छत्‍तीसगढ़ी कहानी : चौंथिया

चौंथिया

दतान के रहईया थनवार के काहत लागे तीन लईका, सरजू, चुन्नी अउ बुधिया। सुवारी के नांव झामिन। सात बछर आगु झामिन ह अइसे बीमार परिस के थनवार ह दवा पानी म खियागे। भले खेती खार म खियागे फेर अब वो पईत असन बेरा सम्मत नइये। येदे तीन बछर ह पहाय होही सरजू के भांवर परे। सरजू के सुवारी परनिया ह बने नीक बोली भाव के हे। एक दूसर बर अवतरे कस सरजू अउ परनिया के खाप ह सुघ्घर माढ़े हे। झामिन तको निसंसो हे।
संसो होथे त उही खेत के जेन ल तीन बछर आगु बरोय रिहिस। बांचे आदहा एकड़ खेत म धान ओनहारी बोथे अउ दाऊ मंडल पारा बनी भूति जाथे। अपन थौना के जिनगी, मराथाबे न मोटावाथाबे।
पतो परनिया ल आये तीन बछर पहागे फेर पांव भारी नइ होइस अउ येदे चुन्नी ह सजोर होगे। गोठ गोठ म हांसी त थोक थोक म मुसकई। रीह रीह के दरपन कना खड़ा होवई। चूंदी के सुघरई। ठलहा बिगारी ओढ़र ओखी घर के मुहाटी म जवई।
थनवार अउ झामिन ह सुंता सलाह होईस के बने सगा पाबो त येसो चुन्नी के भांवर पार देबो। बाढ़े बेटी के बेरा राहत हियाव करेच ले परथे। थनवार ह लागमानी असलग मीत मितान मन कना सोर पठो दिस काबर के चिन्हे जाने घर बेटी देवई अउ बेटी लेवई ह फत परथे। खंगे बढ़े न काहीं रीस न निरौना।
थनवार अउ सरजू ह दू चार डिहटोला म सगा देखे बर गीन अउ लहे के पूरतीन दिखिस तेन मन ल बलईन। फत्त परिस गाजर डीह म। गाजरडीह के पूरन। पूरन के बड़े बेटा पीलु संग चुन्नी के राग पाग माढ़िस। पूरन अउ वोकर बिंदा के संग छोटे बेटा संतु ह साफर सुंता होवत किहिस-मोर घर काहीं नइये रे भई। दू एकड़ खेत म हड़िया चढ़थे। खाप चलाथाबे त डीगर घर के बनी भूति म। पतो आही तेन कमाही, कमाही तबहे खाही। जान ले के अलवा जलवा के नेंग म भांवर उरकही।
थनवार ह थोकन गुनिस अउ पंदौली देवत किहिस-ते संसो झन कर रे भई। मोरे घर म कोन मार ढाबा उलचावाथाबे। चुन्नी ह खेत बूता करथे अउ घरो म जीकर लगाये रिथे।
पूरना ह चुन्नी ल पईसा धरईस तहां थनवार के संग जम्मों झी भात खईन। हांसी खुशी पूरन, पीलु अउ संग म आये सपरिहा ह लहुटिन।
थनवार ह बिहाव के तियारी म जीकर लगईस। खटावय तइसन अचहर पचहर बिसईस। सोन ह नोहर हो जथे त का होईस फुल्ली खिनवा त लागथेच। चार ठी लुगरा। महिना भर बेटी ह मांगय झन गुन के साबुन सोडा बिसईस। पंचन पार ल मड़वा भात खवाबे अउ बरतिया मन ल दू ठी साग परोसबे त फबथे। सगा सोदर मन ओनहा के संग बैना देबे तबहे जिनगी भर सहराथे। मुहूं ले आसीस झरथे। 
जोंगे कस बेरा म चुरमाटी के बाजा बाजगे। ढेरहिन, ढेरहा अउ सुहासिन मन ह नाचत कूदत डबरी कोती गीन अउ माटी कोड़ के अईन। मुहाटी मड़वा का गड़िस पार पंचन ल मड़वा भात खवईस। मांदूर म सुहासिन मड़वा गड़ियाईन। चूनमूंदरिया के आते साठ तेल माटी होईस अउ तहां फेर आन दिन मायन अउ नहडोरी। बारात परघनी, भांवर अउ बिदई। चुन्नी ह आन मन कस सबर दिन बर मइहर के मुहाटी ल नाहकिस ते रोवई कलहरई के संग थनवार के आंखी तको तर होगे। चुन्नी के लइकई पाहरो ल सोरियावत सुरता करत कलेचुप उंघईस।
