छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य: पढ़ंता लइका के चिट्ठी गुरूजी के नांव

पढ़ंता लइका के चिट्ठी गुरूजी के नांव

आदरनी गुरूजी पायलगी, सरकार के किरपा ले आप मन बड़ मजा म होहू। काबर कि आप मन ल केंदरी तनख्वा अउ मंहगई भत्ता ह मिलबे करत हे। दुदी ठन क्रमोन्नति ल तो झोंकी डारेव। आप मन तो तीस पैंतीस साल ले एके पद म अंगद के गोड़ कस जमे हावव। मोर ददा अउ कका ल पढ़ायेच हव, अब मोला पढ़ावत हव। 
आप मन ल सरकार करा जउन लेना रहिथे, तउन ल तो लेइच्च लेथव। फेर जब देय के पारी आथे त मुंह ल काबर लुकाथव ? आज तक आप मन अपन ड्यूटी मां कभू जल्दी नई आयेव। बेरा ल डारीच के आयेव। आके सुरता-सुरता के हाजिरी ल लेथव, थोकीन बेरा बांचथे तेन म गप-सड़ाका चलथे। घंटी बाजथे तहां रेंग देथव।  महिना म चार ठन तो सनिच्चर अउ चार ठन इतवार परथे। सबो सनिच्चर ह पीटी अउ खेलकूद म बीत जथे। कोनो महापुरूस के जयंति नहीं ते कोनों तिहार आते रहिथे। कभू हिंदू त कभू मुसलमान, कभू इसई त कभू सिक्ख तिहार। हमर देस म आनी-बानी के तिज-तिहार। धरमनिरपेक्छ राज म सबो धरम के आदर तो करेच ल परथे। येह तो हमर देस के संबिधान म लिखाय हे। येमा कखरो गलती नईहे। 
तीस दिन म पंदरा दिन तो अइसे-तइसे म निकर जथे। बांचथे उही पंदरा दिन। तउनों म आपमन कहूं-कहूं परसिकछन म जाते रहिथव। आज-काल सरकारो ह गुरूजी मन करा परसिकछन करवातेच्च रहिथे। मोर ददा ह काहात रीहीस-हमर जमाना म तो गुरूजी मन नारमल पास करके आवंय, आज के गुरूजी मन ल तो घेरी-बेरी परसिकछन देय ल परथे। ओ बखत के पढ़े लइकामन बने बड़े-बड़े पद म हांवयं। पहिली के गुरूजी मन के बात अलगे राहाय। वो मन अपन करतब म माहिर राहांय, तब गुरू के पद ल पायें हें। उंखर नांव आज ले चलत हे। 
आये दिन परसिकछन, नहीं ते काहीं के सरवे, जनगणना, नावांचारी सिकछा कोजनी का-कइसे कर डारही तइसे लागथे। आपमन सिक्छा विभाग के प्रयोगसाला म कभू छार कभू अम्ल बनके रसाइनिक परिवरतन करे म लगे रहिथव। जादा करके गुरूजी मन चुनाव के काम म माहिर रहिथे। कभू लोकसभा त कभू विधानसभा, पंचइती चुनाव, मंउी चुनाव अउ सोसाइटी चुनाव... आनी-बानी के चुनाव करवई म आप हुसियार हौव। ककछा म हमन ल पढ़ाय के बुता ल छोड़के बाकी जम्मों बुता म तुहर बरोबरी संसार के कोनों प्रानी नई कर सकय। कोन्नो बिसय के कोर्स पूरा नई होय हे, येदे परीकछा आगे। आपके नांगा के सेती हमरो मन के पढ़ई-लिखई म रंचअकन मन नई लगय। आप मनके फोकोलाजी ह हमन ल बने लागथे गुरूजी, बिदिया कसम। तेखरे सेती आपेच्च करा टिवसन पढ़थन। ओखर बहुत बड़ कारन हे। हमन ल सोरा आना भरोसा हे कि आपके राहात ले हमन ल कोनों माई के लाल म दम नइहे कि हमन ल नपास कर देंय।
