छत्‍तीसगढ़ी कहानी : बरातु

बरातु

बियारी होईस तहां बोर सकेल के रात भर बईठे बर, बोरा सरकी ल धर के माइलोगनि मन अपन अपन घर ले निकलाथाबे। जेकर घर म रखईया नइये ते मन ह सींघ फाटक म तारा ठेंस के सुभित्ता होवाथावे। डउका लोग अउ लईका मन ह तमहिच के गुड़ी मेर आके ठउर चतवार डरे हे। जेमन बइठे बर काहीं नइ लाने हे ते मन गुड़ी तीर के बियारा म माढ़े पैरावट ल उन्ना कर डारे हे।

चार कूंज म टयूबलाईट, हैलोजन अउ दू दी सौ पावर के लट्टू बरत हे। गुड़ी मेर पंडाल ह चार कूंज म तनाय हे। पंडाल के एक कोती बर हारमोनिया, ढोलक, तबला, बेंजो अउ झुमका वाला ह पैरा के दसना म ओसरी पारी बइठे हे अउ जेन मेर बेंजो वाला बइठे हे तेन मेर लाउडस्पीकर वाला के जम्मो जीनिस माढ़े हे।

गुड़ी ले सौ डंका दूरिहा म ग्राम पंचायत भवन हे। भवन म गुवालीन, नजरिया मन के संगे संग संतु अउ बरातु गम्मतिहा ह सम्हराथाबे।

रात के दस नइ बजे रिहिस अउ बंधना धुन बाजे लगिस। तीन झीं नजरिया मन ह ओसरी पारी मंच म आके फिल्मी गाना गा के मनमाड़े नाचीन। नाच नाच के बजनिया कना बइठत गिन अउ तहां फेर पंचायत भवन ले मिटमिटावत लिट-लिटावत संतु संग बरातु ह निकलीस।

गोठ हाबे त तईहा के जब बरातु ह बीस बछर के रिहिस अउ नाचा रूपी भांग ल खा लिस। घर परिवार के मन कतको बरजीस फेर बरातु ह नइ मानीस। जइसे जइसे उमर ह बाढ़त गिस तइसे तइसे भांग के नसा म आगरे मातत रिहिस। नाचा वाला मन संग बइठई अउ किंजरई ह वोला बनेच सुहाय। बरातु ह नाचा वाला मन ल सोरियावय त नाचा पार्टी वाला मन बरातु ल। बरातु ह एक आरो म सब बूता-बाना ल बिसार के रेंग देवय।

बीस पच्चीस बछर ले छतरंग गम्मतई करीस। पच्चास बछर के उमर म सवांगे अपनेच गांव म नाचा पार्टी खोले बर नेवरिया टुरा मन ल सिखईस। नवा साज के नांव रखीस जय बुढ़ादेव सोर्रा नाच पार्टी। सोर्रा ह बरातु के गांव हरय, तेन पाय के सोर्रा वाला नाच के नांव म उजागर होईस।

बरातु अब पैसठ बछर के होगे हे। वोला यहू सरेखा नइये के कोन कोन गांव म के घंव नाच करे बर गे हाबे। अटकर म कीह देथे हर बछर साठ सत्तर गांव गे होहूं। कई घंव अइसे आय हे के तीन चार दिन ले सरलग नाचा पार्टी ह लगय। तब दिन भर ऊंघई अउ रात भर नचई चलय।

संतु बरातु के गम्मतई म अइसे खाप माढ़थे के देखईया मन के दांत नइ तोपावय। हांसी के मारे कठल जथे। कठला के नकल ल अइसे मुरकेटथे के उहिच देखईया मन के आंखी डुहडुहा जथे। आजो सुरता छोड़े कस दुनो के जोड़ी मात गे हाबे।

मुंदरहा होते साठ नाच ल उरका दिस। गांव वाला मन ह बिहनियच कून चाय चोंगी पीया के बिदा कर दिन। सोर्रा नाच पार्टी के जम्मो कलाकार ह जीप मोटर म गे रिहिन अउ उहिच म लहुट अईन।

बरातु ह आन पईत ले आज उपराहच उच्छाहित हाबे। कोन भाखा अउ का भाव म दरसक मन ह उबुक चुबुक होगिन तउन ल जम्मो झिन गाठियावाथाबे। गोठियाते गोठियावत बरातु के मुहू ओथर गे। पहाय कतकोन बात ह जीकर होय ले धरलीस। बरातु ह जवान रिहिस त जम्मो गम्मत म निकरय। अब उमर खिया गे। अपनेच नाच पार्टी के एक ठी गम्मत म निकरथे। वहू दिन दूरिहा नइये जब एक ठी गम्मत ले तको अलगियाय बर पर जही।

