छत्‍तीसगढ़ी कहानी : छवान परछी

छवान परछी

रूप कुमार ह बड़का साहेब आय तेन पाय के सरकारी बूता सूति म बिल्होराये रिथे। चपरासी होय चाही अधिकारी, बनिहार होय चाही मुख्तियारी, नौकरी नव के करे ले परथे। अपतकाल कस कभू नांगा पाथे त अपन नानूक खाप म साफर होके बेरा पहाथे। वहू दिन एक जुवार के पहाते सरकारी जूड़ा जोतावर ले छूटकारा पागे रिहिसे जेन दिन नदिया पूछा जाये के नेत घात बनईस। सुवारी सरिता, बेटा मुकुंद अउ बेटी सोनिया ह मन मतंग सरी सरेखा के संग रूप कुमार ल अगोरत रिहिसे। रूप कुमार के आते ड्राईवर ह जोरे जंगारे जम्मो जिनिस ल ऊंचा के तीन मंजला मकान ले निकरीस अउ चरसिलिया मोटर के पिछोत म मढ़ईस। मढ़ा के उहिच मेर खड़े ऊपर कोती ल देखिस। खुसियार- बांस कस डांग ऊंचहा ऊंचहा बिल्डिंग। बिल्डिंग के ऊपर उड़ियावत पड्री पल्हरा दिखिस। ड्राईवर ह मन म किहिस-मोर लोग लईका मन ह नानूक घर म रिथे त का होईस में ह त बड़े बड़े बिल्डिंग म बेरा पहाथंव। मोटर कार के मजा पाथंव। बढ़र अफसर के पारा म रिथंव, मोर ले भागमानी कोन?
ठउका रूप कुमार ह डउकी लईका के संग अपन तीन मंजला ले निकरीस अउ चरसिलिया मोटर म बईठीस। ड्राईवर ह अपन सीट म गीस अउ चालू करीस। थोरकेच बेरा म मोटर ह वीआईपी बस्ती ले निकल गीस। थोरकेच म साहर ले बहिरईस अउ डिह टोला के रावन म अमर गिस।
चरसिलिया ह नदिया पूछा के लकठा म गे पाय रिहिस अउ एक ठी पाछू चक्का ह पंचर होगे। रूपकुमार ह मोटर ले उतरत किहिस इही ल किथे दूब्बर बर दू असाड़। बादर घूमरत हे अउ अब पंचर। ड्राईवर किहिस- ठउर म त आगे हन साहब। सामान मन ल वोमेर अमरा देथंव। रूप कुमार किहिस- हब ले अमरा अउ येकर पंचर ल बनवा नइते इंहे फदक जबो।
ड्राईवर ह मोटर म लाने सामान ल धर के नदिया पूछा म अमरईस। चातर ठउर ल चतवार के चटई ल दसईस। ड्राईवर ह तुरते लहुटिस। रूप कुमार ह टेप रिकार्ड म गाना चलईस अउ लईका मन चिड़िया खेलइ म रम गे।
एक घंटा कइसे पहईस आरो नइ पईन। देखते देखत पल्हरा ह गूंझिया के करियागे रिहिसे। सरिता के जी धूकपूकईस। घेरी बेरी हिरक के देखत रिहिसे फेर ड्राईवर नइ दिखिस। रेहे नइ गिस त किहिस-अबक तबक पानी गीरईया हे। इंहा ले चल नइते दूरघट म पर जबो।
चारो झिन सकला करीन तलघस पानी टीपटीपईस। धर्रा पट्टी लकठा के एक ठी घर कोती गीन। घर के बाहिर म छवान परछी रिहिस। परछी म गीन तलघस पानी रदरदागे। चारो झिन ल हाय जी त लागिस। रूप कुमार किहिस- थेगहा त पागेन नइते बारागत हो जतीस। अब घंटो पानी गिरय  फरक नइ परय।
थोरकेच बेरा म घर गोंसईया फिरंता ह मुहाटी ले झांकिस। वोमन ल देख के बलईस-धूंक के सीपा मारही त फींज जहू ग, इही तनी आ जव। चारो झिन घर म निंगीन। फिरंता ह मचोली ल दसईस। रूपकुमार अउ लईका मन मचोली म बईठीन। सरिता ह अगुन छगुन करत रिहिसे तलघस फिरंता ह एक ठी टूटहा कुर्सी ल मढ़ा दिस। सरिता ह अनमनहा गत म बईठीस। थोकन मुंहाचाही होईस तहां फिरंता ह हूत पारिस- सिरवंतीन कती हस वो?
सिरवंतीन ह कुरिया कोती ले आवत आरो दिस- ओय। का होगे?
रूप कुमार मन ल देख के थेथमेरईस। फिरंता ह अढ़ोईस -बाबू मन पानी म अरहज गे हाबे, थोकन चहा बना डर। करिया चहा पीथो नइ बाबू?
