छत्‍तीसगढ़ी कहानी : पाहरू पहाटिया

पाहरू पहाटिया

गोबर कचर करईया अउ गरूवा चरईया पंचन माने राउत रउतईन। राउत म मंगलू यादव ह जिनगी भर गौंटिया पारा पाहट चरईस। पाहट चरावय तेन पाय के नेउरडिह म मंगलू पहाटिया के नांव जानय। सुवारी ह मोंगरा पहाटनीन कहावय। दुनों झीं ह न गौटिया के निरौना जानीस न ककरो ले बद्दी हिजगा। कोनो डिह टोला के गौंटिया होय, दू तीन एकड़ डोली ल पहाटिया बर अलगिया दे रिथे। जे ह पहाटिया डोली कहाथे। पहाटिया डोली म गौटिया घर बूता करईया पहाटिया ह बोथे खाथे। येमा के जम्मो अन ओनहारी ह पहाटिया के होथे तेन पाय के राउत मन ह गौंटिया पारा पाहट लगे बर लुलवावत रिथे। डिह टोला के जम्मो राउत रउतईन म पहाटिया पहाटनीन के मान गउन ह आगर अउ ऊंचहा होथे।
मंगलू पहाटिया अउ मोंगरा पहाटनीन के दू झीं बेटा होईस। बड़े के नांव बिसनु अउ छोटे के नांव पाहरू। दुनों के भांवर परगे रिहिस। तीन झिन बेटी अवतरीस तउनो मन ससुरार चल दे रिहिन। वोला काहींच के संसो नइ रिहिस। अबहो गौंटिया घर पाहट कमावाथाबे। जिनगी भर जर जूड़ जानीस न खांसी  खोखी। जिनगी के पहाती म अलहन होगे। पाहट ल पहट के बेरा पसेला चराय बर भर्री खार गे रिहिस। करिया डोमी ह गुठुवा कना ल चाबीस ते बेर पंगपंगाये ले आगु जिनगी मुंधियार होगे। मोंगरा के हाथ खाली होगे।
बड़े बेटा बिसनु ह घातेच सईताहा मनहिता (सुवारथी)अउ चतुरा रिहिस। मंगलु के मरते साठ गौंटिया घर के पाहट ल पोटार लीस। पहाटिया डोली ल पोगरा लीस। पाहरू ह लठेंगरा होगे। नेउरडीह म अऊ पाहट नइ रिहिस। बरदी रिहिस तेन ल आन राउत मन चरावत रिहिन। दुरघट म पाहरू का करय, खेती खार के बनी भूति म जांगर हूरकाईस। कोनो दिन मंडल पारा त कोनो दिन गौंटिया पारा।
आठेच महिना म पाहरू अउ बिस्नु के मया रईल होगे। दुनों के सुवारी म थोक थोक बर ठेंसरा। गारी, चारी अउ झगरा। देवारी ले आगु हड़िया अलगा गे। दुनो भाई के मांदूर खंड़ा गे। उधो के लेवई न माधो के देवई। अपन रद्दा अवई  अपन रद्दा जवई। सियनहिन मोंगरा ह पाहरू के बांटा म गिस।
गौटिया मन ह दू भाई रिहिस। ठउका दुनो भाई तको बांटा होईस ते पाहरू के भाग जाग गिस। एक झीं के बाड़ा म बिसनु ह पाहट लगिस त एक झी के बाड़ा म पाहरू ह। दुनो झिन पहाटिया डोली पईन। बिस्नु ह त आगुच ले पाहट चरावत रिहिस अब पाहरू तको पहाटिया कहईस। पाहरू पहाटिया के सुवारी ह बुलिया पहाटनीन कहईस। दुनो झिन बेरा के बेरा बांड़ा म जावय अउ बूता उरकावय। महतारी  मोंगरा ह लईका मन के सरेखा करय। घर के सकला करय। आगी बारय।
पाहरू पहाटिया के तीन झीं लईका बड़े के नांव खेदिया। खेदिया ले छोटे महादेव अउ सबले छोटे धनेस। तीनों झिन इसकुल जाथे। पढ़ई लिखई म जीकर लगाथे।