मोटर गाड़ी, चाय-चोंगी ले उबरे पईसा ल बाटिन त छै-छै सौ अमरीस। छै सौ रूपिया ल धर के बरातु ह अपन घर कोती गीस। घर के मुहाटी म गे रिहिस के अंगना म भुनु मंडल ल बईठे देख परिस। बरातु ह उहिच पांव लहुट के डबरी रावन म रेंग दिस।

धन ह कोच्चर अउ कोचिया कना होथे। भुनु तको अइसने गुन करम के मनखे। सब ह दू तीन रूपया म बेवहर बगराथे त भुनु मंडल ह पांच रूपिया म। बरातु तको बेवहर उंचाय हे। नाच म पाय पईसा ल भुनु मंडल ह मांगहूं किके बिहिनिया ले बरातु के घर म ओड़ा दे हाबे। बरातु के सुवारी बुलिया ह किहिस-अबही ले नइ दिखत हे त लागथे बाले के बाला अउ कोनो गांव चल दे होही।

भुनु मंडल ह किहिस-बुलिया, बेवहर ले हस त छूटेच ले परही। मोर मानथस ते बियाज ल दे दे कर। आज उही गुन के आय रेहेंव। आही त बरातु ल बने बरज देबे नइते अंगरी ल टेड़गा कर के घीव हेरे बर आथे मोला।

भुनु मंडल ह मार भन्नाय, गोड़ पटकत, बड़े बड़े डंका मढ़ावत गीस। बुलिया ह कोथा ल चपक के बइठगे। पोटा के अइंठई म कल्हरे लगिस।

जेखर बर मनखे के चिभिक होगे वोला अऊ आन काहीं उदिम ह नइ सुहाय। बरातु ह नाच गम्मत ल छोड़ के जिनगी भर अऊ काहीं बूता म जीकर नइ करिस। बरातु अउ बुलिया ह जइसे तइसे घर खाप ल तीरत जिनगी पहावत गिस। बुलिया ह नाच ल भाथे अउ बरातु के गम्मतई ल घातेच सहराथे। इही सेती कभूच भेंगराजी नइ मारिस। घर ह रउती त नइ करिस भलुक खियावत गत ल अटकर करके बड़े बहु ह बेटा ल परोसी बना दिस। बड़े बेटी केकती अउ मंझली केंवरा के जइसे तइसे भांवर पारिस। छोटे बेटा नंदु के बिहाव समाज म करिस। छोटे बेटी बिमला सगियान होगे हे। येकरे बिहाव के संसो अउ बुलिया के बिमारी ह बरातु बर दुब्बर बर दू आसाढ़ कस हाबे।
बरातु ह डबरी ले अकउहा नहां के लहुटिस। बुलिया के पेट पीरा उमचे रिहिस। धर्रा पट्टी वोकर लकठा म गीस। बुलिया ल उंचा के खटिया म लेगत रिहिस के बिमला ह छेना के  झउंहा ल बोहे अईस। झउंहा ल परछी म मढ़ा के अपन ददा कना गीस अउ बतईस- दाई के पेट पीरा रात कून तको उमचे रिहिसे।

बरातु ह किहिस-का करबे बेटी करम के नांगर ल भूत जोंताथाबे। आपरेशन म येकर बच्चादानी ह निकरही तभे येहर पीरा ले छुटकारा पाही।

बिमला-आपरेशन कब करवाबे ददा? येकर उमचे पीरा ल देख नइ सकंव। करलई लागथे।

बरातु -देखत त हस बेटी, हाथ ह कच्चा कब रिथे। दू एकड़ खेत ल बेंचबो त खाबो काला। ककरो कना ले बेवहर उंचातेंव त आगुच के बेहवर ह मूड़ म हाबे। 

बुलिया-वो भुनु मंडल ह निरौना लगाय बर...
बरातु- तें झन गोठिया वो तें झन गोठिया।

गम्मत म लाई फोरे कस हंसवईया के जिनगी ह दिया तरी अंधियार कस हे। अईसनेच कतकोन नचकाहर के जिनगी ह पहाय हे। हजारो मंचन करके कलेचुप ये मंच ले उतर जथे। बरातु बर संतु ह एक पतरी के संगवारी ये, फेर काहीं लेन देन के बात बर फरी हे। जस हाल उधो के तस हाल माधो के। नंदु ह खेती करथे अउ बहू संग बनी तको जाथे। नंदु के परसादे दुनो जुआर चूलहा बरथे फेर बेवहर ल नइ उतार सकाथाबे।

