छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह: पुतरी पुतरा के बिहाव

छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह: पुतरी पुतरा के बिहाव

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छत्‍तीसगढ़ी कहानी संग्रह: पुतरी पुतरा के बिहाव
लेखक- परमानंद वर्मा
विधा- कहानी
भाषा- छत्‍तीसगढ़ी
मूल्‍य- 80 रूपये
प्रकाशक- राजश्री प्रकाशन, रोहिणीपुरम, रायपुर

लेखक परमांनद वर्मा के विचार-
कभू-कभू अइसे अलहन आथे के मनखे मन धंदमंदा जथे के अब कइसे का कहे जाय? वइसने कस महू हर धंदमदागेंव छत्तीसगढ़ी कथा संग्रह पुतरी-पुतरा के बिहाव लिख के। रविशंकर विश्वविद्यालय के सेवानिवरित प्रो. अउ भाषाविज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. रमेशचंद्र महरोत्रा के बात ला सुनके। ओहर मोर मुड़ी म पथरा कचारे कस एक ठन सवाल उठा दिस। ओकरे शब्द मं - वर्मा जी, पुतरी-पुतरा के बिहाव म जतका कन कहिनी तैं लिखे हस तेमा कोन हर सबले श्रेष्ठ हे तेला तहीं हर बता मैं तो निरनय नइ करे सकत हौं। मोर मुताबिक तो सबो एक ले बढ़ के एक हे। कोन कहिनी ला अव्वल दरजा दौं ? कोनो एक ठन कहिनी ला काहत हों तब तो दूसर संग अनियाव होही ? है न भई पथरा कचारे असन बात ! मैं कइसे फइसला करों एकर? अब ए बात के फइसला तो चार सियान मन करिहौ। मोर बर तो सबो बने हे। कोन अइसे महतारी बाप हे जौन अपन अपन बेटी-बेटा मन से दुवा-भेवा करही ? चाहे कोनो कनवा, खोरवा, बइही, बइही अउ लेड़गा, लेडगी राहे ओकर बर तो सबो बराबर होथे। शास. दूधाधारी कन्या महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष अउ प्रो. डॉ. सत्यभामा आडिल घर ला लिपे-बाहरे पोते अउ चंउक पूरे बरोबर अपन भूमिका मं पुतरी-पुतरा के बिहाव के सबो कहिनी ला घर मं नहराय खोराय, सुग्घर- सुग्घर, कपड़ा-लत्ता पहिनाय, टिकली-फुंदरी अउ काजर लगा के सजाय-संवारे खेलत-कूदत लड़का मन कस बता देहे। फेर उहू कोनो एक ठन कहिनी ला सर्वश्रेष्ठ के दरजा देय बर पीछू घुच गे। जगदलपुर के साहित्यकार अउ कवि श्री लाला जगदलपुरी कहिनी मन ला गुलदस्ता म सजाय सुंदर-सुंदर फूल कस बता के अपन पल्‍ला झाड़ लिस। बिलासपुर के सियनहा साहित्यकार श्री श्यामलाल चतुर्वेदी ह गांव के गोदी मं हासत कुलकत लड़का मन कस बात कइके सबो कहिनी ला बने-बने बता दिस। साहित्यकार विचारक, इतिहासकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अउ कवि स्व. हरि ठाकुर तो पुस्तक ला अपन बेटा कस छाती मं लगा लिस अउ कहे लगिस मैं तोर कलम ला जानत हौं, रचना ला जानत हौं, गजब दिन के पढ़त आवत। भिलाई के साहित्यकार हे श्री परदेशीराम वर्मा, ओला एको ठन कहिनी बने नह लगिस, ओ हा सब अलवा-जलवा हे कहिके टरका दिस। ए बात म मोला नहीं अपन गांव के एक झन संगवारी ला किहिस। अब पुस्तक के कहिनी कइसन....

कहानी संग्रह म पढ़व- 

1. बेटी बनगे सगा
2. देवर बाबू
3. बिसाहित के सुख
4. दुरगा, लक्ष्‍मी अउ दहेज
5. ठग फुसारी के दिन
6. इरखा
7. आंखी फूटय अनदेखना के 
8. ढेला
9. तोर बोली के सुख
10. हाहाकार
11. ठाढ़े खेती गाभिन गाय
12. अटकापारी
13. भूख अउ फांसी
14. तैं ठाढ़े रहिबे
15. माखुरहा
16. गुरूजी के डींग
17. छितका कुरिया
18. गऊंटनीन के बहू
19. अंतरिक्ष म तियासी बियासी
20. गंगरेल की बेटी
21. पुतरा पुतरी के बिहाव
22. रांड बेचागे खेती के
23. मन के सरधा

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