छत्‍तीसगढ़ी कहानी : खेत

खेत

काहत लागे खेत भूति बर खोद्दा पुरानिक मंडल। मंडल के एकलौता बेटा  पुरन। पुरन ले ओतिहा कोन हो सकथे। सरी खेत खार ल अधिया दे दे हाबे। अपन ह लुठरू असन कभू मंदिर कना कभू गुड़ी कना त कभू दुकान कना बइठ के फलल फलल मारत रिथे। भले खेत बुता बर अलाल हे फेर पूजा पाठ म कभूच नइ ढेरियावय। बिहनिया नहाये के बाद मंदिर जाथे। घर के जम्मो भगवान के फोटो के पैलागी करथे। तुलसी म पानी रितोथे। बछर म दू घंव कथा करवाथे। रोजेच रामायेन के सुंदरकांड ल पढ़थे। कोनो मेर होय भगावत होवाथाबे किके जानथे त साफर होईच जथे।
गांव के रामायेन मण्डली ह रोजेच रतिहा गाना बजना म बइठथे। पुरन तको मण्डली के सपरिहा आय। एक रात के बात ये। मण्डली उसलीस तहां सब झीं अपन अपन घर गीन। पुरन घलो अपन घर अईस। पुरन के सुवारी सुमन उंघावत रिहिस। लईका मन तको पटियाये रिहिन। लकठा के दसे दसना म पुरन ह जइसे ढलगीस तइसे चुक ले उंघा गे। उंघाते साठ सपना देखे लगीस।
पुरन के सपना म एक झीं साधु ह अईस। साधु ह पुरन ल उमचईस। पुरन ह साधु ल देख के अचरज करीस अउ तहां पैलागी। साधु ह पुरन ल अपन संगे संग वोकर खेत म लेगीस अउ किहिस- पुरन तोर पुरखा मन बड़ भक्तिभाव वाला रिहिन। जइसे तें हस। तोर पुरखा मन ह पूजा पाठ के संगे संग चारो धाम किंजरे हे। आज वोकर मन के, करम के फत, ये खेत म परे हे।
पुरन ह अबूझहा बरन पूछिस-फत ये खेत म परे हे?
साधु ह किहिस - तोर पुरखा के सेती तोर भाग म हंडा आगे हाबे। हंडा म सोने सोन के गाहना गुरिया भरे हे। हंडा ह तोर ये खेत म गड़े हे। कतेमेर गड़े हे तेन ल आव बताथंव।
पुरन ह साधु के पीछलग्गे जावत रिहिस के पांव ल कांटा गोभ दिस अउ नींद उमचगें। भूंसड़ी जउन चाबीस। जकर बकर ऐती वोती ल देखिस। फेर ढलंग के उहीच सपना ल अऊ फेर देखे के उदिम करीस।
मुंदरहा होते साठ उंचीस अउ अपन खेत गीस। खेत ल देख के अटक रे लगीस के हंडा कतेमेर होही। उपर कोती ल देख के किहिस- हे साधु महराज हंडा ह कतेमेर गड़े हे तउन भर ल बता दे रितेस।
पुरन ह घर अईस। तीनों झीं लईका मन मांदूर के तुलसी चौंरा कना खेलत रिहिन। पुरन ह खटिया म सुरबईहा कस कलेचुप बईठ गिस। हूंकत न भूंकत। चेत तब अईस जब बड़े बेटा मंगउ ह गिलास म पानी लईस अउ हुदर के आरो दिस। मंगउ के हाथ ले गिलास ल धरिस तहां एक सांस म पानी पी के मंगउ ल पोटार लिस। मंगउ ह गिलास ल धर के रंधनी कोती रेंगिस त कुरिया तनि ले आवत सुवारी सुमन ल लकठा म बईठार के सपना के सरी बात फरी फरी बतईस। सुमन किहिस- भूति बर जांगर नइ चलय अउ भाग म हंडा। कमाबे धमाबे तभे घर के गत चक होही, जाने। आलोकी मनके अइसनेच।
खिसियाय अस पुरन ह किहिस- तें ह त मोर काहीं बात ल पतियाबे नइ करस। इहीच सेती दुनो के तारी नइ पटय।
सुमन किहिस- तारी कइसेच के पटही। मोर करे बनी भूति म चुलहा बराथावे। तहूं काहीं करबे त लईका मन के काहीं खंगता ह पुरा होही। सपना देखे भर म ऊद नइ जलय, जाने।
पुरन ह खेलत लईका मन ल देखिस अउ किहिस- हंडा म लाखो के सोन भरे हे। का वोमा लईका मन के भाग नइ सम्हरही?