एक दिन संतु अउ बरातु ह घठौंधा म मुखारी करत बईठे रिहिस। गोठके गोठ बरातु ह किहिस- का पानी का बादर का अघ्गन... का जेठ. का दिन का रात। कहींच ल नइ घंपेंव। कतको झापर वाला गांव म नाचा पार्टी राहय, साईकिल धरंव अउ बेरा रिते चल दंव। अब थकासी लागथे। अब त गम्मतई करत तको हफरासी लागथे, फेर आज का हे। रात भर गाड़ा जोते कुकदा के कुकदा। दुकान के उधारी नइ छूटावय। आज आपरेशन बर दस ले बारा हजार रूपिया चाही। कोन दिही? कहां ले पाहूं? कइसे करहूं बिमला के बिहाव? 

संतु ह किहिस- संस्कृति के सेवा करेस भईया संस्कृति के  सेवक ल तंखा नइ मिलय। आगु गम्मत के सफलता म सुख भोगस अब सुरता कर के गदगद हो, तभे अवईया दिन ह नीक-नीक पहाही।

बरातु- ये दिन काबर देखाथाबन जानथस संतु, असल म हमन पईसा के पूजा नइ करेन। मोरे असन कतकोन नाचा के कलकार ल जानथंव संतु जेन ह बीस बीस बछर ले नाच गम्मत करिस। आखिर म कती नंदा गिस के आरो नइ पायेन। आज मोरे गत ल देख, दू रूपया बर तको कोनो नइ पतियावय।

संतु- बरातु भईया, संवागे ल पतिया। अइसे दिन आही की घुरवा के दिन बहुरही।

बरातु- फेर कब? सन्तु, हमन नाच पार्टी खोलेन त बैंक म एक ठीं खाता तको खोले रितेन। कलाकार सहायता कोस। कार्यक्रम के पईसा ल तेरा कलाकार म बाटथन त एक हिस्सा अऊ होतिस, जेन ह कलकार सहायता कोस म जातीस अउ नइते फेर  मोंजरा के पईसा ल सकेलतेन। आज बिपता म उही पईसा काम आतीस। मोर काम आतीस, नाच पार्टी के जम्मो कलाकार के काम आतीस।

बरातु ह किसिम किसिम के उदिम गुनाथाबे फेर रद्दा नइ पईस। भुनु कना ले उंचाय लागा बोड़ी। पंचन समाज के बेवहर। गांव समाज के बेवहर। डॉक्टर कना के उधारी। दुकान के उधारी। ओसरीपारी आ आ के दुख ल आगर ले आगर कराथावे। बरातु ह नाचा म पैतालीस बछर ल खपा दिस। नाचा के सुख दुख ल सुरता करत खटिया म ढलगे रिहिस। मन म एक बात ह घेरी बेरी भउरत रिहिस, आज का हे मोर कना? अतका दिन म में ह का पायेंव? जब ये गुनय के सबोच नाच पार्टी म मोरे असन कलाकार हे। कोनो ह बीस बछर ले नाचत होगे त कोनो ह चालीस बछर ले। सैकड़ों कलाकार ह त जिनगी भर नाच गम्मत करके अम्मर होगे फेर काहींच सकला नइ कर सकीन। मन हरू हो जवय। ठउका बुलिया के पेट पीरा उमच गे। बिमला ह बरातु ल आरो दिस। बरातु ह बुलिया कना गीस। बरातु ह करय ते का उदिम करय। डॉक्टर मन ह आपरेशन के रद्दा देखा दे हाबे। मन मढ़ाय बर बुलिया के पेट म तेल चूपरत भूलवारे लगिस।

आज बुलिया के कल्हरई म बरातु ल अतेक करलई लागिस के खेत ल बेंचे बर जोंग डरिस। नंदु तको ह खेत ल बेचे बर पंदौली दिस। बरातु ह कोचिया (दलाल)  कना जाहूं किके घर ले निकलीस तइसे पोस्टमेन अईस। पोस्टमेन ह चिट्ठी दिस। चिट्ठी ल पढ़ीस। सहर के एक ठो संस्था नव जागरण ले बरातु के सम्मान करे जाही। सम्मान करे बर मंत्री ह आही। ये सब पढ़ के बरातु ह गदगद होगे। खेत बेचे के मंसा ल मन ले टार दिस। बुलिया बिमला अउ नंदु ह मन जतका खूस होईस वोकर ले उपराहा बुढ़ादेव सोर्रा नाच पार्टी के कलाकार मन होईन। बुलिया के इलाज बर पईसा नइ जूरत रिहिस त का होईस सम्मान ले बर सहर जाय खातीर कलाकार संगवारी मन सौ-सौ रूपया बरार करीन। बरातु ह संतु ल एक घंव फेर किहिस-सोर्रा नाच पार्टी म कलाकार सहायता कोस होतिस त आज बरारी के जरूरत नइ परतीस।

