छत्‍तीसगढ़ी कहानी : भोजमनी गायता

भोजमनी गायता

फूके झारे अउ दिया बाती बर बईगा मन ह गुनी होथे। सरी किसिम के करंजा ल जानथे। इही सेती हर डिहटोला म चार झीं बईगा गुनिया खत्ता म मिल जथे। कतको लईका मन बईगइ के बग ल पाये बर, गुरू बनाके बारा उदिम करत रिथे। मसानगंज म किंजरत रिथे।
बईगा गुनिया ले आन गुन अउ मान वाला होथे गायता। गायता ह डिह टोला म सीतला दाई के संग आन देवी देवता मन के सेवा सरेखा करथे जइसे मंदिर म करथे बावा अउ पंडा।
तईहा के बात ये। अरसदेव गढ़ म राहय भोजु गायता। जेकर सउंहत नांव भोजमनी अउ सुवारी के नांव मनसिया। सात झिन लईका। चार खंड़ के मढ़िया मुहाटी। भोजमनी ल जब ले राजा सतपाल देव ह गायत बनाये हे तबले वो ह भोजु गायता के नांव जग जाहिर हे।
अरसदेवगढ़ के भंडार म नदिया अउ नदिया के पूछा म लीम रूख। रूख के खाल्हे म सीतला दाई ह कब ले बिराजे हे राज म कोनोच गम नइ पईन। भोजु गायता ह जतका बेरा, अपन लईका लोग मन ल देवय ततके बेरा ल सीतला कना तको पहावय। अरसदेवगढ़ के सरी मनखे जानथे अउ मानथे के भोजु गायता असन सीतला दाई के भक्ति करइया अऊ एको नइये। राजा तको घातेच सहराथे।
अरसदेवगढ़ म ककरो घर के गाय गरू बईला भईसा, छेरी भेंड़ी होय चाही हाथी घोड़ा थोरको ऊंच नीच होथे त पूछारी सिरिफ भोजु गायता के होथे। काबर के भोजमनी गायता के एक आकब के जरी बुटी म सनन पर जथे। बलदी म सेर चाउंर पा लेथे। इहेंच के रहईया बैजंगी बईगा ह भोजु गायता ले घातेच किसकिसी करथे। कायरी करथे। भोजु गायता ल खुवार करके सवांगे गायता बन जहूं अइसे गुनके तीन पांच करत रिथे।
एक दिन बेरा के पंगपंगाते भोजु गायता ह सीतला दाई कना गीस। नदिया के पानी म नउहईस अउ गुड़, घी के हूम दिस।  घर लहुटिस। सुवारी मनसिया ह बियारी बर बईठारिस। भोजमनी ह लईका मन संग परछी म पलथिया के बईठे पाय रिहिस अउ देव महल ले राजा सतपाल देव के सिपाही आगिस। किहिस-देव महल के धंवरा घोड़ा ह खवई बिसार दे हाबे। दू ठी गाय ह भुईयां धरे हे।
भोजमनी ऊंच गे। बिनौधा कना माढ़े भंदई ल पहिरिस। भात लावत मनसिया ह बरजीस-धर्रापट्टी लांघन झन जा। हेर डरे हंव। अन्न के फदित्ता डोही।
भोजु ह किहिस- मेंह त बाखा के तनत ले अघा जहूं फेर वोकर मनके का होही जेखर जतन जोखा मोर बिना नइ होवय। जेखर सरेखा अउ हियाव ह असलमार धरम जउन आय। वोकर मन के लांघन राहत ले में ह एक कंवरा उंचाहूं ते सीतला दाई ह सराप दिही। में ह सीतला दाई के फदित्ता नइ कर सकंव।