पुरन ह अऊ काहीं नइ गोठिअईस अउ घर ले निकलगे। गांव के बाहिर नरवा खंड़ के पुलिया म बइठे गुनत रिहिस। कतकोन मनखे ह हंडा पाये हे किके सुने हंव। मोरो भाग म हो सकथे। सपना म साधु ह लबारी नइ मारे हे। गुनत गुनत पुरन के मन म अईस के कोनो बईगा कना जावंव अउ हंडा के बग ल जानंव। चार झिन ल पूछ के गुजरा के बनझुलुवा बईगा कना गीस। लमरी लमरी चुंदी वाला बईगा ह अपन देवता कना पुरन ल बइसखा म बइठारीस। अपनो ह बइठीस अउ हूम दे दुवा के, देवता ल मनाये लगीस। बईगा बर पूरन ह कुकरा रिहिस जेखर ले कतको रूपिया खल सकाथाबे। अपन बइगई दिया के चका चक म पुरन के चेत ल चौधिया दिस। बईगा किहिस- पुरन, मोर देवता ह बतावाथाबे के तोर भाग म तोर जनम पईत ले हंडा  हाबे। फेर नइ जानत रेहेस तेन पाय के नइ पायेस अउ साधु ह तोर सपना म आके बता दिस। साधु नोहे भलूक वोह भगवान आय..। मोर देवता ह बतावाथाबे हंडा ल त नानमुन झन जानबे। बनेच बड़का ह। फेर...
पुरन ह कउवईस-फेर का बईगा महराज।
बईगा बतईस हंडा म डोमी सांप के डेरा हे।
पुरन ह फेर कउवईस - डोमी सांप के डेरा।
बईगा- डोमी सांप ह हंडा ल राखत हे। हंडा ल पाये बर, डोमी सांप के मानता आगु करे ले परही। डोमी सांप ह मानही तहां फेर हंडा पाये के उदिम करबो।
पुरन ह उदसा मारत किहिस- करव, जइसन मानता करेबर हे करव। मोला त हंडा चाही। हंडा...।
बईगा ह परतीत करावत किहिस- तें ह हंडा ल पाबे। में ह तोला हंडा देवा के रिहूं। तें ह डोमी के मानता बर खरचा कर सकबे?