महादेव ह आठवी म रिहिस तेन पईत वोकर ककादाई मोंगरा ह परलोकी होगे। मोंगरा के नाहवन नाहकिस तहां खेदिया के पढ़ई ल छोड़वा दिस। पाहरू पहाटिया अउ बुलिया ह पहट होते साठ उंचय। गौंटिया के बांड़ा जावय। महादेव अउ धनेस इसकुल त खेदिया ह घर के सरेखा सकला करय। आगी बारय।
देखते देखत बेरा कइसे पहाथे आरो नइ मिलय। खेदिया ह बिहाव के उमर ल अमर लीस। महादेव ह दुधरू जवान त धनेस ह सजोर होगिस। पाहरू पहाटिया लागमानी असलग मन कना सोर पठोईस। बने अक सगा पईस तहां खेदिया के भांवर पार दिस। भांवर के तिहार म महादेव के आंखी ह बुधिया के आंखी ले अभरीस। बुधिया ह नेउरडीह के छेंवपारा म रहईया मोती के बेटी ये। मोती ह नेउरडीह म तीस घर के बरदी चराथे। मोती बरदिहा अउ पाहरू पहाटिया के बनेच सुंता संगती हाबे तेन पाय के महादेव अउ बुधिया के भेंट गोठ म काहीं अटघा परीस न दुरघट। दुनो झिन मया म मात गीन। मया मुसकान अउ माहक ह लुका के नइ राहय।  मोती अउ पाहरू ह आकब पागे रिहिन। दुनो कोती ले वोकर मन के मया ह मानता पा लिस।
जड़कलहा के सम्मत। जाड़ के मारे मनखे का कुकुर कोलिहा अउ खूसरा घुघवा मन थर खाये रिहिन। रूख-राई मन करागे रिहिन। झोंजका मचोली म मार कथरी दसा के लईका ले सियान मन के मूड़सुद्धा सुतई। चुरूमुरू। पहाती के  सुकुवा ल देख ऊंचईया मन बर दूरघट होगे हाबे। बेर उवे ले लटपट उंचथे।
कुकरा बासीस चार घौं त पाहरू पहाटिया ह अलथी कलथी लीस। जइसे ओढ़ना ल घूंचईस तइसे जाड़ के मारे घुरघुरागे। अनमनहा ऊंचीस। कमरा खुमरी ओढ़ के दूद सारे बोंगा ल धर के डांड़ भोगे कस कुरिया ले निकरीस। मांदूर म जाके देखिस। धूंधरा के मारे जग अगम। बरपेली कस भंदई पहिर के निकरीस। गौंटिया के गोर्रा म गीस। दू कोरी गरूवा के पाहट ल ढिलिस। पसेला चराय बर खार कोती लेगिस।
पाहरू पहाटिया के पाहट ह चरत चरत डिह के खाल्हे उतर गे रिहिस त आन मन के टेन ह ढिलईस। जईसे पहट होईस तइसे जम्मो झिन के टेन ह लहुटिस। बरदी टेन मन अपन अपन गोर्रा म ओईल गीन। पाहट टेन ल तुरते नइ ओईलावय तेन पाय के दईहान म ठोक देथे। पाहरू पहाटिया ह अपन टेन ल ठोंक के गोर्रा गीस।
गोर्रा म रतिहा के परे गोबर  मन  ल एक ठांव सकेलीस। कांदी पैरा के गउदन ल रपोट के कूढ़ोईस तहां राहेर काड़ी के खरहेरा म खरहारिस। खरहरईस तहां गोबर ल कांवर कांवर डोहार के छेना बारी म अमरईस। छेना थोपे के ठउर म कूढ़ोईस। गउदन ल कांवर कांवर डोहार के बियारा के घुरूवा म फटकिस। अतका बूता के उरकावत ले वोती बुलिया पहाटनीन ह बांड़ा के खोर ल खरहार के छरा गोंटी कर डरे रिहिस। परछी मांदूर ल बाहरी म बहार के गोबर पानी म औठिया डरे रिहिस। रतिहा के कजराहा अउ बियारी के टठिया मन ल मांज धो के मढ़ावत रिहिस। पाहरू ह अईस तहां बुलिया के संग हउंला-हउंला पानी भरीस। पानी भरत ले गोर्रा के भूईयां ह भंभा गिस।