भोजु के धरम गोठ म मनसिया ह मुसका दिस। बिलमाय बर फेर नइ तिखरीस। भोजु ह देव महल गीस।  घोड़ा अउ गाय के गत ल अटकरीस। नेत के दवई दिस। एकेच खुराक म फरक पर गे। घोड़ा ह टन्नक होगे। काहत लागे राजा सतपाल देव, भोजु गायता ल मनभरहा सेर चाउंर दिस। मोहर दिस। भोजु के खुसी उखनागे। मनसिया बर सुघ्घर एक ठी गाहना गुरिया बिसईस। संउहे पहिरईस।
बैजंगी बईगा जल कुकड़ा। देव महल म होय भोजु गायता के मान गउन के सेती मईता भोगागे। अपन लंगरूवा चांगर अउ मांगर कना रीस झाड़ के मन भूलवारिस। चांगर मांगर ह तीन पांच म गुनतारा करीस-गुरू, सीतला पाट म पूजबन करवा दे। भोजमनी ह ठाढ़ सुखा जही। थू-थू होही।
बैजंगी बईगा काहत लागे। छानही म चढ़के होरा भूंजे बर तको लुकलुकाय रिथे। सत्तु नांव के जजमान ल परतीत म लीस अउ वोकर बनौकी बनाय के गुमझा म ढेपल दिस। सीतला पाट म बोकरा पूजागे।
भोजु गायता ह आरो पईस ते घर ले पल्ला अईस। बोकबोकाय बरन चारो मूड़ा ल देखिस। सीतला पाट ह लहू म मार लाल लाल। जी बियापगे। तुरते उहिच पांव लहुटिस अउ जजमान सत्तु कना गीस। खखुवईस- सीतला दाई ह बली नइ लेवय। जीव जानव ल दुख दूरघट ले उबारथे। तेंह अलकर पय कर देस। अलकरहा पय। तोर खाप म कोनो अपतकाल मरही नइते रोग म अईठ के। पूजबन देवईया बर सीतला दाई के इही परताप हे। तेंह सरपीन होगेस, सत्तु सरपीन। पाप करे हस। भोगे ले परही, भोगे ले।
सत्तु जजमान ह अंटियावत गोठिअईस- बैजंगी बईगा ह मोर हितवा ये तेन पाय के उदिम करिस। मोर बर बनौकी के रद्दा चतवारिस। अउ एक तें हस जउन निरौना लगाथस। भल ल जानस न मानस अउ ताना मारथस। भठे के गोठ सरापथस। तें जा मोर मुहाटी ले।
जजमान ले फदित्ता पाय भोजु गायता ह जाये ले आगु अतके किहिस- बली के मास खवईया ह मरय नइ त का होईस अलहन पाथे खत्ता म। काहीं न काहीं दूरघट के अंगरा जरथे। खोचका न डिपरा तबहो हपटथे।
भोजु गायता के गोठ ह सत्तु ल नइ जियानिस। एक ले दूसर कान नीकरगे। मनहिता के फत्त बर जउन माते रिहिस। जम्मो करनी ह सिरतो अउ नीक लागत रिहिस। साग चूरीस तहां बैजंगी बईगा अउ चांगर मांगर ल सोरिअईस। तीनों झीं ल परछी म बईठारिस। डूवा डूवा बोकरा के साग परसिस। बईगा अउ चांगर मांगर ह उतारा ढरका के आय रिहिन बोकरा के चानी ल मार चगल चगल के खईन।
दुख अउ सोह म सराबोर भोजु गायता ह मने मन सीतला दाई ल सुमरत सरी लहू ल धोईस। बम्बावत भोजमनी के मन ल हरू गत लहुटाये बर सुवारी मनसिया ह साफर होवत तिखरीस- पय करईया जजमान ह भोगही। सीतला दाई के सरन म पूजबन के पाप करईया बईगा ह भोगही। मानव अउ जानव के मन धरम ल फदित्ता करईया मन भोगही। तेंह संसो सूतक के हूल म झन बोजा। अपन लहू ल तीपो के तन ल झन अगिया।