पुरन-कर देहूं। जउन लागही तउन कर दुहूं। बतावव कतका अकन लाग जही।
बईगा किहिस- काहीं पाये बर कुछु गंवाये ल परही रे बाबु। हंडा ह सोन म भरे हे। सबोच मनखे के भाग म हंडा नइ होवय। अबही त तें ह पांच हजार रूपिया दे दे राह।
पुरन ह किहिस- अबही त धर के नइ आये हंव।
बईगा ह किहिस- हंडा के बात बगराबे झन, दू चार दिन म तोर घर आहूं। उही दिन पईसा देबे अउ मोर बूता सुरू होही।
हव किके पुरन ह लहुट अईस। बेवहर बाढ़ी खोजीस। नइ पईस त अलमारी कोती जीकर करीस। अलमारी म सुमन के गाहना ह माढ़े रिहिस। पुरन ह गाहना ल चोरा के बेंच दिस। हाथ म पईसा अइस तहां बईगा के अगोरा म पुरन ह उबूक चुबूक होगे।
चार दिन बाद बईगा ह जोंगे कस सुमन के भूति म जाते साठ अईस। पुरन ह गदगद होके परघईस। बिन केहे के केहे पांच हजार रुपिया दिस।
पांच हजार ल झोंक के बईगा ह किहिस- तें ह हंडा ल पा के रिबे रे पुरन। में ह पंदराही म अऊ आहूं। डोमी सांप ल बस म करेबर पंदरही लागही तलघत ये चाउंर ल अपन घर के कुरिया खोली म छित दे राह।
पिंयरी चाउर दे के बनझुलुवा बईगा ह चल दिस। पुरन ह तुरतेताही पिंवरी चाउर ल धर के कुरिया खोली म छित डरीस।
बिहान दिन सुमन के घर म तुरकीन अईस। तुरकीन ह टुकना म किसिम किसिम के चुड़ी लाने रिहिसे। सुमन ह बने बने दू जोड़ी चूड़ी बिसईस। पईसा बर अलमारी के कपाट ल हेरिस। पईसा हेरत हेरत सुमन के जीकर ह सोन के झुमका बर गीस। झुमका ल नइ पा के ठाढ़ सुखा गे। खोजत खोजत सरी जिनीस ल ंिछहीं बिंही कर डरीस। तुरकीन ल बाद म आबे किके पठो दिस। पुरन ह अइस। पुरन ल पूछिस। अगुन छगुन करत पुरन ह असल बात ल बतईस। सुमन के रीस अउ पुरन के सईता, मातगे झगरा। झगरा म जेन पसलोर होथे उहिच होईस। पुरन के थपरा म सुमन के रीस ह जुड़ागे। सुमन ह अपन भाग ल पय बखानत कलेचुप होगे।
पंदराही पहाते बनझुलुवा बईगा ह अइस। बतईस हंडा कना ले सांप के डेरा उसलगे। चल खेत म कतेमेर हंडा गड़े हे तउन ल बताहूं। हुम धुप धर ले राह। उहां जा के आरो लेबो के हंडा ह आरूग हावय धन अउ काही अटघा हे।
बईगा अउ पुरन ह खेत म गीस। बईगा ह खेत के चारो मूड़ा ल देख के एक ठीं भींभोरा कोती ल बतईस। भींभोरा के लकठा म गीस अउ आकब करे बरन गत बना के किहिस- हंडा ह इही तीर तार म हे। हुम धुप दे के, अपन आंखी ल मूंद के बइठीस अउ मंतर गुनगुनाये लगीस। आंखी उघार के किहिस-पुरन अभाग भइगे। हंडा ह बड़ जुन्ना हरय तेन पाय के जीव परगे हे। इही सेती हंडा ह ये खेत म किंजराथाबे। 
पुुरन ह भुसभुसाये बरन किहिस-हंडा म जीव परगे हे त अब का होही बईगा महराज।
बईगा किहिस- जीव ल बस म करे के उदीम। जबहे जीव ह बस म होही तबहे वोह एक लंग म रबकही। एक लंग म रबकही तबहे वोला निकाल पाबो। पुरन हंडा के जीव ल बस म करेबर मोला मोर गुरू के संग धरे ल परही। जादा नइते छै सात हजार रूपिया लाग जही रे बाबु। अब तिहीं बता कइसे करबे तउन ल?
