छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य: जब मैंहा रिटायेर होएंव

जब मैंहा रिटायेर होएंव

मै। नवकरी ले रिटायेर होएव तब बड़ कुलकत रेहेंव, महूं ला सब झन सही नरियर अऊ साल संग गुलाल अबीर लगा के बड़ सनमान करहीं कहिके। मोर 41 बछर के नवकरी ला ईमानदारी अऊ निसठा ले करे रेहेंव तेखर बड़ई करहीं। अऊ मैं अपन उपरछवां बड़ई ल सुन के मोर भीतरी के पीरा ला भूला के बड़ खुस होतेंव। मैं जानत हव सरकारी नवकरी ल कतका ईमानदारी ले करें जाथे तेन ला। कतको नवकरिहा मन ला जानथंव जउन मन अपन नवकरी ला कतका सरदधा ले करथें तउन ला। देखे मा आथे के जउन सरकारी नवकर लपरवाही ले अपन डिपटी करथे तउने मन ला परमोसन अऊ सममान दे जाथे। मोर मेर तो अइसन गुने नई हे। 

तेखरे सेती मोर नवकरी छः महिना बांचे रीहीस तब परमोसन होइस। धन मोर भाग, काबर कि दुसर बिचारा मन रिटायेर होगें एके पद मा रहिके। मैं संस्था मा रहात ले नंवा अवइया संगवारी अऊ रिटायेर होवईया मन के आदर-सममान करेके जम्मों वेवसथा ला करंव। जाने-माने मिही ऐके झन ये झमेला ला करे के ठेका लेय हौं तइसे। मोला अनभो होइस अब लोगन मा मानुस मन के संबेदना मरत जात हे। हद् तो ये होइस कि अधिकारी मन मोला रिटायेर होय के सूचना आज ले नई दिन। ये तो सरकार के बात ये, मोर घर परवार वाला मन सरकार ले जादा बे फिकर होगे। जउन पाठक मन सरकारी वनकरी ले रिटायेर होंगे हें, तउन मन जानथे, रिटायेर होय के  बेरा कइसे लागथे तेन ला। महूं तो मनखे हरंव, मोरो मन मा कांही होइस होही। में ओ बेखत अकेल्ला रेहेंव, मोर पीरा ला कोन ला बतातेंव ? अकेल्ला भोगेंव। ये तो सासवत सिरतोन ये-जउन आए हे तउन एक दिन जाथे। ओइसने सरकारी नवकर मन सेवा नियम के मुताबिक एक दिन रिटायेर होथेच्च। 

नवकरी के शुरू ले रिटायेर तक के बने - गिनहा, सुख-दुख, मीठ अऊ अम्मट जम्मों हा सिनिमा के रील सहीक मोर आंखी मा झुले लगिस। अइसे लगिस काली के तो बात आय तइसे।  41 बछर कइसे नहाक गे, थोरको गम नई पाएंव। मोर ले जादा मोर लईका मन ला संसो होगे, अब कइसे करबो कहिके।

परवार मा अइसे उदासी छागे में मरगेय हंव तइसे। में ओ मन ला उदास देखेंव त, अपन पीरा ला घुटक के, अऊ ठट्ठा मा मुस्कावत समझायेंव- तुमन फोकट के काबर दुख मनाथव, सरकारी करमचारी मन ला तो एक दिन रिटायेर होयेच्च ला परथें। जइसे कोनों मर जथे त ओकर घर भर के मन छाती पीट-पीट के रोथें। भला उंखर छाती पीटे ले मर गेहे तउन हा फेर जी जही ? नइ तो जीए। फेर का करबे रोय के रिवाजे हे। अऊ सुआरत घलो रहिथे। अइसने मोरो गोसइन अऊ लइका मन उदास बइठे रहांय। ऊंखर उदासी के कारन ला, में जानथंव-जब रिटायेर नई होय रेहेंव ता आनी-बानी के पहिरई-ओड़हई, खवई-पीअई चलय अब सब हा खंगता हो जही। 

गोसइन के आनी-बानी फरमइस हा पूरा होवत रिहीस। घेरी-बेरी मइके जवई। दाई-भाई, पूज-भतीज बर अकताहा के अकताहा। कांही जीनीस ला मोलियाई, अब कांहा पाही। सोन-चांदी, रूपिया-पईसा ल मइके वाला मन ला दे बर एक गोड़ मा ठाढ़े रहाय। अऊ मोर भाई-भतीजा मन ला दे-ले बर, बने-बने खवाय-पीयाय बर ढेरियाय। अब पता चलही ओमन ला। ये संसार सुआरत के आय। संगी-साथी, लाग-परवान, पूज-भतीज, सब बने-बने के साथी यें। नवकरी मा रहात ले सब मोहलो-मोहलो करथें, रिटायेर के होय ले उही मनखे मन सोज मुंह गोठियाय नहीं। संग मा काम करइया मन घलो दफ्तर के लिखा-पढ़ी ला करंय नहीं। अइसे हे, ओइसे हे कहिके टरकाथें। 