भोजमनी के मन ह लटपट दुख ले सूभीता होईस। मानता अउ सांती बर असाढ़ अमावस के सीतला दाई कना जबर जलसा जुड़वास करिस। जबर जलसा ल का किबे घरो घर ले सेर चाउँर अईस। राजा तको साफर होईस। एक घंव फेर चढ़ावा ल देख के बैजंगी बईगा ह मने मन म राख होगे।
एक घंव मंझनिया के बेरा मनसिया ह हाट पसरा भूति जावत रिहिस। रद्दा म एक ठी लीम रूख के खाल्हे तीन ठो गाय ह पागुर भांजत बइठे रिहिस। चिन्हार के ससाहोली ह गाय मन ल हांक के उंचावत रिहिस तेन म मनसिया ह अटघा मारत तिखरीस-लीम रूख के खाल्हे म गाय गरू हे त माने जाथे के वो ठउर सीतला दाई तको थीरावाथाबे। ससाहोली, येमन ल झन खेदार। अइसनहे झांझ हे। बपरी मन अऊ कती जाही।
ससाहोली ह सुभाव ले अईबी। मनसिया संग मूहजोरी करिस अउ तहां फेर बोंगा म ठठा के गाय मन ल खेदार दिस। मनसिया भन्नागे। बरजे म नइ रबकीस तेन पाय के जी खखुवा गिस। जरे म नून नाये कस ससाहोली ह आंखी  लड़ेरिस। मनसिया ह का करय, फनफनावत रेंग दिस।
वोती भोजमनी ह नदिया म नहाके घर लहुटिस। घर म बड़े बेटी मतईना ह धुर्रा फूतकी के बूता म बिल्होराय रिहिस। मूहाचाही म अढ़ोइस-हब ले नहा खोर के बने कोर गांथ ले बेटी, सगा अवईया हे। बने खात पियत खाप बेड़ा के सगा ये, भांवर पर जही ते जोड़ी बनेच खपही।
मनसिया ह खोर कोती ले अईस अउ परछी म बईठ गिस। बरपेली कस ससाहोली के गोठ करिस। भोजमनी ह अतके किहिस- का नंगरा के नहाय का नंगरा के नीचोय। वोइसन मन के का मुहूं लागथस। ससहोली ह अइसने नकटा मनखे। रीस ल थूक अउ अबही सगा अवईया हे तेखर सरेखा बर जीकर दे। ठउका केहेस किके मनसिया ह उंचीस अउ मांदूर परछी के सकला करे बर तीर म मांढ़े खरहेरा ल उँचईस। 
ठउका बेरा म सगा मन अईन। मतईना ल सोनगुरिया धरईस अउ बिहाव माढ़गे। असलग लागमानी मन नेवतईन। राजा सतपाल देव कना नेवता पठोईस। नेवता हारी के बूता उरकते साठ खाप बेड़ा के आसीस म मतईना के भांवर परसमाली संग परिस। तुरते पठौनी होईस अउ मतईना ह परसमाली के मुहाटी म पांव मढ़ा दिस। मढ़िया मुहाटी म नींगते साठ मतईना ह देखिस के मांदूर म एक ठी बोकरा बंधाय हे। गोड़ ठोठक गिस। नेंग जोग के संगे संग बोकरा के धूरपईयां पूजबन होईस। मतईना ह कउवागे। लोकड़हिन ह आरो लेके बतईस के येकर बेड़ा म इही मरम होथे। बड़े पतो मुहाटी नाहक के निंगथे त वोकर पांव धोय ले आगु बोकरा पूजथे।
