छत्‍तीसगढ़ी कहानी : डायल

डायल

ढोर्राडिह के सोनऊ ह चेतलगहा होईस हे, उहीच पईत ले दाऊ घर नइते मंडल पारा म बनि भूति जावाथाबे। दाई ददा बनिहार रिहिसे, सोनऊ तको बनिहार हाबे। ददा ह लघियाते अम्मर होगे रिहिस। महतारी फागा ह जीकर लगा के सोनऊ ल पोसीस। बिहाव बख्खर उरकईस। फागा ह सियनहीन होगे हाबे। परछी मुहाटी ल बाहरत औठियावत घर के सरेखा म दिन अउ जिनगी ल पहावाथाबे। सोनऊ अउ वोकर सुवारी मोंगरा ह बनि भूति जावत रिथे, तेन पाय के न काहीं खंगता लागय न काहीं के संसो। तीन झिन लईका अवतरे हे तेन मन इसकुल म जेंवाथाबे अउ हरहिंच्छा हे। अपन थौना के जिनगी ल फागा ह निक गत म पहावाथाबे। सबले नीक हाबे त मोंगरा ह। घातेच कमैलीन। सोनऊ ह कोनो कोनो दिन नांगा मार देथे। नांगा का मारथे? डायल हाबे। मोंगरा ह अटकर पागे हे तेन पाय के कतको घंव निरौना लगाथे। बूता बर अढ़ोथे त नांगा झन मार किके बरजथे। सोनऊ ह मोंगरा के गारी-गोठ म रीस करबे नइ करय, काबर के सोनहा कस सुघ्घर गतगढ़न के जउन हाबे। उच्च मनसा अउ नीक कठौती के हाबे।  
एक घंव अइसे होईस के मिंजई सम्मत म सोनऊ ह एक झिन मंडल घर बनि जावत रिहिस। बियारा के फेर म नगत अकन पैर कबार डराय रिहिसे। टेक्टर वाला तको रेंगा डरे रिहिसे। बिहान दिन बिहनियच ले कोड़ा दे के बूता नेताय रिहिसे अउ सोनऊ ह मार दिस नांगा। मंडल ह आरो लेबर वोकर घर अईस। मंडल ह मुहाटी लेे हूत पारिस-सोनऊ। का करत हस जी?
मंडल के आरो पाते सोनऊ ह मूड़-सुध्धा ओढ़ के डायली मारिस। मंडल के पूछे म मोंगरा लबरी बनत  तिखरीस-चार दिन जाय न आठ दिन वोकर हाथ गोड़ म कुटकुटी पीरा उमच जथे। अधरतिहच के हाय सू कराथाबे। कुरिया म जा के देख न, ढलगे परे हे।
मंडल ह परतीतहा थोरे हे तेमा कुरिया तनी निगतीस। मने मन गारी बखानत लहुटिस। मंडल के जाते साठ सोनउ ह रकपका के उंचीस अउ परछी म अईस। मोंगरा ह टेड़गा गत म तिखरीस-डायली मारे ले रउति नइ होवय। बनिहार मनखे अन, कमाबे त खाबे नइते लाघन रीह जबे।
सोनऊ ह अतके किहिस- कोनजनी वो मोंगरा घातेच ओत लागीस। मन नइ रहय त बूता ह डांड़ भूगते बरन लागथे। ये नइ किहिस के पैर कबार म आज आगर जांगर हूरकाये बर परही। जादा काम देख के नांगा मारदेंव। मोंगरा ह का मूहजोरी करय। नकटा के नाक कटे सवा हाथ बाढ़े। काहीं अऊ किहूं त कतकोन गोठ। गोठ ह सांगा म नइ समाय।
