छत्‍तीसगढ़ी कहानी : बेवहर

बेवहर

फिरंता दाऊ के एक झीं लईका, जेखर नांव हे निर्मलदास। बारा बछर के निर्मल ह अतेक अलवईन के गांव म कोनोच मनखे होय, वोला निरमामूल नइ  सहराय। रांड़ी कस बेटा न कोनो ल घेपय न ककरो बरजे म रहय। कतकोन झिन निरौना लगाईन फेर एकलौता आय किके दाऊ ह कभूच हींग नइ घोरिस। गौटनीन ह त मुड़ म चढ़ाय हे ककरो का सुनतीस। निरमल ह छानही म होरा भूंजाथाबे।
सम्मत बइसाख के हरय। मंझनिया के बेरा। निरमल ह अपन संगवारी मन संग, अपनेच बियारा म गिल्ली डंडा खेलत रिहिस। खेलते खेलत चोंगी के चुलुक होइस। अपन थईली ले बिड़ी अउ माचिस हेर के सिपचा डरीस। एकेच ठी बिड़ी ल ठुठी के होवत ले सबो झिन ओसरीपारी पीईन। ओट जरीस तहां ठुठी बिड़ी ल बिना बुताये फटिक दिस। खेलई म फेर बेधुन होगे।
बियारा म दू ठी जबर बर पैरावट माढ़े हे। अइसनहे झांझ मारत हे, दगत बीड़ी ह उढ़िया के पैरावट म गीस अउ हब ले भभक गे। बादर कोती कुहरा ल उढ़ियावत देखिन ते जम्मो झीं के जीव सोंठ होगे। मार धर्रापट्टी भागीन।
कुहरा के सेती बात काहत गांव म गोहार परगे। गांव भर के लईका, जवान अउ सियनहा मन ह अपन अपन घर ले हऊंला, बांगा अउ टिपा ल धर के सकला गीन। फिरंता दाऊ के बियारा मेर नानकुन बारी हे। बारी म एक हास  पावर के पम्प लगे हे। बियारा ले थोकन दूरिहा म तरिया हे। सकलाये आदहा मनखे ह तरिया ले पानी डोहार के आगी बुताये लगीन त आहदा झिन मन बोरिंग पम्प ले।
जेन मन पानी नइ डोहारत रिहिन तेन मन ह सियानी बघारत येती पानी दरपव वोती पानी डारव अइसे किके अढ़ोवत रिहिन।
जतके लकठा म बोरिंग पम्प ततके झाफर म तरिया। आगी ल बस म करई ह दुरघट होगे। तभो हार नइ मानीन। हबियासोस पानी डोहार के पैरावट ल बुताये के उदिम करत रिहिन। ठउका बिजली गोल होगिस अउ बोरिंग पम्प ह बंद होगे। बोरिंग पम्प ले पानी डोहरईया मन ह धपोर दिन। थेथमेराय कस खड़े होगिन त कोनो कोनो ह तरिया ले डोहारे बर रेंग दिन। देववासा कस एक झिन के चेत ह काट करिस अउ किहिस - बारी के एक कोन्टा म कुंवा हे तेन ह त नइ पटाय हे का ग।
जब ले गांव गांव म बोरिंग पम्प लगे हे तब ले कुंवा मन बेजतनी होगे हे नइते पटागे हाबे। फिरंता दाऊ ह तको अपन बियारा के कुंवा ल आदहा पाट डरे हे अउ बांचे ल पटईया हाबे, काबर के बारी म बोरिंग पम्प लग गे हे।
आज बिजली के गोल होते साठ कुंवा ह महमा होगे। बोरिंग पम्प ल बिसर के जम्मो झिन ह कुवां कना गीन। झांकीन। कचरा म तोपाय पानी के अटकर होईस। उत्ता धुर्रा अपन-अपन घर के डोर लान के बाल्टी म बांधिन अउ कुंवा ले पानी हेरे लगीन।
जेन पैरावट म आगी लगे हे तेखरे ले सटे अऊ एक ठी पैरावट हे। लकठा के पैरावट ल आरूग बचाये बर कतको झिन ह कलारी ले आनीन। दुनो पैरावट ल अलग बिलग करीन। आंच झन परय किके आरूग पैरावट म तको पानी छिंतत गीन।
गांव वाला मन ह बारा उदिम कर डरे रिहिन त घर कोती ले रटपीट रटपीट फिरंता दाऊ ह अईस। बम्बर बरत पैरावट ल देखिस ते चोला उड़ियागे। पीछलग्गे आवत गौटनीन ह देखिस ते ठाड़ सुखागे। दुनो झीं ह ठुड़गा कस ठाढ़े बक खाये देखे लगीन। गांव भर के मनखे मन ल एक साफर सुन्ता म आगी बुतावत देख फिरंता दाऊ ल पहाये पईत पाहरो ह सुरता म आगे।
चार बछर आगु के बात ये। गांव म दुकाल के डेरा रिहिस। सरलग चार बछर के मार का होथे तेला जानथे त सिरिफ किसान मन ह। फिरंता दाऊ ह तको दुकाल के गरहन म तीरा गे रिहिस। एक दिन अपन सुवारी रमसीला कना गोठे गोठ म किहिस-अब बादर भरोसा के दिन ह पहावत हे वो। रकसहू कोती पांच एकड़ खेत के  चक हे। वो चक म बोर पम्प हो जतीस ते थीरभाव बन जतीस।
रमसीला ह किहिस- हाथ ह सुख्खा अउ सुख्खा खेत ल पानी म सराबोर करहूं गुनथस।
फिरंता दाऊ ह धिरहाबरन किहिस- ठउका ल किथस नइ का। बोर करवाये बर जोगे हंव त हाथ कच्चा होही तबहे फत परही। आन कोती के खार के छिर्रा खेत ल बेंच देतेन त सहर कस्बा ले दूरिहा गांव म कोन लेवाल आही। कोनो कोनो लेवाल दिखथे वहू ह औने पौने मांगही।