पाहरू  ह पाहट ल लाने बर दईहान कोती गीस त बुलिया ह छेना थापे बर छेना बारी। दईहान म ठोंकाय पाहट ल उसालीस। गोर्रा म ओईला के पैरा नाईस। दुहानू मन बर दाना भूंसा बनईस। दुहानू गरूवा ल दूह के सुभित्ता होईस तहां नहा खोर के घर गिस। तलघस बुलिया ह रांध डरे रिहिस। दुनो झीं संघरा  खईस।
पाहरू पहाटिया ह फेर गोर्रा गीस। पाहट ल ढिलिस अउ चराये बर खार कोती रेंगईस। बुलिया ह सकला करिस तहां पहाटिया डोली गीस। डोली म सुग्घर झिल्ली धान बोय हे तेमा घऊंरे  करगा मन ल सूंढ़रे के बूता करीस।
बुलिया ह करगा छांटे के बूता म सरमाटाये रिहिस अउ महादेव ह बुधिया के मया म बिल्होराये रिहिस। धनेस ह इसकुल ले आवय तहां घर ल राखय।
पाहट लहुटे ले आगु बुलिया ह पहाटिया डोली ले अइस। गौंटिया के बांड़ा गीस। सबले आगु बछरू मन ल वोकर खोली म ओइलईस। पसीया पानी दिस। परछी मांदूर ल बाहरीस। मंझनिया के निकरे टठिया मन ल मांजीस धोईस। गौटनीन कना बईठ के दू आखर तीखरीस। गौटनीन के अढ़ोय नान मून बूता ल उरका के बांड़ा ले निकरीस।
खार कोती ले पाहरू पहाटिया के पाहट आवत रिहसि। रद्दच म पाहरू अउ बुलिया के भेंट होईस। पाहरू  ह कांखत किहिस। हकरे असन लगाथाबे वो महादेव ल पठो देबे।  उही ह आज दूहही बांधही।
बुलिया ह घर गीस त महादेव ह कुरिया म खूसरे पढ़त रिहिस। बुलिया ह हूत पारीस। महादेव। पढ़ते पढ़त महादेव ह आरो दिस - ओय। का होगे दाई?
बुलिया- तोर ददा ह बने नइ लागाथाबे काहत रिहिस। थोकन दूहे बांधे बर जाबे। वोदे खूंटी म नोई ह अरवाय हे।
पारम्परिक जिनगी ले महादेव ह घिना गे हाबे। पाहट बूता बर थोरको मन नइ रूचय। अलकर म परथे तबहे गौंटिया के गोर्रा म जाथे। जांगर हूरका के बूता उरकाथे। अनमनहा गत म किहिस-हव।
पाहरू ह गोर्रा म पाहट ल ओइलईस अउ पैरा ना के घर अईस। खूंटी म अरवाय नोई ल धर के महादेव ह घर ले निकरीस। बांड़ा ले दूहनी अउ बाल्टी ल धर के गोर्रा म गीस। आगु लेवई पीला वाला गाय मन ल दूहीस तहां फेर बकेना पीला वाला गाय ल।
दूहईस तहां पीला मन के पीयत ले गौंटिया कना बईठ के तीखरत रिहिस। जम्मो बछरू ह बाखा के अघावत ले पीईन तहां बछरू खोली म वोमन ल ओइलईस। गोर्रा ले निकरीस तेन सोझ बुधिया के घर कोती गीस।
येती पाहरू ह जर बुखार के अटकर करत रिहिस। ताते तात खईस अउ खटिया म ढलगीस। महादेव ह बुधिया के घर कोती ले अईस तहां महतारी बुलिया अउ धनेस के संग बियारी करीस।