बरातु ह संतु के संग सहर गीस। जलसा म मनमाड़े मनखे आय रिहिन। बरातु अउ संतु ह दरसक मन संग खुर्सी म बइठ गिन। मंच म मंत्री के सम्मान सुवागत सुरू होईस। संतु ह हांसत किहिस-भईया तोर ले आघु मंत्री के सम्मान होवाथाबे। मंत्री ल पूछ, के तोला के ठीन माला पहिराही? अपन ह गीन के सत्तरा ठी माला म सम्मानीत होय हे।
बरातु ह किथे- अतेक झीं सम्मान कराथावे माने दान वान दे होही न। हमन ह त ले बर आय हन।

संतु- तिहीं गून। ये होतिस भईया के सबो ले आगु तोला बला के मंच म बईठारतीस वोकर बाद मंत्री ल पूछतीस।
बरातु- पईसा अउ पद वाला के पूछारी जी।

संतु- ठउका केहेस। सम्मान म तो अतका पईसा मील जवय जतका म बुलिया भउजी के आपरेसन हो सकय, बस। सभा म संचालन करईया ह सब ले आगु छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच के कलाकार प्रभु लाल ल दाऊ रामचद्र देशमुख सम्मान दिस। येकर बाद नाचा के कलाकार के रूप म दाऊ मंदरा जी सम्मान देबर बरातु के नांव लीस। बरातु ह मंच म गीस। फूल के माला म लदईया मंत्री ह बरातु ल दू सौ रूपिया के साल के संग म प्रमान पत्र ल धरा दिस। ताली के सोर म बरातु ह,चेक नइते नगद गड्डी निकालत होही गुन के  मंत्री ल  देखिस। मंत्री ह संवागे बरातु ल जाय बर कीह दिस।

बरातु ह मंच ले उतरीस। कतकोन बात वोकर मन म आगे। इही सम्मान हरय जेखर बर मोला सोरिअईस। मंत्री का जानही, असल सम्मान मोर वो हरय जब गम्मत ह जमथे अउ दरसक मन कलथी नइ मारय। पैतालीस बछर के संसकिरती सेवा म पहिली घंव कोनो सम्मान करीस त इही ल पायेंव। इही ल किथे सुख्खा समधी पाय लगे। खैर मोर भाग त बनेच हे। नाच के अऊ कतकोन कलाकार हे जेन मन मंत्री ले सम्मान का होथे जानबे नइ करय।
बरातु ह संतु कना आके कलेचुप बइठ गिस। संतु किहिस- सोर्रा नाच पार्टी म कलाकार सहायता कोस के नांव बैंक म में ह खाता खोलवा के रिहूं। तेरा कलाकार के जगा म चउदा झीं के नांव म पईसा बटवाहूं। चउदवां हिस्सा ह कोस म जाही अउ मोंजरा के पईसा तको।

बरातु ह ठगाय बरन कलेचुप मंच कोती ल टक लगा के देखत रिहिस। वोकर आंखी के आगु म कल्हरत बुलिया ह झूल गे। बुलिया ह बरातु ल सोरियावथाबे। सोरियावत सोरियावत सिरागे। बरातु के चेत ह तब लहुटिस जब मंत्री के भासन ह सिरईस। गंज भीड़ वाला जलसा उसल गीस।

बरातु ह गांव गीस। वोकर घर म मनखे मन सकलाय रिहिन। बरातु ह समझीस के सम्मान के सुख बांटे बर सकलाय हे। मुहाटी मेर गीस त आरो पईस के बिमला ह कठल के रोवाथावे। नंदु ह बतईस- पीरा उमचिस ते माढ़बे नइ करिस। दाई ह अबड़ कल्हरे हाबे। तड़फत कल्हरत तोला सोरियावत रिहिस। ककरो बस नइ चलीस। संतु ल वोकर नाच के गाना सुरता आगे -
तें कती उड़ाये रे सुअना
ये पिंजरा ल छोर
तें काबर गये रे सुअना
ये पिंजरा ल छोर
बरातु ह बुलिया के मुहू ल देखिस। सम्मान म पाये 2 सौ रूपिया के साल म बुलिया ल ओढ़ा दिस। संतु ह मन म किहिस- फुटहा करम के फुटहा दोना पेज बोहा गे चारो कोना।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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