रमसीला ह चेत आये बरन किहिस- बोर करवायेच बर हे त बेवहर ऊंचा ले। जगदीश ह बेवहर म रूपया दे दिही। जइसे होही तइसे लहुटा देबो।
जगदीश ह गांवेच म मंडलहा किसान आय। धन ह मनमाड़े हे फेर कतकोन उदिम करीस लईका के सुख ल नइ पईस। जगदीश अउ वोकर बाई सातो ह सबर सुन्ता अउ मया के गत म तर रिथे। कतकोन झिन मन किहिन के मंदिर बना ले नांव चलही फेर फिरंता दाऊ ह कनमटक नइ दिस।
मानव धरम के सेवा ल अपन जिनगी के सार बनईस। वोकर सुवारी सातो ह घला संघरा डंका मढ़इस। मानव धरम के सेवा सटका बर जतका मांगे ततका बरारी फिरंता दाऊ ह बिना लाग लपेट के दे देथे। सबले बड़े जस ये हवय के गांव म जम्मो भूतिहार किसान ल हरे खंगे म बेवहर- बाढ़ी देवत रिथे वहू म बिन बियाज के। आन गांव के मनखे ल बेवहर देथे ते सौ के पाछू एक रूपया बियाज लेथे। इही सेती जस नांव हे। बेवहर ऊंचईया के बूता ह फत परथे अउ हाथ कच्चा होते लहुटा देथे। दाऊ ह जगदीश के घर म मुंदहरा के बेरा गीस। जगदीस अउ सातो ह चाय पीयत बइठे रिहिस। दाऊ के मूह लमावत बेरा रिहिस जगदीस ह बिना बियाज के बीस हजार रूपिया दे दिस।
फिरंता दाऊ ह ओसरीपारी तीन झीं पानी जचईया मन ल बलईस। तीनों झीं ह भक्कम पानी बतईस। महराज कना मुहूर्त देखवा के बोर खोदईस। कमहराज ह असुधहा रिहिसे धां पानी जचईया मन लबारी मारीन ते बोर म पानी निकरबे नइ करीस।
दिन बूलकत गिस। जगदीस ह दाऊ ल सुरता देवाते रिहिस। बेवहर लेवत देवत कोनो नइ देखे रिहिन तेन पाय के फिरंता दाऊ दोगलई कर दिस। जगदीस ह जुराव करीस। जुराव म घलो फिरंता दाऊ ह लबारी मार दिस। एक घंव का दस घंव किहिस के में ह जगदीस कना ले बेवहर ऊंचायेच नइ हंव।
जेन जगदीस ह बिना बियाज के बेवहर देवत हे तेन दाऊ के थोरे फदित्ता करतीस। गांव भर के मन ह जगदीस ल पतीअईन। जगदीस ह बखत परे म सबोच किसान के काम आय हे तिही पाय के फिरंता दाऊ के पौनी पसारी ल बंद कर दिस।
फिरंता दाऊ कहत लगे आन गांव ले बनिहार भूतिहार लान के खेती किसानी करीस। बीस हजार रूपिया गतर बर दाऊ ह सत ल गवां दिस किके सबोच झीं थू थू करीन फेर फिरंता दाऊ के कान नइ तिपिस। अटेलहा बरन अलगे डांड़ रेंगीस।
पौनी पसारी के छूटे ले फिरंता दाऊ ह अलगिया गिस। गांव के कोनो मनखे होय न दाऊ घर सुख-दुख म जाये न सोर लेवय अऊ न जय जोहार करय। गौटनीन ह दाऊ ल कतको घंव किहिस के बीस हजार रूपिया ल देदे अउ गांव म साफर हो जा फेर नइ मानीस। बात बानी सियान मन के रिहिस ते पाय के निरमल दास ल गांव वाला मन हलाकान नइ करीन। जंवरिहा लईका मन संग खेलय कूदय।
गांव वाला ल जरही गुनके, दाऊ ह अपन बारी म फेर बोरिंग कोड़वईस। पानी पईस तहां पम्प तको लगवा लीस। बोरिंग पम्प लगे के सेती कुवां ह बेजतनी होगे अउ पटाये लगिस।
जेन गांव वाला मन ले तारी नइ पटत हे तेन मन ह पैरावट के आगी बुताये बर जी दे दे हाबेे। ये देख के कउवागे। गौटनीन ह भूसभूस करीस के जगदीस ह आगी बारे होही फेर फिरंता ह परतीत नइ करीस।
पैरावट ह सउंहे नइ जरे रिहिस अउ गांव वाला मन ह आगी ल बुझा डरीन। भले बांचे पैरा ह धुंगिअईन होगे हे फेर लकठा के पैरावट त आरूग उबर गे। मनखे बर कहूं ले होय भात बासी के जुगार हो जथे बईला भईंसा गाय बछरू बर त इहीच ह थेगहा आय।
निर्मलदास के संगवारी मन ह अपन अपन घर म बिड़ी के बात ल बकर दिन। गौटनीन के मन ह धोवागे। जतके जावन देबे ततके मूड़ म चढ़थस रे , खिसिया के दाऊ ह सोंटा ल धरीस अउ पहिली मरतब निर्मलदास ल सोंटिस।
बिहान दिन दाऊ ह गांव वाले ले माफी मांगीस। जगदीस के बेवहर ल लहुटईस अउ कुंवा ल सफ्फा रखे के करार घलो करीस। काबर के नवा ह आथे त जुन्ना ह जाथे नवा ह जाथे त जुन्नच ह काम आथे। 

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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