रतिहाकून पठौनी के संग एक झीं लोकड़हिन गीस वहू ह सियनहिन। सियनहिन होय चाही जवनहिन येकर बिना ससुरार म दुलौरीन के पार नइ लगय। काबर के नावा घर म बिपतकाल के उही सपरिहा होथे। नावा घर म नावा दुलौरीन ह काहीं ल नइ जानय न अपन मन के आगु आगु ले काहीं कर सकय तेन पाय के असनांदे के बेरा म लोकड़हिन ह वोकर ओनहा ल कांचथे। बाहिर बट्टा जाही त लोटा भर पानी लोकड़हिन ह धरथे। हरे खंगे काही जरूवत परही त लोकड़हिन ह जीकर करथे। उहां के काहीं गोठ ल गोठियाही त लोकड़हिन संग अउ उहिच लोकड़हिन ह दुलौरिन के हाथ गोड़ म सिरचे मया के पीरा ल बिसराये बर तेल फूल चुपरथे। अतेक सूती के भूति ल सियनहिन मन चेत लगा के उरकाथे तेन पाय के उहां ले लहुटे के पईत नावा लुगरा पाथे।
बिहान दिन चुन्नी के ससुरार म धरमटीका रिहिस त येती थनवार घर म आन उच्छाह। सगा सोदर मन मूंदरहच ले ऊच के नहा खोर के बासी खावत रिहिन त कतको झिन सम्हरत रिहिन। थनवार के नींद उमचिस लतघस झामिन तको सुमित्ता होगे रिहिस। थनवार कना गीस अउ तिखरिस -तें कइसे सुमड़ा मन कस बइठे हस या। सरी मनखे ह चौंथिया जाये बर पहिन ओढ़ डरे हे अउ तें अबही ऊंच के बइठे हस। जा हब ले नहा अउ ककरो टेकटर ल अढ़ो। टेक्टर म जोरा के जाबो।
थनवार ह अनमनहा गत किहिस-आज चौंथिया नइ जाबो त नइ बनही वो। झामिन ह झक ले देखिस अउ पेलौली गत म किहिस-आज नइ जाबे त जम्मो सगा झर जही। न मोर मईके के भाई भउजी मन राहय न तोर फूफू मामी मौसी मन। बने नइ लागत होही ते दवई खा ले अउ तियारी कर।
थनवार के अटकपारी म आन अंधना चढ़े रिहिसे। किसिम किसिम के गुनतारा के झेलार म डूबकईया मारत रिहिस। ठउका सुरता अईस बेटा सरजू के बिहाव।
सरजू ह अपन संगवारी सुंदर के लेठवा गीस। सरजू के संग सुंदर के छोटे भाई कोदु अउ भांचा बोधी तको गे रिहिस। सुंदर ह घातेच लजकूरहा नेवरिया गत म राहय काबर के बिहाव होय पांचे महिना पहाय रिहिसे। सुवारी रूपाली ह दुवे महिना संग म रिहिस। लगते असाढ़ मईहर अईस तेन तीजा पोरा के मनावत ले बिलमे हे। सोर न पाती अउ तीन महिना। रूपाली तको नेवरनीन कस खूसरे राहय। बिहाव के बाद सुंदर ह दुवे पईत ससुरार आय हे। एक वो पईत जब रूपाली ह चौंथिया म आय रिहिस अउ दूसरई असाढ़ अईस त, कुंवार म लीहे बर अबही। सुंदर ल का किबे सुनसान दिनमान फेर लेठवा मन काबर लजाय। लेनहार सुंदर के ओनहा धोवय, बाहिर ट्टा के बेरा लोटा धर के जाय, असकट के बेरा म गोठिअई अउ हरे खंगे के जीकर लगावय तहां सिरिफ अलवईन। हांसी ठट्ठा। हांसी ठट्ठा के फेर म सरजू के चिन्हारी ह परनिया ले होईस। परनिया ह सुंदर के फूफू सास के बेटी हरय जउन तीजा माने बर आय रिहिस। रूपाली संग रेहे बर बिलमे हे। सरजू अउ परनिया ह कलेचुप एक दूसर के हिरदे म हमा गे। पठौनी के बेरा रूपाली के मामी, मौसी, फूफू, काकी, दीदी, दाई अउ बड़े दाई मन कलप के रोवत रिहिन त का होईस परनिया के आंखी नइ निथरीस। सरजू ले दूरिहाये के जीकर म फदके रिहिस। लेठवा के सेती रूपाली के दाई ददा ले सरजू ह नावा ओनहा पईस फेर गत ह उच्छाहित नइ होईस। कब कइसे बेलर जा पाहूं अउ परनिया के सउंहत दरस करहूं गुने लगीस।