रूप कुमार अउ सरिता ह संघरा बक्का फोरिस-अरे नइ लागय चाय वाय झन बना। पानी बने दमोरत रिहिस। धूका के संग सीपा तको मारत रिहिस। सरिता ल अईसे आकब होईस जइसे घर ह भोसक जही। तीस फूट ऊंचा मकान के रहईया बर फि रंता के छपरी ह दोंद म अरझे कस लागत रिहिस। थोकन मुहाचाही का होईस सिरवंतीन ह खिनहा कप अउ स्टील के गिलास म चहा लईस। रूप कुमार अउ सरिता ह एक दूसर ल देखिस तहां बरपेली कस कप उंचईस। फिरंता ह गिलास ल धरिस। सिरवंतीन ह तिखरीस-लईका मन तको पिही?
सरिता ह रट ले किहिस- न नई.. येमन चाय नइ पीयय। वोती ड्राईवर ह पंचर बना के मोटर म बइठे रिहिस। चारो मूड़ा ल खोजत रिहिस। फिरंता ह धुका ल अटकरत किहिस- इंहा आगेव त बांच गेव नइते पानी म चोरो बोरो हो जतेव।
पानी छोड़िस त ड्राईवर ह खोर म लईका मन ल खड़े देखिस तहां लकठा म अईस। रूपकुमार ल फिरंता ह असलग लागमानी कस लागीस। किहिस-आठ तारीख के तुमन हमर घर आहू। मोर लइका मुकुंद के बर्थ डे हे। खत्ता म आहू।
रूपकुमार ह हिरोईस। फिरंता ह हव किहिस अउ वोकर पता ल पूछ तको लीस। कार तक अमरईस। सगा जाये बरन रूप कुमार ह वो घर ले निकर के मोटर म बईठीस।
बुधवार के आठ तारीख परीस। मुंदरहच ले फिरंता के लईका ल बुखार रिहिस। सिरवंतीन ह ढेरिया दिस ? फिरंता ह गुनीस के साहब ह हमर मनके रद्दा देखही। सिरवंतीन ह गुनीस के बेरा पहागे बात बिसर गे। फेर दुनो का करय, लकठा के झोला छाप डाक्टर घलो नइ रिहिसे। बरपेली कस लईका ल साहर के डाक्टर कना लेगीस। अस्पताल ले निकरीन त फेर रूपकुमार कोती जीकर गिस। इहां आये के आये अकउहा वोकरो घर चल देथन। मान रिह जही। ऊपर कोती के करियावत पल्हरा ल एक घंव देखिस तहां वीआईपी रावन म रेंग दिस।
वीआईवी कालोनी काहत लागे। जबर जबर सुघ्घर बंगला। बांस कुसियार कस ऊंचहा मकान। फिरंता अउ सिरवंतीन ह अपन लईका ल पाये खोजत गिन। किसिम किसिम के कार मोटर आवत जावत रिहिन। मनखे एको नइ दिखिस कोन ल पूछय। एक ठी मकान के मुहाटी म गिस त लिखाय रिहिस। कुत्तो से सावधान। 
सिरवंतीन ह तिखरीस- अतेक सुघ्गर घर म कुकुर रिथे तेमा या। फिरंता ह गुनतारा गत म किहिस। कतको घर म मनखे तको राहत होही। साहर के चोंचला ल का जानबे वो। लीख दे ह त बनगे नइते हबक देतिस।
ठउका पल्हरा ह सिटिर साटर करिस। सिरवंतीन ह बुखार म जरत लईका ल आंछी म लुकईस। फिरंता ह ये घर ले वो घर के लकठा गीस फेर लुकाय के ठउर नइ पईस। पानी आगर होवत गिस। दुनो झीं थेथमेरा गे। कईसे करबो? का करबो किके तालाबेली होगे। धर्रापट्टी एक ठी डंगडंगहा तीन मंजली मकान कना गीन। वहू मेर सपटे बर, पानी ले उबरे बर ठउर नइ पईस। साहर म छवान परछी कोन बनाथे, फिरंता अरहज गे। पानी दमोर दिस।
वाह रे साहर के सुघ्घर अउ नेता अफसर के जबर कालोनी जिहां तीन मनखे ल लुकाय बर थेगहा नोहर होगे। सिरतो ल केहे हे-बड़ा हुआ सो क्या हुआ जइसे पेड़ खजूर।
जेन डंगडंगहा मकान म रूपकुमार ह अपन लईका के जनम दिन मनावाथाबे। उही मकान के खाल्हे म फिरंता अउ सिरवंतीन ह पानी म तरबतर लुकाय के ठउर खोजत हे अउ लईका ह मार कल्हर के रोवाथाबे।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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