बिहाने के बिहनिया ह पाहरू ल ऊंचन नइ दिस। बुखार आगर होगे रिहिस। बुलिया ह महादेव ल उंचईस। दूरघट के बेरा म कइसेच अगुन छगुन करतीस, आंखी रमजत ऊंच के घर ले निकरीस। गौंटिया के गोर्रा गीस। पाहट ल ढिल के पसेला चराये बर गीस। पहट होईस त दईहान लहुटीस। गोबर कचरा करीस। पानी भरीस। दूहिस बांधिस। पाहट चराये बर खार गीस। संझौती के खार ले अईस। जम्मो गरूवा ल पैरा भूंसा देके फेर दूहीस बांधिस।
पाहरू पहाटिया के बुखार ह सिरागे त का होईस जांगर ह टन्नक नइ लागत रिहिस। महादेव ह अईस तहां संघरा बियारी बईठीन। बियारी करत पाहरू ह किहिस-महादेव बड़े फजर ऊंच के पाहट ढिल देबे, दू चार दिन जाबे त तहूं ल ओल्हाही।
महादेव ह तईहा के जोंगे अस हर्रस ले किहिस-पाहट चरई ह मोला नइ ओलहाय। गांठ परे कस लागथे।
पाहरू के जी ह धक ले होगे। बक्का सटक गे। बुलिया ह पाहरू तनी ल देखिस। सांस मार के पाहरू ह चीटपोट करीस-सरी पुरखा ह पाहट अउ बरदी चरावत पहा दिन। पाहट अउ बरदी के संसकिरती संसकार म पहा दिन। अउ ते किथस के गांठ परे कस लागथे।
केहेंव तेमा पय का हे? सरी पंचन के मनखे साहरिक होवाथाबे। अपन दाऊच गौंटिया के लईका मन ल देख ले। चार झिन नौकर के रखईया ह संवागेच नौकरी कराथाबे। एक झी इंजीनियर के रूप म नौकर, एक झीं उप संचालक के रूप म नौकर। टूरी हे तहू मास्टरीन। कतको तंखा पावय नौकरीच ताय न। सरकार के नौकर।
पाहरू वोकर मन के बात आन हे बेटा। हमन पौनी पसारी वाला हरन।  हमर करम म जेन हे तेन पाहट नइते बरदी।
महादेव तें अड़हा हस तेन पाय के अइसन गूनत हस। अब त सरी जाति के मनखे ल पढ़े के अधिकार हे। मन पसंद नौकरी करे के अधिकार हे। पारंपरिक बूता ले छूटकारा पाये के पाहरो आगे हाबे ददा सुराज भारत म हूरहेल्ला जीये के पाहरो। में ह बाना बांध ले हौं, पारम्परिक जिनगी ल तियाग के साहरिक बनहूं।
बुलिया ह साफर होईस-ठउका ल काहत हस नइ का। बाम्हन मन ह होटल बासा खोल डरे हे। राजपूत मन ह किराना दुकान चलावाथाबे। नीच मन मंदिर म निंगाथाबे त कोल भील मन फौज म। संउहे संसार ह आन के तान।
महादेव- हजारो बछर ले बंधना के जिनगी। पौनी पसारी के गत। न मरेन न मोटायेन। हजारो बछर ले पाहट अउ बरदी। कंगला के कंगला सरी पुरखा मन ह गोबर कचरा करत खपगे। एक डिसमिल भुईयां बिसा सकिन न चार रूपिया जमा। ददा गो अब वो पाहरो नंदागे। मनखे मनखे एक समान।
खखुवाय बानी म पहरू ह लड़ेरीस-पढ़े बर बारवी अउ गोठ ह सांगा म नइ समाय। कोनजनी कालेज करे रितिस त छानही म चढ़ के नाच डरतीस। धरम का होथे काहीं जानथस।