मतईना सुकुरदूंग। घिनाय के मुहूं चलाय। घर देख पतो ह कठौती खाप लेथे फेर मतईना का करय। पूजत बोकरा के गत ह मन म सउंहत जउन समाये हाबे। पंगत के पईत परसमाली के संग मतईना ल तको खाये बर बईठारिस। बोकरा भात। मतईना सन्न। मन संवागे तिखरीस। कोनों जीव के बली देवई बने नोहय। जीव ह जीव मांगे न ककरो जीव पाके गदगद होय। जेखर घर बली देथे तेखर घर धरम खुआर हो जथे। कोनो न कोनो अपतकाल मर जथे नइते काहीं बीमारी म अईंठ जथे। न मेंह बली ल मानंव न बली के मांस खांव। गायता खाप के दुलौरिन अंव।
परसमाली अउ वोकर खाप के जम्मो मनखे, सगा, संगवारी, ढेरहिन, सुहासिन मन मतईना ल बोकरा साग खाये बर बरपेली करिन। मतईना मार बानी वाली, हाथ नइ नाईस। खखुवाय खाप बेड़ा मतईना ल छर छुरा के तुरते निकाल दिन। सगा संगवारी नइ झरे रिहिन अउ मतईना लहुट अईस। भोजमनी अउ मनसिया के मूड़ म पहार माढ़गे। चारी अउ फदित्ता के रंग म बेड़ा खाप अउ लागमानी मन मात गिन। महतारी होके मनसिया ह किहिस-बने करेस बेटी मतईना बने करेस। गायता बेड़ा के मान ल बढ़ा देस। पूजबन खाय म बंधना के जिनगी पहाये ले बने हे के हूरहेल्ला होगेस। देव धामी के नांव म बली देवईया मन सईताहा, मनहिता अउ बैझड़ होथे। आरूग मया ल जाने न मानव जानव के सत धरम ल।
भोजमनी ह मन मार के रिहगे। जइसे बनही तइसे बनौकी बनाबो गुन के मतईना ल पोटार लीस। दूरघट दुख ल पोगरा लीस। नीथरत आंखी ल पोंछ लीस।
अरसदेवगढ़ के रकसहूल फांक म डोंगरी हे। इही पईत डोंगरी म उदूप ले साघव नांव के राक्षस अईस। राक्षस के दर्रहा। डोंगरी म हरहिच्छा चरत जीव जानव मन ल मूरकेट के जेईन। ये राज म घातेच चारा हे किके साघव राक्षस के दल ह डोंगरी म डेरा डार दिस।
एक दिन भोजमनी अउ मनसिया ह सीतला पाट म लीपे बाहरे के बूता करत रिहिस। लीपईस तहां भोजू गायता ह किहिस- मतईना ह घर म बम्बावत होही, तें जाबे त वोला बने लागही। लईका मन तको अंते तंते होही। भोजु के बात मानिस। लिपई के मरकी अउ पोती ल धर के मनसिया ह घर जावत रिहिस के ससाहोली देख परिस। कूड़काय बर लीम रूख के खाल्हे म खड़े गाय अउ गोल्लर ल लउठी म मारत खेदारिस। मनसिया ह अगियावत जीव म तिखरीस- ससाहोली मोर जीव जरोहूं गुनके गाय गोल्लर ल ठठावाथस त  का तोर जीव ल बने लागाथाबे। भठबे त तिहीं ह। बरजईया के देंह नइ तीपय।
भल बर मरे त अनभल के टेटरा निकरे कस ससाहोली ह गुर्रइस- बरजईया अउ सरपईया तें कोन होथस। ये लीम छांव म सीतला दाई होही त देखाही अपन सत ल। में त ठठाहूंच।
ससाहोली के गत गिनहा ल देखिस ते मनसिया के मईंता भोगागे। खून खउलगे फेर का करय। दंगर दंगर अपन रद्दा रेंग दिस। वोती कुड़काय बर ससाहोली ह हांस हांस के गाय गोल्लर ल मारते रिहिस।