ओकरे सेती मैं जानथंव, आज-काल नंवा सिसटाचार चलत हे। तेखर पालन करे बिगन कखरो बूता होबे नई करय। पहिली मैं सम्मानित रेहेंव, अब उंखर नजर मा गंवार लगत हावंव। मैं तो मनोबिगयान पढ़े-पढ़ाय रेहेंव। उखर मन के, गोठ ला जान डरेंव। ओमन ला मैं देखा देंव मैं कतका सिसटाचार वाला हौंव तेन ला। मोर सब काम मन तुरते होय लगिस। दुसर संगवारी मन अचरित करथें-अरे तोर काम कइसे झपकीन होगे जी ?  हमन ह तो तोर ले आगू के रिटायेर होय हन, 

आज ले हमर काम नइ होय हे। आज-काल के सिसटाचार ला जेन जानय नहीं तेन ला कतेक सबझाबे। मोर गोसइन ला आज-काल के ये सिसटाचार हा फुटे आंखी नई सुहावय। कहिथे-सरकार हा ओमन ला का के तरखा देथे ? काम करे बर उंखर जांगर टूट जथे ? में किथव-अरे बहीं। ते  समझस नहीं आज-काल ये सिसटाचार हा बहुत अच्छा हे। येकर पालन करइया मन के बड़े-बड़े काम चुटकी बजावत हो जथे। आज तोर हात मा जेन आय हे तेन हा फोकट मा नई आय हे। येकर बर सिसटाचार के पालन करे हौं, तब ते ये सुख ला झपकीन पाले। ते सोंचत होबे अधिकारी-करमचारी मन फुल ददा होही कहिके। जइसे बघवा ला मनखे के लहू के चिखा मिल जथे ता आदमखोर हो जथे। तइसने एहू मन होथे। मोर अतका गोठ ला सुन के गोसइन के रिस हा ऐड़ी ले तरूआ मा चघगे।  

आनी-बानी के बखाने ला धर लिस जारे अजरहा हो, तहूं मन रिटायेर होहू ता भगवान हा तुंहर करनी के फलला देही। लुचपत खोर मन जीनगी म कभू सुख नई पावंय। इंकर पाप ला उंकर लोग-लईका मन ला भोगे ला परही। आज-काल रोज दिन एक ले सेख मोर सुभ चिंतक बनके मोला सुलाव देवइया आथें। किथें-देख गुरूजी तें तो रिटायेर होगे तोला जउन पइसा मिले हे तउन ला हमर ऐदे कम्पनी मा जमा करा दे ओ पइसा हा दुगुना मिलही। आज काल के लोग लईका मन तोला बुढत काल मा का पोसही ?  तोर मेंर पइसा रहीत उही काम आहीं। जीवन बीमा वाला मन अलग फेरी मारत हें। कहिथें-तैं मर-हर जबे त तोर लोग-लईका मन ला अतका-अतका पइसा मिलही। 

तें जम्मों पइसा ला इही मा डार दे। येती बर बहु-बेटा मन मुंह ला फुलोय मोला दुसमन बरोबर देखथें। ओ मन काहात होहीं रिटायेर होय हे, पइसा ल पोटारे हे हमन ल कब देही ? देही धुन नई देही, देतिस ते हमू मन काहीं-कांही लेतेन-देतेन, ओकर चिनहा तो रहितीस जइसे कोनो मरत रहिथे त भांचा-भांची ममा के मरे के बाट जोहत रिथे। ता गोसइन घलो अब फुरसुत होगे, सबर दिन बेरा मा बंधाय रेहेंव, समें मा उठना समें मा खाना। आज-काल कांही कहिथंव त तुरते जुआब देथे- राह... न... डिपटी जाबे तेमा ? लउहा लेथस। अब मोर जोखा मा ढ़ेरियाय सहिक करथे। परवार मा सब के बेवहार मा बदलाहट देखथंव। सब झन ल अपन-अपन सुआरत के परे हे। थोर बहुत पाहीं ता ऊंकर आतमा हा सांति पाही। दीया हा जग ला अंजोर देथे, फेर ओखर पेंदी मा अंधियार रथे, तइसे मोर हाल हे।

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लेखक का पूरा परिचय-

नाम- विट्ठल राम साहू
पिता का नाम- श्री डेरहा राम साहू
माता का नाम- श्रीमती तिजिया बाई साहू
शिक्षा- एम.ए. ( समाजशास्‍त्र व हिन्‍दी )
संतति- सेवानिवृत्‍त प्रधानपाठक महासमुंद छत्‍तीसगढ़
प्रकाशित कृतियां- 1. देवकी कहानी संग्रह, 2. लीम चघे करेला, 3. अपन अपन गणतंत्र
पता- टिकरा पारा रायपुर, छत्‍तीसगढ़
वेब प्रकाशक- अंजोर छत्‍तीसगढ़ी www.anjor.online

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