छत्‍तीसगढ़ी कहानी: परिया टोरउनी रेगहा

कहानी: परिया टोरउनी रेगहा

साहर ले सात कोस झापर कठियाटोला म मदन के मढ़िया मुहाटी अउ सवा एकड़ डोली हे। अबही डोली लहुटगे हाबे। कोरी अक बछर आगु ये डोली ह परिया रिहिस। ठों ठो परिया।

मदन के ददा ह अपन पाहरो म टोलच के रहईया राधे मंडल ल परिया टोरउनी रेगहा दे रिहिसे। राधे मंडल ह सात बछर बर परिया टोरउनी रेगहा ले रिहिस। दू बछर त जोंत जोंत के सवा एकड़ परिया ल भर्री लहुटईस अउ चना राहेर ओनारीस। फेर दू बछर के पहाती म मेड़ खंड़ के धान बोईस। सात बछर म राधे मंडल ह सवा एकड़ परिया ल डोली लहुटा दिस। सात बछर के परिया टोरउनी रेगहा म राधे मंडल ह जांगर टोर बूता करीस अउ धान ओनहारी पईस।

सनन परीस। मदन के ददा ह सात बछर ले भले एक दाना नइ पईस। पईस त सवा एकड़ सउंरे डोली। सउंरे डोली म मदन के दाई ददा मन ह जांगर हूरकईस। पसीना निथारीस अऊ तहां फेर धान के संग ओन्हारी तको पाय लगीस। ये पईत मदन ह दस बारा बछर के रिहिस।

अतका दिन के पहाये म न मदन के ददा जीयाथाबे न दाई। दुनो झीं ह मदन के जिनगी सम्हरा के अम्मर होगे हे। सवा एकड़ डोली, सुवारी फेकन, तीन झीं लईका अउ चार कुरिया के परछी उतरे घर। मदन अउ फेकन ह सवा एकड़ डोली म धान ओन्हारी उपजाथे अउ ठलहा बेरा म दाऊ मंडल पारा बनि भूति करथे। जिनगी ल अऊ का चाही? ठलहा न बिगारी। सुघ्घर जिनगी जियाथाबे।

दिन ह सबर एक नइ राहय। छत्तीसगढ़ राज के गठन होईस अउ साहर मन अटिअईस। बारा-बारा कोस झापर के डिह टोला के बनिहार भूतिहार मन बनि भूति करे बर साहर के रद्दा म डंका मढ़ईन। साहर म भूति के का दुकाल। डिह टोला के भूति ले कतकोन आगर साहर के बनि। सबोच के जीकर ल साहर ह झींक लीस।

मदन ल दाऊ घर के बनि ह नइ पोसईस न बारी बियारा के भूति ह ओल्हईस। कठियाटोला के भूति ल बिसार के साहर गीस। बिहिनिया कून साहर जावय अउ बेर के बूड़ते लहुटय। बेर सम्मत म अपन सवा एकड़ बर तको जांगर हूरका लेवय। सुवारी फेकन ह सवा एकड़ म जीकर लगाय रहय अउ ठलहा दिन म दाऊ घर बनि जावय। लईका मन स्कूल जावय अउ उहेंच बियारी कर लेवय। जिनगी उच्छाहित हो गिस।

घुरवा के दिन बहुरथे, नवा राज सिरजे सात बछर नइ पहाय रिहिसे अउ साहर के भूई कोचिया मन ह डिह टोला म निंगीन। डोली भर्री का, परिया बंजर के तको दाम बाढ़ गिस। कोचिया मन कार मोटर म डिह टोला के रद्दा जावय अउ अतलंगहा कस खेत खार मन ल बिसावय। मदन अउ फेकन ह सुंता होईस तहां सवा एकड़ खेत ल बरो  दिस। नंगत अकन पईसा हाथ म अईस तहां मदन ह धर्रापट्टी सकला के उदिम करीस। सवा एकड़ के बलदा कठिया टोला ले चालीस कोस दूरिहा कुरमातरई म चार एकड़ डोली बिसईस। घर ल पक्की ऊंचईस। फटफटी बिसईस। खेत खार बेंचइया मन ल नेटवर्किंग अउ रियल स्टेट वाला मन सूंघियावत रिथे। कतका झिन ले बोचकतीस, जमा करीस। खरचा बर तको उबरीस तेन ल सरेखा म मढ़ईस। मदन के पांचो घीव म होगे। कोनो दिन मछरी त कोनो दिन कुकरा। दू दिन पहाये न चार दिन ढरकाये मंद मउहा। मदन के साहर भूति म जवई कमतियागे अउ फेकन ह नांगा मारे लगिस। दुनो ल अइसे आकब होईस जनामना सपना ह सउंहत होगे।

कुरमातराई म बिसाय चार एकड़ डोली ल उहेंच के भुतिहार खोरबाहरा केंवट ह रेगहा लीस। आठ बोरा एकड़ म रेगहा। चार एकड़ के बत्तीस बोरा धान। बत्तीस बोरा म कतेक ल खावय। आदहा ले आगर ल सुसायटी म बरोवय तेखर नंगत अकन पईसा पा लेवय।

साहर के बनिहारी बूता त कमतियागे रिहिस अब नोहर होगे। ओसरय त जावय नइते घर म उंघावय। फेंकन तको दाऊ मंडल मन घर के बनि भूति ले बिटा गिस। दुनो के हिरदे म अलाली के सुक्ला सोमना गाहद गिस। ककरो अटके म आगर बनि पाबो किके जांगर हुरका लेवय तहू ल बछर भर म बिसर गे। दुनो झीं निचट सुमड़ा होगे।