एक दिन सीतला दाई के सेवा भाव म भोजु गायता ह बेधुन रिहिस। बैजंगी बईगा अउ वोकर लंगरूवा मन अईन। ठेही गत म गोठिअईस- सीतला दाई के काहीं सत होतिस त लागथे अपन टोंटा कतर के मुड़ी मढ़ा देतेस। का पा लेथस तेमा पखरा कना करम ठठावाथस।
भोजु गायता ह लड़ेरिस- सीतला दाई ह बली नइ लेवय त कोन उजबक ह टोंटा कतर के मूड़ी मढ़ाही। मढ़ाथे त पापी पयहर मन ह जेन ल सउंहत देख तको डरे हंव। अउ अतका जान ले राह बैजंगी, काहीं पाये बर सीतला दाई के सेवा नइ कराथाबंव। काराथाबंव त अरसदेवगढ़ के मानव जानव ल बिपता ले उबारे बर। मारे भोंगे के सत ल तिहीं पतिया।
बैजंगी बईगा ह गरबईला गत म किहिस- हमर सत अतके हे भोजु फूंक-झार,  दिया-बाती, कुकरा-बोकरा अउ मउहा के उतारा। अबही त कतकोन जजमान मन मोला सोरियावत रिथे। घर ल बांधे बर। गोर्रा ल तारे बर। मुहाटी ल बनाये बर। मोर पुछारी आगर होवाथाबे, पुछारी।
हासंत हांसत बजैंगी बईगा ह रेंग दिस अउ भोजमनी ह देखते रिगे। ठउका एक झिन मनखे ह अकबकहा गत म अईस अउ लटपट बतईस- जउंहर होगे गायता जउंहर होगे। डोंगरी कना मोर एक जोड़ी बईला ह चरत रिहिस। उदूप ले रक्सा अईस अउ दुनो बईला ल खा दिस।
भोजमनी कउवागे। उदसा मारे कस लउहा गीस। डोंगरी के लकठा म ठांव ठांव हाड़ा गोड़ा मन बगरे रिहिन। अचरज म चारो मूड़ा ल देखत रिहिस के एक ठी रक्सा अईस। किंजरत कुकुर ल धरिस अउ सनकलप होगे। भोजु गायता सन खागे। संसो म परगे। सीतला दाई ल सुमरे लगिस।
अरसदेवगढ़ म सोर उड़ियागे के डोंगरी म राक्षस मन के डेरा हे। जीव जीनावर मन ल मार मार के जेवाथाबे। अब ये राज के का होही? राक्षस ले कइसे उबरही? गुड़ी पारा, मुहाटी मुहाटी साघव राक्षस के गोठ। इही पईत बिहिनया जुवार राजा सतपाल देव के रानी परमील ह नाहवत रिहिस। नहा के जइसे महल कुंड ले निकरीस तइसे उछर डरिस। दासी मन आकब म बतईन के रानी ह देंह म हे। राजा गदगद होगे। महल म घातेच उच्छाह जलसा होईस। राजा सतपाल देव अउ रानी परमील ह हूम देके आसीस पाये बर सीतला दाई कना गीस। हूम देके लहुटत रिहिस त भोजमनी गायता ह निरौना म गेलौली करिस- राजा देव, डोंगरी म साघव राक्षस के डेरा हे। मानव जानव ल खुआर कराथाबे। तिहींच ह छूटकारा देवा सकथस।
