छत्‍तीसगढ़ी कहानी : समधियानो

समधियानो

सुराजी के उच्छाह ह उरकीस। रउती के सिलि, संसार ह बदले लगीस। परे डरे मनखे मन ह बरपेली कस सरकारी पाये लगीन। सातवी पास चुरावन ह गुरूजी बन गिस। चुरावन ह दाऊ के लईका आय। चार झीं नौकर बनिहार चलईया फेर का किबे संवागे नौकर बनगे।
बेरा पहावत रिहिस। गुरूजी मन के मान कदर तको होय लगीस। चुरावन के मान कदर ह खाप, बेड़ा अउ पंचन म होय लगीस। खाप बेड़ा म काहीं उदिम उच्छाह होवईया रितिस त चुरावन गुरूजी ले एक भाखा पूछतीन अउ वोकर मनसा ल मानतीन तको। चुरावन गुरूजी के मन अंतस ह अलथी कलथी मारीस।
चुरावन ह सवांगे ल सिक्षित, सभ्य अउ समझदार अटकरे लगीस। खाप, बेड़ा अउ पंचन के नर मरम म अटघा लगाये लगीस। जेन वोला बने लागय तेन ल बने काहय नइते गिनहा किह देवय। अड़हा अउ गरीबहा मन ले घिनावत, पढ़े लिखे अउ बढ़र मन के पसगईत रेंगे लगीस। इही मन मनसा के सेती अपन खाप बेड़ा म कतकोन नावा रद्दा बनईस अउ  कलथईस।
चुरावन के बड़े बेटी रेखा के बिहाव होगे रिहिस। बने दाऊ बेड़ा म गे हाबे। पहलांवत लईका होईस। चुरावन बेड़ा के सरी माईलोगिन मन म उच्छाह अउ छट्ठी म समधियानो जाये के सऊंक चर्राये रिहिस। चुरावन ह किहिस च्च्का दोरदिर के दोरदिर समधियानो जाहूं। ये सब अड़हा, ररूहा अउ घटिया पंचन मन ल फबथे।’ चुरावन के आगु ककरो बक्का नइ फूटिस। कोनोच ह समधियानो नइ गीन। चुरावन खाप के दू चार झीं मनखे मन ह ओसहा लाडू धर के रेखा के ससुरार गीन अउ छट्ठी मनईन। चुरावन ह ये गुन के गदगद होगिस के वोकर बात ल बेड़ा के मन मानीन। बेटी के ससुरार म मोर मान बाढ़गे। बरदी कस कहंू जाये रितिन त उहां अनफबित मनसा गढ़तीन।
रेखा के पईत ले न समधियानो जाये बर हे न नेवते बर हे किके रेखा खिंच गिस। दिन पहावत रिहिस। चुरावन के बहू सीमा के छेंवारी उंचीस। बाबु पिला अवतरीस। घर म उच्छाह होगे। सीमा के मईहर म सोर पठोईस ते उहों उच्छाह पलपला गे। चुरावन ह छट्ठी के नेवता त दिस फेर समधियानो नइ बलईस। सीमा के महतारी अउ बहिनी मन ह ओसहा धर के अईन अउ छट्ठी मना के गीन।
दिन सबर वइसनेच नइ राहय। कलथत रिथे। चुरावन के छोटे बहिनी फेकन के बेटी सुरेखा के नोनी लईका होईस। चुरावन के बेड़ा म सोर अईस ते सरी घर खाप उछाहित होगे। चुरावन के सुवारी अमरौतिन के मन गदगद होगे काबर के सुरेखा ह वोकरे अंगना म रिके पढ़ई करे रिहिसे। मन अइसे उबूक चूबूक होगे के वोकर नोनी ल देख लंव।
सुरेखा के ससुरार (धनियार) वाला मन ह वोकर मईहर खाप बेड़ा म समधियानो के नेवता दिस।  सुरेखा के धनी अलेन ह सवांगे नेवते बर गीस। फेकन ह अपन बेटी सुरेखा घर ले आये समधियानों के नेवता अपन बेड़ा म दिस संगे संग अपन ननद, डेढ़सास, मामी सास, फुफु सास अउ अपन मईहर म तको अमरा दिस।
समधियानो के नेवता पाके चुरावन ल छोड़े सबोच उच्छाहित होईन। इहां समधियानो जाये के मरम ह भले टूट गे हाबे, फेकन घर चलथे। वोकर बेटी के ससुरार म चलथे। समधियानो जाये के सबोच मनसा करीन त चुरावन ह अपन सुवारी अमरौतिन ल बरज दिस। चुरावन अउ अमरौतिन के छोड़ जतका लागमानी रिहिन सब सुरेखा के डिह गीन।
समधियानो गीन तेन मन ल अड़हा अउ देहाती किके चुरावन ह उटकीस। बेड़ा के नांव बोर दिस किके गारी उछरीस।अमरौतिन ह कलेचुप सुनीस फेर चीटपोट नइ करीस , काबर के मन ह सुरेखा के लईका ल देखे बर बियापत रिहिसे। चुरावन ल पंदौली दे खातिर मन मार के रिहिस अउ मन के पीरा ल उपकन नइ दिस।
सुरेखा के घर म छट्ठी के रेडियो बाजाथाबे। मरदनिया ह मुहाटी म सांवर बनावाथाबे। दू-दी, तीन-तीन झीं नाश्ता देवाथाबे त अतके झीं चहा तको अमराथाबे। दतान गांव ले आये अलेन के साढ़ू थनवार ह जम्मो झीं ले आगर हियाव करत रिहिसे। सुरेखा के बिहनी झामिन ह लईकच ल पोटारे सरी सरेखा म गदगद रिहिस। पारा भर के लईका सियान मन मुहाटी म जुरियाय हाबे त डउकी लोगिन मन घर के परछी म बईठे माईलोगिन मन ल काके अमराथाबे। गुड़ म जरी ल चुरो के तील म बघारे काके ल माईलोगिन मन सरर सरर पीयत हाबे।
समधियानो मन टेक्टर म अईन अउ गुड़ी कना बिलमीस। समधियानो उतरे नइ पाय रिहिन अउ सुरेखा कना सोर अभरगे। सुरेखा के मन ह खुसी के मारे छकल बकल होगे। धर्रापट्टा पुछिस कोन कोन आय हाबे ?
