अउ गनेस ल माता-पिता के आगू हाथ जोड़ के बइठे देखिस त ये सोच के खुश होगे के शर्त के मुताबिक प्रथम पूज्य के अधिकार अब वोला मिल जाही काबर ते गनेस तो पृथ्वी के परिक्रमा करेच नइए। फेर जब गनेस ह अपने तर्क शक्ति द्वारा ए बात ल साबित करीस के माता-पिता के परिक्रमा ह पृथ्वी के परिक्रमा के समान होथे अउ वोला तो मैं ह कब के कर डरे हौं, त भगवान भोलेनाथ वोला समस्त देवमंडल म प्रथम पूज्य के अधिकार (वरदार) दे दिस। 

अउ संग म जतका भी गण-पार्षद (सेवक) रिहिस हे तेकर मन के मुखिया बना दिस। एकरे सेती उनला विघ्न विनाशक के संगे-संग गणनायक माने गण मनके मुखिया घलोक कहे जाथे। सही बात आय ज्ञान ह हमेशा श्रेष्ठ होथे, बड़े होथे। तर्क अउ विवेक के द्वारा ही जम्मो किसम के संकट या विघ्न ले उबरे जा सकथे। भगवान गनेस ल एकरे सेती विघ्न विनाशक कहे जाथे, काबर के उन अपन ज्ञान अउ तर्क शक्ति के द्वारा जम्मो किसम के विघ्न-बाधा मन ले मुक्ति देवाथे। 

भगवान गनेस के जन्मोत्सव ल पूरा देस के संगे-संग हमर छत्तीसगढ़ म पूरा  दस दिन तक पूरा उल्लास के साथ मनाए जाथे। जगा-जगा पंडाल बनाके उंकर प्रतिमा स्थापित करे जाथे। रोज संझा-बिहनिया उंकर पूजा करे जाथे अउ कई किसम के सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन करे जाथे। भारत म प्रारंभ होए स्वतंत्रता आंदोलन म घलोक गनेस के सार्वजनिक पूजा के बड़का योगदान हे। एकर बहाना पूरा पारा-मोहल्ला के मनखे एक जगा सकलावंय अउ भगवत चरचा के संगे-संग देस के आजादी के चरचा घलोक करंय। अब तो सहर के संगे-संग गांव-गंवई म घलोक बड़े-बड़े प्रतिमा के स्थापना ए अवसर म करे जाथे। कतकों अकन सामाजिक अउ सांस्कृतिक संस्था मन गनेस उत्सव के स्थल सजावट अउ अनंत चौदस के बाद निकलने वाला विसर्जन झांकी के सजावट ऊपर  ईनाम घलोक देथें। 
----------0----------
  • कृति- भोले के गोले
  • लेखक- सुशील भोले
  • विधा- निबंध, व्‍यंग्‍य, आलेख, कहानी
  • भाषा- छत्‍तीसगढ़ी
  • प्रकाशक- वैभव प्रकाशन
  • संस्‍करण- 2014
  • कॉपी राइट- लेखकाधीन
  • आवरण सज्जा - दिनेश चौहान
  • सहयोग- छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग छत्‍तीसगढ़ शासन
  • मूल्‍य- 100/- रूपये

वरिष्ठ साहित्यकार सुशील भोले जी का संक्षिप्त जीवन परिचय-

प्रचलित नाम - सुशील भोले
मूल नाम - सुशील कुमार वर्मा
जन्म - 02/07/1961 (दो जुलाई सन उन्नीस सौ इकसठ) 
पिता - स्व. श्री रामचंद्र वर्मा
माता - स्व. श्रीमती उर्मिला देवी वर्मा
पत्नी- श्रीमती बसंती देवी वर्मा
संतान -       1. श्रीमती नेहा – रवीन्द्र वर्मा
                 2. श्रीमती वंदना – अजयकांत वर्मा
                 3. श्रीमती ममता – वेंकेटेश वर्मा
मूल ग्राम - नगरगांव, थाना-धरसीवां, जिला रायपुर छत्तीसगढ़
वर्तमान पता - 41-191, डॉ. बघेल गली, संजय नगर (टिकरापारा) रायपुर छत्तीसगढ़
शिक्षा - हायर सेकेन्ड्री, आई.टी.आई. डिप्लोमा 
मोबाइल – 98269-92811  

प्रकाशित कृतियां-

1. छितका कुरिया (काव्य  संग्रह)  
2. दरस के साध (लंबी कविता)
3. जिनगी के रंग (गीत एवं भजन संकलन)
4. ढेंकी (कहानी संकलन)
5. आखर अंजोर (छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति पर आधारित लेखों को संकलन)
6. भोले के गोले (व्यंग्य संग्रह)
7. सब ओखरे संतान (चारगोडि़या मनके संकलन)
8. सुरता के बादर (संस्मरण मन के संकलन)

0 Reviews