राजा ह महल म जाते साठ साघव राक्षस ल मारे खातिर सिपाही पठोईस। सिपाही के तीर तलवार ल राक्षस मन थोरको नइ घेपिन। कतको सिपाही ल मूरकेट दिन। डोहार के खरही गांज दिन। खरतरिहा कस गे सिपाही मन हिनहर कस जी परान दे के भागीन। राजा ल संसो चढ़गे। आगर सिपाही पठोईस। साघव राक्षस ह वोकरो मन के रार मचा दिस। राजा ह किहिस-जलघस बनौकी नइ बनही तलघस राक्षस कना चार ठी जीव जीनावर ल रोजेच अमरावत राहव। राज म ओईलय झन नइते मनखे मन ल खाय लगही। सिपाही मन वोइसने जोखा करे लगीन।
येती परसमाली ह चार झिन सियान धर के मतईना ल लेगे बर अईस। मतईना के मनसा उजागर होईस- जेन घर म पूजबन के मरम हे तेन घर म न धरम रहय न सांति। वो मुहाटी म पांव मढ़ाबे नइ क रंव वो घर सरपीत होगे हे। कहूं अउ रखबे त तोर संग सरी दुख बिपता सहे बर तियार हंव, पदई खावाथाबे। अंटियावाथाबे। पांव हे त पनही के दुकाल नइये किके परसमाली अउ संग म आये सियान मन लहुट गीन।
वोती साघव राक्षस के अतलंग त येती ससाहोली के अईबी मन। मनसिया के जी हलाकान। बूता लेके खोर पारा ले जावत रिहिस। दूरिहच ले ससाहोली ह देखिस। लीम रूख के खाल्हे जीव जानव बईठे रिहिन। ससाहोली ह लाहो जउन लेवाथाबे फेर काहीं जोंगे लगिस। मोर सेती जीव जानव ह मार खाही, सीतला दाई के मान जाही गुन के मनसिया ह आन रद्दा रेंग दिस। ससाहोली के मईंता भोगागे। रिस जुड़ाय बर जीव जानव ल छरिस। कूदईस।
वोती भोजमनी गायता ह सीतला दाई कना गेलौली करत रिहिस। केलौली करिस के अरसदेव गढ़ राज ल साघव राक्षक ले उबार दे। मनसिया ह मतईना के बिपदा ल टारे बर केकौली करत रिहिस। दुनो ल बिल्होरे बोरे बर बैजंगी बईगा ह अपन सुरांवट जजमान मन ल पेलौली करत रिहिस। फूके झारे म बनौकी बनथे किके उभरावत रिहिस। पूजबन म जिनगी सम्हर जथे किके फूलोवत रिहिस। गुमझा म नावत रिहिस। मानव समाज ल अरझावत रिहिस।
चउमास के आते साठ अरसदेव गढ़ म अलकर बिपता सिरज गे। चपका खूरहा म घरो घर के जिनावर फदक गिन। बैजंगी बईगा ह गुनतारा करिस। अपन रस रद्दा के आन बईगा, जजमान अउ चांगर मांगर सकेल के राजा कना गीस। निरौना लगईस- एक त रक्सा के मारे हलाकान राजा, उपराहा म खूरहा चपका। जीव जिनावर दंदराथाबे। अपतकाल के बिपता ले उबारे बर भोजमनी गायता ह काहीं उदिम मढ़ाय नइते सीतला भक्ति के ढोंग मरई ल बंद करय। अइसे मनखे ल गायता बनाये जाय जेन ह करंजा जानथे अउ बिपता ल दूरिहा सकथे।
राजा के बाजा बाजगे। तुरते सिपाही ल अढ़ोईस के भोजमनी गायता ल महल म ले आवय। सिपाही मन तुरते ताही गीन। जावत जावत देखिन के एक ठी लीम रूख कना अब्बड़ झिन मनखे जूरियाय हे। लकठा म गीन त आरो पईन के ससाहोली नांव के मनखे ह गरफांसी म ओरम गे हाबे। घातेच अईबी रिहिस। खाप बेड़ा म झगरा के सेती अपतकाल सिरागे। रोवत लोग लईका मन ल दुलारत मनसिया ह आकब पागिस के सीतला दाई के परताप म सिराये हे। उहिच कना भोजु गायता तको रिहिस। सिपाही मन गायता ल अपन संग म लेगिस।