देवारी के पहाते आरो पईस के बेलर म मढ़ई (मड़ई) हे। सुंदर ल धर के सरजू ह चल दिस बेलर। मढ़ई अउ परनिया ले मुंहाचाही के संग मन मढ़ई। मया ह कहां तोपाथे। दाई ददा मन आकब पईन तहां मढ़ा दिस बिहाव।
बिन नेत घात के बाले के बाला वोकर मया के परताप म बिहाव करई ह कइसन बोझहा आय तेन ल थनवार ह जानही। हाथ दुच्छा। न जोगासन के कौड़ी न पउला म धान। मितान घर ले बेवहर लईस त दाऊ घर ले बाढ़ी। नेवतागे खाप, बेड़ा लागमानी अउ चिन्हारी के सरी मनखे। चूरमाटी ले धरमटीका ह अइसे उरकिस जनामना कोनो जबर तिहार। जउंहर तब होईस जब नेवरनीन पतो ह चूल्हा जाने रिहिस न जठना अउ पेल दिन उदूप ले टेकटर भर चौंथिया। चौंथिया म आये जम्मो मनखे बर नेवता त पारबे, उपराहा म धोती-लूगरा तको दे ले परथे। थनवार अउ झामिन ह मुहूं फार दिन। सगा के माईलोगिन मन का जानय, अढ़ोही भर। ये नइ होय हे, वोला करले। मंद मउहा ले आन, कुकरा कतर दे। हा हा भीक-भीक चांचल गोंदल।
झामिन के अढ़ोते थनवार ह धर्रा पट्टी गीस अउ दाऊ के मुहाटी म ओड़ा दिस। दाऊ तको आकब पईस के थनवार ह अटके हे। अटके बनिया नौसेरा। अटक के मनखे ले जेन करवा ले अगुन छगुन करे न अटियाय। दाऊ ह गुनतारा करत बक्का फोरिस। मड़वा भात अउ मायन नेवता पारे बर आगुच ले बाढ़ी लेगे हस अब तोला पईसा तको खंग गे। थनवार भाई आगु के करू बने होथे। आदहा आदहा एकड़ के तोर कना दू ठी खेत हे। एक ठो खेत ल मोर कना गाहन धर दे। जलघस मुद्दल ल नइ लहुटाबे तलघस में ह बोहूं खाहूं।
मनखे ह साहूकारी म उतर आथे त एके ठी बूता गुनथे के मरत ल चार लउठी मरा फेर बचा झन। थनवार ह अपतकाल अउ अटक म हे, दाऊ कना नव गे। अइसनहे मितान के बेवहर हे अउ दू चार बछर के पहाते बेटी तको सजोर हो जही। गाहना धरे ले बने हे बरो दंव गुनिस अउ तुरते अकता धर के घर लहुटीस।
तीन बछर आगु कस अबही थनवार के रउत माने चुन्नी के ससुर पूरन तको दुरघट म अरझे होही। रउत ह बिहाव माढ़े ले  आगु फरी फराकत कर दे रिहिस के नेंगहा  नेंग उरकही। थनवार के जीव बियात रिहिस।  बहिनी अउ मोसी मन ओसरी पारी आ आ के अढ़ोइस फेर थनवार ह कनमटक नइ दिस। सरजू ह आके किहिस त अंते गोठ मूरकेट के टरका दिस। चारो कोती खुसुर फुसुर होइस तहां भन्नाये गत म दंगर दंगर झामिन ह अईस- तोला थोरको लागथे के नइ लागय। सबोच ल चौंथिया जाये बर उसमान छूटे हे अउ तें ह बेटी वाला होके ढेरियाय हस। सरजू ह टेक्टर ल मंगवा डरे हे। मंझन करके जाबे त बनही। संझकेरहे जाबे त वहू मन मनखे देख के रांधही गढ़ी। जब ले ऊंचे हे निचटे सुमड़ा कस बइठे हे।
थनवार ह अइलाये गत म किहिस-तें काहीं कीह ले वो झामिन फेर चौंथिया जाये बर पांव नइ उसलत हे। उच्छाहित नइ लागत हे।