पुरन ह थोकन गुनमुनईस तहां सईता के गरेरा म घेरा के किहिस- गुरू के संग धरव में ह छै सात हजार रूपिया दे दुहूं।
बईगा ह किहिस- में ह ये मेर हंडा के सरी बने गीनहा ल अटकर कराथाबंव। तें जा अउ पईसा ल इही मेर ले आन।
पुरन ह धर्रा पट्टी गीस। पुरन के जाते साठ बईगा ह उंचीस अउ किहिस-सारे सइताहा गतर के बनी भूति बर जांगर नइ चलय अउ हंडा बर जीव दे हस। कोनो मनखे ह कभू हंडा पाये हे। खिसा ले बिड़ि निकाल के पीये लगीस।
पुरन ल आवत देखिस तहां फेर धुनि रमाये कस बईगा ह बइठीस। पुरन ह आते साठ छै हजार रूपिया दिस। बईगा किहिस-पुरन तोर भाग म दिव्य हंडा हे। मोर गुरू के संगत परते तंय पा लेबे। पंदराही पहाते मोर घर म आबे तलघस जीव ल बस म करे के सरी उदिम करहूं। जेन दिन आबे तेन दिन बताहूं के हंडा ल कब अउ कइसे निकालबो।
बईगा ह अपन गांव कोती गीस। पुरन ह खेत के चारो मूड़ा ल देखत रिहिस। पुरन के जीकर म सिरिफ हंडा अउ सोने सोन के गाहन दिखत रिहिस।
पुरन के करम करनी ल देख के सुमन ह संसो म परगे हे। न संसो म मन भरहा खा पावाथाबे न सुभीत्ता उंघा पावाथावे। दुनो ह अपन रद्दा आथे अउ अपन रद्दा जाथे फेर मया के दू गोठ नइ गठियावय।
पंदरा दिन के पहाते साठ पुरन ह बईगा के घर म गीस। बईगा के बइगईन ह सोन के नवां झुमका पहिरे परघईस अउ बईगा के खोली म लेगीस। पुरन ह गम नइ पईस के वोकरे परसादे नवा झुमका पहिरे हाबे। खोली म बईगा ह देवता मंझोत बईठे रिहिस। पुरन ह जय दुर्गा जय काली  किके बईगा के लकठा म गीस। बईगा ह पूछे ले आगू किहिस- पुरन, जीव ल बस म करे के गजब उदीम करेन। हंडा ह फेर जीव मांगाथावे। माने हंडा के जीव ह तोर बड़े बेटा ल मांगाथावे।
पुरन ह धक ले होगे। धिरलगहा पूछिस- हंडा ह मोर बड़े बेटा ल मांगाथावे?
बईगा किहिस- हहो पुरन। हंडा ल पाबे त तोर बड़े बेटा ह मरही। बेटा ले मया हे त हंडा ल बिसार दे। जेन दिन जीव ह अपने अपन उढ़िया के अऊ कहूं चल दिही तेन दिन हंडा ह अपने अपन उफला जही। बेटा ले मया नइये त हंडा ल पाये के पसलोर उदिम करबो। अबही जा अउ गुन गान के बताबे। धर्रा पट्टी नइये। मुहू ओथराय पुरन ह उहां ले गीस। पुरन के जाते साठ बईगा ह किहिस-उजबक गतर के खेत म कती के हंडा आही। हंडा होतिस त कले चुप मिही ह हेर के लखपती नइ बनजतेंव। खैर में ह त  नवां झुमका बिसालेंव।  मोला काहे। मोर फत परगे।
पुरन ह दू मना होगिस। घर जावत रिहिस- बड़े बेटा के रूप ह, हांसी ह, ठट्ठा ह आंखी म किंजरे लगिस। घर के सींघमुहाटी म जइसे निंगीस तइसे परछी म बड़े लईका ह दिखीस। टक लगा के देखिस तहां पोटार के मया करीस अउ सुमन ले छिमा मांगीस। सुमन ह वोकर दुख ल कमतीयावत किहिस-हंडा त खेते ह आय, जेमा भरे सोना चांदी रूपी अन्न ह मेहनत करे म मिलथे। खोटनी भाजी कस या। मेहनत, लगन अउ रूचि म जेन खेती करथे तेने ह खेत के सोना चांदी ल पाथे। दुनो झीं जीकर करके खेती करबो त झुमका का कतको गाहना बिसा जही। घर ले दुख, बेवहर, बाढ़ी अउ असादी ह नंदा जही। जिनगी म खुसहाली आ जही।
हव कहत पुरन ह सुमन के सुम्मत म सुंता साफर होईस। खेत ल रेगहा देवई बंद करके संवागे जांगर हूरकाहूं किहिस। खेती के गीद गईस।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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