राजा सतपाल देव ह किहिस- भोजमनी, ये राज म का बिपता आय हे तेन ल तहूं जानाथाबस। अइसने जीव जिनावर मन मरत रिहि ते परलय हो जही। मनखे मन  नास हो जही। महामारी म मानव बांचे न जानव। तें गायता अस। बनेच मान मनौती कर नइते जेन ह करंजा के परसादे अरसदेव गढ़ राज ल उबारही तेने ह इहां के गायता बनही।
राजा के बात ल सुनते साठ भोजमनी गायता ह ठाढ़ सुखागे। मनसिया ह संसो म परगे। लईका मन बोकबाय होगे। दुब्बर बर दू आसाड़ कस बैजंगी बईगा के कूड़कई। भोजमनी भन्ना गिस। सितलादाई के ठउर म रकपीक रकपीक गीस अउ दुख गोहरा के समाधी ले लीस। बानी वाला गायता ह ककरो बरजई ल नइ घेपिस न मानिस। राज म गोहार परगे देखनी होगे।
भोजमनी गायता के भक्ति अउ परतीत ह सीतला दाई ल गोहारिस। करिया लुगरा पहिरे, करिया गाय ऊपर बईठे अउ करिया झंडा लहरावत सीतला दाई ह तीनों लोक म किंजरत रिहिस। एक हाथ म बाना अउ दूसर हात म लीम डारा धरे जीव जिनावर मन ल दुख पीरा ले उबारत रिहिस। सीतलादाई ल एक ठांव म भूख पियास म लाहकत  झबला ह बइठे दिखिस। करिया गाय उपर बइठे सीतला दाई ह अईस के चल येला का होगे। झबला किहिस-डोकरा होगे हंव कब के लांघन हंव सुरता नइये। तोर परसादे मोर बाखा तन जही। सीतला दाई तिखरीस-तोर इही दुख खंगता हे? झबला ह रोमिहईस-हहो। अब भूख ले उबरे बर तोर ये गाय ल खाहूं।
सीतला दाई - ये ह त मोर....।
सीतला दाई के गोठ ल नइ सूनत हर्रस ले किहिस- करिया गाय के सवारी अब्बड़ कर डरेस अब मोला दे दे। मास खाथंव। नइ खाहूं त मोर परान जात रिहि। संसो म सीतला दाई ल पा के करिया गाय ह किहिस- ये मोर भाग आय जउन ककरो भूख मेटाही। बघुवा तोला मांस चाही फेर दाई ह अपन होके जीव जिनवार ल तोर आगु म नइ ढपेलय। मोला हबक ले। मोर भाग जागही।
करिया गाय कना झबला बाघ ह अईस। ठउका सीतला दाई ह बन गूंडर ले हाथी मन के कलहरत आरो पईस। वोकर मन कना जाये बर सनकलप होगे। झबला बाग ह करिया गाय ल हबक दिस।
हाथी के एक ठी पीला ह गढ्ढा म गीरे रिहिस अउ लईकोरी के संग गोहड़ी के जम्मो हाथी मन निरबस रिहिन। सीतला दाई ह अपन चमत्कार म पीला ल पूछा म बईठार दिस। माई के संग वोमेर जुरियाय जम्मो हाथी उच्छाहित होगिन। सीतला दाई ह सोझ अपन करिया गाय कना लहुटिस। झबला बाघ ह गाय ल खा के अपन गोड़ म छबड़ाये लहू ल चांटत रिहिस। सीतला ह तिखरीस- अघागेस? तन गे तोर बाखा ह?