सवा एकड़ के परसादे जलसा सिरजे जिनगी म चार बछर ह पहावाथाबे फेर काहींच के खंगता नइये। जनामना गौंटिया कस पाहरो। लईका मन सातवीं आठवी म चल दे हाबे। स्कूल के भात म अघावाथाबे। घर म डिटिएच डिक्स देख के मेछरावाथाबे। दिन ह सबर एक नइ राहय।

चईत के जंवारा पाख चलत रिहिस। मदन के साढ़ू ह घर म जवांरा बोय हे तेन पाय के माइपिल्ला गे रिहिन। जवांरा उच्छाह म फेकन ह अटकर करीस के वोकर कोथा म पीरा उमचाथाबे। कठियाटोला लहुटिस तहां डाक्टर कना गीस। डाक्टर ह बतईस के गरभ थैली ह गिनहा होगे हे। फेकन के तुरते आपरेसन करवईस। जमा पईसा उरक गे।

असाड़ के लगती कुरमातरई ले खोरबाहरा के सोर अईस अउ मदन ह बिहाने गीस। खोरबाहरा ह नांगर ल सिरजावत रिहिस। मदन ल बईठारीस। चहा पीअईस। मदन ह तिखरीस- का होगे तेमा ढेरियावाथाबस ग?

खोरबाहरा ह किहिस- काला किबे मंडल छोटे टूरा ह साहर म बस गे। एक ठी दुकान म जाथे। चार हजार रुपिया महिना पाथे। लईका ल बने पढ़ाबो किके उहें रिथे।

मदन ह फांकिस- बड़े बेटा बहू मन त हाबे न। घातेच कमिया तको हे। खोरबाहरा ह मुहू ओथरावत बतईस- वोह त कम्पनी म जाथे। चार कोस म नावा कम्पनी बनगे हाबे न। बेरा म जाथे अउ बेरा राहत लहुट आथे। न धान म बिमारी आय कस संसो न दुकाल के भूसभूस। हमन त सियान होवाथाबन। दुनो लईका नइये माने दुनो हाथ गय। अब रेगहा म नइ कमा सकन। अऊ कोनो ल पूछ ले...

मदन ह केलौली गत म किहिस- अऊ कोन ल किहूं रे भइ। आठ बोरा म नइ ओल्हावाथाबे त सात म बो डर। ले रे भई छै बोरा म रेगहा राख ले।

खोरबाहरा ह मूड़ गड़िया दिस। मदन के बक्का सटक गे। सोहगत म उंचीस अउ खोरबाहरा के घर ले निकरीस। दू चार झीं बनिहार भूतिहार मन कना गीस फेर फत नइ परिस। मदन के चार एकड़ खेत ल रेगहा बोवईया एक झीं नइ होईस। मदन ह कठियाटोला लहुट गे।

भीतर म फेकन ह चूल्हा सिपचाय भात रांधाथाबे। उही मेर मदन ह बइठ के मुहाचाही करिस कइसेच करबो वो। कोनोच रेगहा नइ लेवन कीह दिस। चार पांच बछर ले खोरबाहरा ह रेगहा लीस फेर का करय लईका मन वोकर संग नइ देवाथाबे।

फेकन ह किहिस- इंहा ले जा के उहां खेती कर नइ सकन न उहां बस सकन। जेन भाग म हे तेने होही। आपरेसन होय ले महू हिनहर होगे हंव। मदन ह बरेठ कस कुकुर होगे। कठियाटोला ले कुरमातरई जा के खेती कर लेतीस त हूरकातीस। आन डिह टोला म बसई दुरघट होगे हे। गुनीन के, कुरमातरई म ओड़ा देके धान कमाबो त परता नइ परय। बने हे साहर जावंव। साहर म भूति के दुकाल नइये। फेकन तको किहिस-साहर जाबे तबहे बनौकी बनही। हाथ जूच्छा हाबे अउ ये दे रेगहा तको लेवईया नइये।

एक चउमास के नाहकते मदन के चार एकड़ म कांदी दूबी रबाचब जामगे। ठांवठांव बम्बरी अउ बोईर जामगे। भरका फूटगे?

दूसरईयां बछर कोन हींग घोरय। अब त कांदी दूबी के संग बोईर बम्भरी ह रूख होगे। माड़ी अक भरका भिंभोरा फूटगे। चउमास के नाहकते मदन के चार एकड़ डोली ह परिया लहुट गे।

वो पाहरो नंदागे जेमा सात बछर बर परिया टोरउनी रेगहा लेवय। मदन ह कठियाटोला म रीह के रिगे। कुरमातरई जातीस ते चार एकड़ ल परिया लहुटे ले उबार लेतिस फेर का करय अलाल होगे रिहिस। फेकन तको ओत करय अउ आपरेसन ह ओढ़र होगे। 

अलाली अउ ओत म बनौकी नइ बनय। जीये खाय बर बूता करे ले परथे। मदन ह रोजेच साहर जावय। साहर के बूता ले पईसा पावय तबहे चूल्हा दगय। धीरे बांधे फेकन तको दाऊ मंडल पारा बनि भूति गीस। छत्तीसगढ़ राज गठन ले आगु कस बनि-भूति बर हकर-हकर के जिनगी फेर आगे। सपना कस जिनगी के सुख उच्छाह ह सिरागे। उही रद्दा, उही ठिहा, उही मेड़, उही खार, उही कांदी अउ उही भूति। जइसे हाय रे मोर बोरे बरा किंजर फिर के मोरे करा।
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परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/- 

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