धरम। महादेव ह कउवाय गत म बक्का फोरिस-येमा धरम कती ले आगे। पाहट बरदी चरईया के का धरम। धरम होथे सिरिफ पईसा अउ ऊंचहा पद वाला मन के। वो धरम ल का मानबे जेन ह मनखे ल गरीब अउ नंगरा बना देहे। में त किथौं नाऊ मन ह  मूड़ मूड़े अउ चूड़ी फोरे के बंधना ले छूटकारा पावय। मेहर ह मरी कांटे के धरम ले अउ धोबी ह ओनहा धोय ेके गुलामी ले छूटकारा पावय। सब जाति के लईका पढ़य गढ़य। मनभावन काम बूता करय। खदर छानही के जिनगी ले नीकर के बिल्डिंग टेंकावय। फटफटी कार कूदावय। काजू किसमिस अउ बादाम खावय।
पाहरू- ये मउहारी मन कस कइसे अंते तंते गोठियाथे वो। तें काबर नइ समझावस किथौं। रोगहा सारे अंग्रेज ह सरी जात के मनखे मन ल पढ़े लिखे के अधिकार का दे दिस, पढ़ लिख के सब नंगरा नाचाथाबे।
बुलिया- में का समझाहूं। गुरू जीके येके भाखा म इसकूल पठोईया त तिहीं अस। मोला त अड़ही, बिना नून के कढ़ी काहस।
पाहरू- पढ़ायेंव त इही दिन देखे बर परही किके थोरे जानत रेहेंव। देखथौं पढ़-लिख के कोन पहार ल फोरबे। जा, जइसन कराथाबे तइसन बूता ल हूरका। पाहट चराये बर कभूच नइ अढ़ौवौं। में अपन धरम के सेवा करहूं। अपन पाहट के सरेखा कर लेहूं।
पांव पटकत पाहरू पहाटिया ह दंगर दंगर खोर कोती निकरीस। बुलिया अउ महादेव ह कलेचुप देखत रीहगे।
बड़े फजर के पाहरू ह अइसे उंचीस जनामना उसनींदा हे। गौंटिया के बांड़ा जाये बर, पसेला ढिले के सूती सुटूर सुटूर रेंग दिस। बूता खातीर बांड़ा जाये बर कुकरा के बासते बुलिया ह उंचीस। महादेव ऊंचीस त बेरा पंगपंगावत रिहिस।
महादेव ह पसलोर गोठ बर बुधिया कना  गीस। पईधे कस महादेव ह आही किके बुधिया ह मूड़ कान के थोकन जीकर कर ले रिहिस। महादेव ह अईस त बुधिया ह मूच ले कर दिस। महादेव ह न मुसकईस न अलवईन मढ़ईस। कलेचुप परछी के आंट म बईठीस।
मुहाचाही होईस। महादेव के मनसा के आकब पईस ते ठाढ़ सुखागे। संसो म परगे। बुधिया ह अतके पुछिस-ये साहरिक जिनगी का होथे तेमा?
महादेव ह बताईस। साहरिक माने पारंपरिक बूता ल तियाग के आन ठीहा ठांव म जिनगी के खपई जइसे व्यवसाय बेपार, कल कारखाना नइते सरकारी नौकरी। अब त सबले जादा कमई नेतागिरी म हे। बुधिया, नाऊ ह सेलून के, बरेठ ह चूरेना के, किसान ह खेती के, मेहर ह  मरी के अउ पांड़े ह खपरा के बूता म जांगर खपावाथाबे त वोह पारम्परिक जिनगी ल जीयाथाबे। में पाहरू पहाटिया के बेटा..। वो पहाटिया जेखर पूरखा ह पाहट बरदी के भूति म खप गे। अबहो खपाथाबे। कोन जनी के सौ बछर तईहा ले सिरिफ एकेच रद्दा म जिनगी रेंगाथाबे। बुधिया, में वो रद्दा म नइ रेंगव। मे ह मंडल पारा अउ दाऊ के गोर्रा म नइ भोसावौं। में आन ठीहा ल चतवारहूं, फत परे चाहे झन परे। ते अपन मया ल अटघा झन बनाबे।
बुधिया के आंखी डुहडुहागे। हाथ गोड़ ह सून होय कस झिनझिनागे। लटपट कस किहिस -इंहा रीह के साहरिक जिनगी नइ जी सकस?