झबला बाघ ह किहिस- जी जुड़ाय कस लागाथाबे। अब ससन भर उंघाहूं त नीक लागही। सीतला दाई ह मुसकईस। झबला बाघ ह सउंहत गदहा बनगे। सीतला दाई ह गदहा के पीठ म बईठ के गीस अपन नेते फांक कोती। रद्दा म एक झीं सिकारी ह हिरन मारे बर नेतत रिहिस। सीतला दाई के परताप वोकर एको ठी बान ह नइ परिस। सिकारी ह एक ठी झूंझकूर म झपागिस अउ हिरन ह बोचकगे। अतकेच बेरा म  सीतला दाई के जीकर बिल्होरईस। टक लगा के देखिस त अरसदेव राज ह दिखिस।
समाधी म बईठे भोजमनी ल देखो देखो। राजा तको आय हे। कोनो सहरावाथाबे त कोनो ह कूड़कावाथाबे। राजा ल नइ फबिस तहां ये किके रेंग दिस के गायता ह बईहागे हाबे। राजा के जाते साठ बैजंगी अउ चांगर मागंर ह अतलंग करिस। चारी के संग ठेही मारिस। पयहर बरन परसमाली ह घला सीतला दाई के रंग म माते अईस। मनसिया ले क्षिमा मांगत किहिस- मेंह मतईना बर आय हंव। जेन ह मोर घर म पूजबन दिस वोकर देंह भर फोरा फूटगे हे। सीतला दाई के परताप म भोगाथाबे। वो घर ले अलग आन मढ़िया मुहाटी म मतईना ल रखहूं।
मनसिया ह क्षिमा कर दिस। मतईना ह परसमाली के पांव परिस। दुनो झिन सीतला दाई कना माथ नवईस। अतके बेरा सीतला दाई ह सउंहत जम्मो मनखे के मंझोत म अईस। सब बक खागे। सीतला दाई ह भोजमनी के समाधि ल भंग करत तिखरीस त भोजमनी किहिस-तोर सत ल कोनो नइ पतियावाथाबे दाई। सउंहत होके मान रख देस। अतके गेलौली हे दाई के राज म खूरहा चपका ह घातेच सिरचे हे उपराहा म साघव रक्सा के दल ह डोंगरी म डेरा डारे हाबे। दुनो ले  येराज के जानव मानव ल उबार दे।
सीतला दाई ह लीम के डारा देवत किहिस-जेन जीव जिनावर ल छूवाबे, छुवाते साठ खूरहा चपका ले छुटकारा पा जही। टन्नक हो जही। भोजमनी ह जइसे डारा ल धरिस तईसे सीतला दाई सनकलप होगे। सीतला दाई के संग भोजमनी के तको जयकारा होईस। भोजमनी ह तुरते सब जीव जिनावर ल लीम डारा छुवा के  चंगा करत रिहिस के बैरी बैंजगी ह डारा ल नंगा के पल्ला भागिस। सीतला दाई के परताप बैजंगी ह हपट के गिरिस ते ऊंच नइ सकिस। लोकवा लहुट गे। भोजमनी ह लीम डारा ल धर के फेर बिमरहा जानव मन ल चंगा करे लगीस।
वोती सीतला दाई ह रकसहूं के डोंगरी म जाके राक्षस बर घूंकरीस। साघव राक्षस ह टोंटा फोर के हांसत अईस अउ सीतला दाई ल धकिया के गदहा ल खा दिस। सीतला दाई ह भन्नईस ते वोकर हाथ म लककल लकलक करत बाना अउ सांग आगे। दुनों के झगरा मातगिस। साघव राक्षस का वोकर बेड़ा के तको खुआर होगे।
जलघस साघव के रार मचईस तलघस राजा ह आगे रिहिस। एक ठो करिया गाय तको ले आय रिहिस। राक्षस के खुआर होते राजा ह सीतला दाई के पांव म गीर गे -मोला क्षिमा कर दाई। में ह परतीत नइ करेंव। गायता ल बइहागे किह परेंव। मोला क्षिमा करव अउ ये करिया गाय ल भेंट लेवव। 
सीतला दाई के जय जय होवत रिहिस। भोजमनी गायता के संग वोकर खाप तको आगे रिहिन। छोटे बड़े मनखे मन दरस बर आते रिहिन। राजा ह हाथ जोड़ेच रिहिस। सीतला दाई ह करिया गाय ऊपर बइठिस तहां सनकलप होगे। राजा ह अढ़ोईस-भोजमनी गायता, सीतला दाई ह अब नदिया पूछा म नइ राहय। रिहि त देव महल के कूंड कना। राजा के मनसा म सब होईस। सीतला दाई ल जयकारा करत देव महल लेगिन। आषाढ़़ अमावस के दिन लीम रूख कना सीतला दाई के स्थापना होईस। घरो घर ले सेर चाऊँर अईस त राजा ह पूरा राज म तिखुर पाग के प्रसाद बंटवईस। भोजमनी के भाग जाग गिस।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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