सोर अमरईया ह बतईस तोर महतारी, काकी, मोसी, फुफू, मामी, बड़े दाई, तोर मामी के बेटी फूफू के बेटी, कका, फूफा, ममा...।
जइसे जइसे ओरियावत गिस तईसे तइसे सबके चेहरा तको झुले लगीस। सुरेखा ल सरग कस बेरा आकब होय लगीस। बतईया ह मुक्का होईस त सुरेखा ह पूछिस अमरौतीन मामी नइ आय हे? सोर लाय रिहिस तेन ह लहुटत किहिस- आरो ले के आ जथंव।
समधियानो आये सरी माईलोगीन मन ल सुरेखा के सास ससुर मन ह परघईस। सुरेखा बर नावा लुगरा अउ लईका बर ओनहा संग गाहना गुरिया तको लाने रिहिन। खईन पीन अउ भेंट ल देके भेंट करीन। छट्ठी ह तिहार बन गिस। सुरेखा के सरी नता गोता अउ समधियानो मन के भेंट गोठ अउ चिन्हारी होइस। अपन अपन मया ल चिन्हिन अउ जानीन। समधी भेंट के संग सुरेखा के सास ससुर मन ह आये जम्मो समधी ल नावा लुगरा देके पठोइन।
जइसे समधियानो मन लहुटिन तइसे अमरौतीन ह सोर सरेखा लीस। उंहा के बड़ई ल सुन के अमरौतीन ह उबूक चुबूक होगे। सुरेखा के नाता गोता ल चिन लेतेंव भेंट लेतेंव अइसे मया फेर पलपला के रिहगे। फेर मन मार लीस।
सुरेखा के सुरता आवय त वोकर लईका ल देखे के सऊंक जाग जवय। चुरावन ल ये बात के अटकर होईस त किहिस उदूसा झन मार, एकाद घंव दुनो झीं जाबो अउ मया ल देख आबो। चुरावन के भुलवारे ले अमरौतीन ल बने लागीस फेर एक बात मन म भऊंरीस के मया ल चिन्बो कइसे ? सुरेखा के फूफू सास, मामी सास, मौसी सास मन ह थोरे रिहि। वोमन ह त सिरिफ छट्ठी म आय रिहिन। समधियानों के इही महत्ता आय के मईके ससुरार के सरी मया ह जुरियाथे अउ एक दूसर ल चिनथे।
आज काली करत महिनो पहा गिस। एक दिन अमरौतीन के छाती म पीरा उमचीस। चुरावन ह डाक्टर ल आरो करीस। डाक्टर ह सूजी लगा के दवई दिस। अमरौतीन के मन छटपटावत रिहिस जइसे काल के आकब होगे होही। पेटी ले झोला निकार के चुरावन ल देवत किहिस-लागथे में नइ बाचंव ग..। किसिम किसिम के अलहन सपनाये हंव। ये झोला म सुरेखा अउ वोकर सास बर लुगरा हे। वोकर लईका बर चांदी के चुरा हे। काहीं अलहन झन होय, कहूं होगे त नावा ओनहा बिसा के समधियानो अमरा देबे।
चुरावन के बस म काहीं नइ रिहिस न डाक्टर के दवई ह काट करीस। अमरौतीन के परान ह आदहा रात के उढ़ियागे।
बड़े नाहवन म सुरेखा के संग वोकर सास, काकी सास, अउ बड़ी सास मन अईन। साफर होईन। पानी दिन, फोटो म फूल चढ़ईन। मया ले भेंट होवय न गोठिया सकय इही संसो के संग अपन घर लहुटिन।
सगा समधी मन चल दिन त का होईस, चुरावन के मन म एकेच ठी गोठ ह घउँरत रिहिस। अपन पढ़ई के दिखावा, भरम अउ घेखरई के मरम म पछवावत रिहिस। खाप बेड़ा, लगवार अउ लागमानी के मया मान ल अटकरीस। गंगा राजिम नइ गीस भलकू पंदराही पहाते अमरौतिन के समधियानो ल सुरेखा घर अमरा के वोकर आत्मा ल तारीस अउ अपनो ह हरू होईस।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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