हमन परीकछा म नकल तो मारन नई सकन। काबर कि अनभो वाला मन कहिथें कि नकल मारे बर अक्कल के जरूरत परथे। अउ हमर करा अक्कल हइच नईहे। तेखरे सेती हमन आपला (त्रिदेव) ब्रम्हा-बिसनु-महेस मानथन। आपे हमर तारनहार आव। परीकछा तो अलवा-जलवा देई डारे हन, अब पेपर जांचे के बेरा घलो आवत हे। हमन जउन टिवसन के ओखी म आपला माहवारी देय हन तेखर छुटान के समे आगे। हमन ल आसाच नहीं बलकि सोरा आना भरोसा हे कि हमर गुरू सेवा के परसाद जरूर मिलही। हमन फस्ट किलास म पास होके आपके नांव ल उजागर करबोन। आपके जबरदस्त धाक जमही, काल के दिन आप कहि सकत हौव-मेरी क्लास का रिजस्ट हड्रेड परसेंट है सर।
हम तो आपला सच्चा गुरू मानथन। हमन ल तो जीनगी भर परीकछा देवाना हे। नवकरी बर दर-दर के ठोकर खाना हे। नवकरी म भरती होय बर आपे सहीक कोनों गुरू खोजे ल परही। हमर ले पहिली जउन सिकछा कर्मी बनगें तेन मन मजा मार दिन। अब तो चार-चार ठन परीकछा म जउन पास होही तउने ल नवकरी (सिकछाकरमी) मिलही। इसकुल के पढ़ई म तो आपे के किरपा ले पास होगेंन, हमर बेड़ा पार लगा देव। अब कोन बेड़ा पार करईया हे ? इही संसो म कतको आपके चेला मन दुबरावत हें। कोनों धोखाधड़ी म सिकछाकर्मी बन गें तेन मन बिसवास देवावत हेवय कि हमन आपेच्च के बताय रद्दा म रेंगबो। आप अपन जीनगी ल जइसे जीये हव तइसे हमू मन जीये के कोसित ल करबोन। कतको झन संगवारी मन डागडरी पढ़ बर परीकछा ल दुसरा के भरोसा म देवा के पास तो होगें, दस लाख पन्दरा लाख रूपिया खरचा करके कालेज म भरती होगें, फेर सी.आई.डी.मन उनला पकड़ के जहाल म डार दिन। आज ले ऊंकर जमानत घलो नी होवत हें। हमन तो दस-बीस लाख ल नी देसकन डागडर-इंजीनियर बने बर, जादा से जादा बाबू नहिते सिकछा करमी बन सकथन। लोक सेवा आयोग, अऊ बियापम जइसन परीकछा लेवइया संस्था अब बिसवास करे के लईक नी रहीगे। वइसे अब तो सिकछा करमी बनना घलो सपना सहिक लागत हे। 
हे गुरूजी आपला हमन जीनगी भर नई भुलावन। आप हमन ल खेल-खेल म जीये के अइसे गुर बताये हव जउन ह आज के समाज म जीये बर बहुत काम के हे। गुरू के बखान जतका करबे कमतीच हे। -आपके आगियाकारी चेला।

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लेखक का पूरा परिचय-

नाम- विट्ठल राम साहू
पिता का नाम- श्री डेरहा राम साहू
माता का नाम- श्रीमती तिजिया बाई साहू
शिक्षा- एम.ए. ( समाजशास्‍त्र व हिन्‍दी )
संतति- सेवानिवृत्‍त प्रधानपाठक महासमुंद छत्‍तीसगढ़
प्रकाशित कृतियां- 1. देवकी कहानी संग्रह, 2. लीम चघे करेला, 3. अपन अपन गणतंत्र
पता- टिकरा पारा रायपुर, छत्‍तीसगढ़
वेब प्रकाशक- अंजोर छत्‍तीसगढ़ी www.anjor.online 

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