जी सकथौं  फेर उहिच अटघा म अरझत रिहौं। किबे त डिह टोला म का हे। दुकान खोलतेंव त तईह ले चार ठी चलाथाबे। कल कारखाना न खदान। अतका नइ पढ़े हौं के सरकारी नौकरी पा लौं। येकेच रद्दा हे। साहर....।
बुधिया के आंखी तर होगे। अटकत अटकत किहिस -मोला बिसराबे झन। ये जिनगी म तोला में अपन मान ले हौं। महादेव ह कीरिया खा दिस।
मंझनिया के चरागन बर पाहरू ह पाहट ल गोर्रा ले ढिलीस। पाहरू ह आवत रिहिस अउ महादेव जावत रिहिस। पाहरू ह बेग धरे महादेव ल सहर जावत देख सन होगिस। महादेव ह लकठा म अईस अउ पाहरू के पांव परिस। पाहरू ह पसगईत घूंच दिस। महादेव ह कांही नइ गोठिया सकिस। पाहरू ह पाहट के पाछू पाछू रेंग दिस। महादेव तको साहर के रद्दा डंका मढ़ा दिस।
पाहरू पहाटिया अउ बुलिया ह तरस के रीह गे। काकर कना का नीरौना, सवांगे के लईका ह परलोखिया होगिस। थोरको सोह करीस न संसो। मोती ह दुरघट म परगे। नावा नावा मया ह गाहदत रिहिस तेन पाय के बुधिया ह बम्बा गे।
महादेव ह साहर गीस त धरे पईसा म खईस पिस। जेन होटल म बियारी करीस तिेहं ढलंग गिस। बिहाने अइसे बनौकी बनीस के होटल वाला ह बूता म राख लीस।
महादेव कना डिगरी नइये त का होईस सिक्षित त हाबे। बारवी पास। होटल म धंधाय कस आकब करीस। मन कचपचा गिस। साहरिक जिनगी के सुध म साहर आय हाबे त कतेक दिन ले बिलमतीस। आन बनि भूति के सरेखा म जीकर मारीस। जांगर हूरकाथे तेखर बर भूति के दुकाल नइये। महादेव ह लघियाते आन बूता पा गिस।
सुख म बेरा कइसे पहाथे  मनखे ह आरो नइ पाय। जियानथे त दुख अउ दुरघट म। बियापथे त अगोरा म। बुधिया ह बम्बावत रिहिस। मोती ह अपन बेटी के सेती पाहरू कना गीस। पाहरू ह सनक गिस। जेन ल दाई ददा के संसो नइये तेला का सोरियाबे। साहर म कोनो कंगला के बनौकी बने हे तेमा तनियावत गीसे। फत परही ते परही, नइ परही त लहुटबे करही। बुलिया ह मोती के गोठ म कनमटक नइ दिस अउ धनेस ह किहिस-मरन दे।
मोती ह संसो के हूल म फदके रिहिस। बुधिया के सेती महादेव ल खोजे बर साहर के रावन म डंका मढ़ा दिस। छत्तीसगढ़ के साहर ह बम्बई दिल्ली कस अगम दरकस नइये। गिनती के खोर अउ जानती के पारा। मोती ह ये फांक ले वो फांक बूलकत चारो मूड़ा पुतरी किंजारत रिहिस। बदे होही त अभरबे करही। छत्तीसगढ़िया पारा ले नाहक के वो रावन म डंगा मढ़ईस जेती ऊंच ऊंच जबर जबर मकान रिहिस। चरसिलि अउ फ टफटी के भुरूर भरर रिहिस। एक ठी चौडग्गा म मोती ह गे रिहिस के देखिस, एक झीं टूरा ह ककुर चरावाथाबे। मन म किहिस  वा रे जूग। हमन डिह टोला म छेरी गरवा के टेन ल चराथन त इहां कुकुर ल चरावाथाबे।