बहिनी ह अईस- हमन त घातेच उच्छाह म हन भाई। ते काबर मुहूं ओथराथस गा।
मोसी ह किहिस- कब जुबाक के पहिन ओढ़ डरे हन तेन ल बिरथा कर देबे का। बपरी चुन्नी ह देखत रीह जही। सबले बड़े बात के सगा मन झर जही। सबोच के अपन अपन घर म बूता हे। झामिन ह फेर खखुवईस-ये कइसे हाबे दई सियान मन काहत हे तबहो बात लागे न बानी। झर्रा डर जम्मो सगा ल तहां जाबे लड़ंग लड़ंग। तोर घातेच मानता होही। सब सहराही।
थनवार ह समझाये कस तिखरीस- अइसन बात नोहय झामिन। चौंथिया त सबोच जाथे फेर..। मोर मन ह कइसे ते ओसरत नइये। लागथे काहीं अनभल होवाथाबे।
झामिन ह हर्रस ले किहिस- तें नइ जावस ते खूसरे राह कुरिया म..। में ह फदित्ता नइ होवन दंव। आजे जाबो अउ अभिच्चे जाबो।
लझरंग लझरंग झामिन ह जाके कुरिया म नींग गे। वो मेर जुरियाय जम्मो सगा सोदर मन ल देखत थनवार ह तिखरीस- बेटी ल चार दिन बाद लाथे तेन पाय के चौंथिया केहे जाथे। आज ह एक दिन नइ होय हे। बेटी के धरमटीका उसले होही। पांव नइ माढ़े हे अउ बरदी बराती मन कस जवई ह कइसे फबही। पढ़े लिखे अउ बड़हर मन घर जा के देख। बेटी ह ससुरार म चार दिन पहाथे तबहे चौंथिया जाथे, वहू म तीन चार झीं। तीन चार झिन ह चार दिन बाद चौंथिया जाथे। दुलौरिन के संग लोकड़हिन ल ले आथे। आज पढ़े लिखे मन कस समझादारी देखाये के जरूवत हे। तुमन रीस झाड़हू त झाड़ लव। चारी करहू त कर लव। मोर चुन्नी बेटी ह ससुरार म चार दिन पहाही तबहे चौंथिया पठोहूं वहू म चार झीं ल।
मौसी ह सहमत गत म किहिस- बेटी के ससुरार देख लेतेन काहत रेहेंव बेटा। वोकर नता गोता ल चिन लेतेन अइसे मन रिहिस।
थनवार ह किहिस-मोसी दाई, चुन्नी के ससुर तको मोरे असन हे। सरजू के बिहाव म चौंथिया के सेती में ह जेन भोगेंव नइ चांहव के मोर रउत ह भोगय।
थनवार के इही गोठ म झामिन के चेत  अईस। आंखी पझर गे।  काबर के वहू ह बिपता के भउंरी ले उबरे हे। थनवार के सुघ्गर मनसा ल सुन के कउवागे। थनवार ह गोठियाते रिहिस-तुंहर मन के मनसा हे के चुन्नी के ससुरार म जाबो..। वोकर नता गोता ल चीन्हबो त बछर दू बछर अगोर लव। बेरा के बने बने आसीस म अवतरनी होही ते समधियानो म जम्मों झी चल दुहंू। फेर में का उपर वाला तको नइ छेंक सकय। अबही बर माफी देवव।
माफी के का बात। कुरिया ले निकल के आवत झामिन ह सहमत गत म किहिस- तें काहत हस ते गलत नइये। अतका बेर ले तोर मन म ऊंचत झेलार के आरो नइ पाय रेहेंव। ठउका ल केहेस, जाही त चार दिन बाद। चुन्नी बेटी के का बुधिया के बिहाव होही तबहो चौंथिया नइ जावन। जाही ते चार दिन बाद वहू म चार झिन। इही म मनखेपन अउ मरजाद के सार हे।
झामिन के बरजते सबो मनखे के मुहूं खिलागे। वोमेर ले टरके लगिन। थनवार के आंखी तको डुहडुहागे रिहिस। दुनो एक दूसर ल देख के हिरदे के दाहरा म थाह लीस।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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