कुकुर चरावत टूरा ह चिन्हे कस अटकर होईस त मोती ह टक लगा के देखिस। टूरा तको हिरक के देखिस। मोती ह अटकर करत वोकरे कोती लकठिआईस त टूरा ह कुकुर ल झिंकत दूरिहईस। कतेक ल झिंकय, दू डग्गा म अभर लीस। टूरा ह मुहू लुकावत रिहिस त मोती ह चिन्हत किहिस -बेटा महादेव.मोला देख के काबर भगाथाबस जी? तोरे आरो ले बर त साहर आय हौं। अउ ये का, ऊंहा त गरूवा नइ चरावौ किके येती आयेस। इहां ककुर ल चरावाथस।
महादेव ह हड़बड़हा गत म फट ले किहिस-चरावत नइ हौं ग। किंदारे बर लाने हौं।
मोती- माने हगवाये बर बेटा।
महादेव ह फदित्ता म तर होगे। बक्का नइ फूटिस। मोती ह हूदरे उधेने बरन तिखरिस। त महादेव ह चीटपोट करिस। बतईस..। साहरिक जिनगी जीहूं किके आगेंव फेर का करबे इंहा त डिगरीधारी मन बने असन नौकरी नइ पावाथाबे मोर असन सिक्षित मन के का थीरभाव। फूटानी मार के नेउरडीह ले निकरे रेहेंव।  सरम के मारे नइ लहुटेंव। येक झीं सेठ के घर म बूता पायेंव त उंहेच बिलम गेंव।
महादेव ल पछतावा त रिहिस। मोती के केलौली अउ पेलौली गोठ म टघल गिस। लहुटे के मन करिस। सेठ ले गेलौली करिस तहां मोती के संग लहुट गे।
महादेव ह नेऊरडीह आते सबोच ले भेंट करिस। दाई ददा ह टन्नक होईस तइसे बुधिया ह गाहद गिस। बेड़ा खाप के संग संगवारी मन के संगत म हमा गिस। जुन्ना सरी गत म गीस। नइ गीस त गौंटिया पारा पाहट म। जिहां पाहरू पहाटिया ह अबहो जी दे हाबे।
महादेव ह साहर म रीह के चिन्हारी त बनाये रिहिसे, साहरिक जिनगी के घंई ल तको पागे रिहिस। कूद फांद के लोन लीस अउ डेरी फार्म के जोगासन मढ़ईस।
डेरीफारम म कोरी अक गरूवा पोसीस। लूना बिसाय रिहिस। दूहय अउ लूना गाड़ी म  दूध डब्बा ल गांज के साहर जावय। चंडी बांटय अउ दाना खरी बिसा के आवय। एक दिन अइसे अईस के पाहरू पहाटिया ल किहिस ददा तें ह पाहट झन कमा। डेरी फारम म अतका कमई हे के जतके हूरकाबो ततके पाबो। अब तोर थीराये सुरताये के पाहरो आगे।
पाहरू पहाटिया किहिस -मोर जांगर अबही नइ टूटे हे बेटा। मोला पाहट के चरई ह ओल्हाथे। खार म किंजरथौं त हाथ गोड़ पसूल होथे। तें अपन रद्दा म अगुवाते राह। तोर संगत बर बुधिया हाबे। येसो तोर भांवर पार देबो।
महादेव के साहरिक जिनगी म फत परिस त पाहरू पहाटिया ह पारम्परिक जिनगी म गदगद रिहिस। एक झिन स्वाभिमान के रद्दा म त एक झिन गुलामी के रावन म। दुनो के मन म खुसहाली हे। बेड़ा म मान गउन हे। इही सेती दिन बादर के आते महादेव अउ बुधिया ल एक डोरी म बांध दिस। पतो के आते बुलिया अउ पाहरू पहाटिया के जिनगी सऊंर गे। घर कुरिया सम्हरगे।

----------0---------

चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

0 Reviews