मोंगरा ल सोनऊ के ओतिअई ह वोतका नइ जियानत रिहिस जतका दाउ के दरोगा के कठौती ह बियापय। दरोगा ह दाऊ के सरी बूता ल अपन खांध म उंचाय हे। दाऊ ह माई पिल्ला साहर म रिथे। अपतकाल ढोर्रा म आथे तेन पाय के दरोगा ल काहीं बद्दी देवय न अटघा लघाय। दरोगा ह मन के मालिक अउ अंकाय कस गोल्लर छुछंद हे। कतकोन मनखे गोठियावत रिथे के दरोगा ह साहर जाथे त दारओली म हमाथे। चरकट नारी के मया ले तिरपीत होके आथे। छोटे आंखी के मनखे। मोंगरा के ममहावत गत म माते के मनसा ह दरोगा के चोला ल गदबदावाथाबे। बूता के बेरा, ओढ़र पाते साठ काहीं ठग के अपन मन के बात ल अमरा देथे। मोंगरा ल ये ठगई ह थोरको नीक नइ लागय। कभू बन्नी बन्नी देख के लड़ेर देथे त कभू बम हो जथे। मोंगरा के मन फरहिर। सोनऊ कना सफ्फा निरौना लगा देथे। सोनऊ ह का उदीम करतीस? ढोर्रा म रेहेबर हे। दाऊ मंडल पारा के परसादे निजगी पहाय बर हे। तरी तरी दग के कंझा जथे। 
ढोंर्राडिह के आनंदी ह साहर बूता म जावत रिहिसे। नानपन के संगवारी आय तेन पाय के सोनऊ संग बनेच तारी पटथे। आठ दस दिन म एक दू घंव दारू के जलसा बना देथे। आनंदी ले साहर के बड़ई गोठ म सोनऊ ह रिझत रिहिस। एक दिन त निसा गत म कीह दिस-मोंगरा। आनंदी ह गोठिआथे के इंहा जतका बनि तें अउ में ह एक दिन म पाथन आनंदी ह साहर म सवांगे पा लेथे।
सोनऊ के मन के थांह पाते किहिस- राहन दे वोकर साहर ल। साहर ह सागर ये। सनकलप हो जथे। बनिहार का मंडल दाऊ मन तको थांह नइ पावय। बने राहय डिह टोला के बूता अउ जिनगी। इहां सरी मनखे अपने खाप कस लागथे। किथे के साहर म अपने ह आन हो जथे।
सोनऊ ह फेर साहर के नांव नइ लीस। ढोंर्राडिह म जिनगी के सुख भोगे लगीस। मोंगरा ह कभू बाड़ा म त कभू मंडल पारा भूति म जावय। दुनों के परसादे फागा ह मुस्कावय। नागर बख्खर के सम्मत आय। दरोगा ह भर्री खार ल खुंर्रा जोंतवावत रिहिसे। सोनऊ ह दू दिन गीस तहां दररे कस लागाथाबे किके नांगा मार दिस। दरोगा ह भर्री खार ले लहुट के बाड़ा तनी आवत रिहिस के सोनऊ ल गुड़ी म तिखरत बइठे देखिस। सोनऊ ह अपन धुन म खलखला के हांसत रिहिसे। दरोगा ल रीस त लागीस फेर कमिया के का बिगाड़ करय। जानाथाबे के सोनऊ डायल हाबे। काहीं न काहीं ओढ़र मार देथे। कभू चेत लगा के सरलग बूता म गीस न कभू अपन सुति ल नीक अक पूरोईस।
बांड़ा म मोंगरा ह बनि आय रिहिसे। दरोगा ह मोंगरा के लकठा म गीस अउ तिखरीस- कस वो मोंगरा, सोनऊ ह नांगर जोते बर नइ गे हाबे। कहूं सगा माने बर गे हाबे का?
मोंगरा कना जुवाब नइ रिहिस। डायल के सरी ओत अउ ओखी ल जानाथाबे। किहिस- वोकर मन दरोगा। मन नइ होइस होही नइते ओसरबे नइ करीस होही।
दरोगा- सोनऊ ह डायल हे मोंगरा, डायल। गुड़ी म हिहि बकबक करत बइठे हाबे। ओला काहीं के संसो नइये।
मोंगरा- संसो कइसे नइ रिहि। वोकरे परसादे घर ह नीक अउ उच्छाहित लागथे। सबो झिन के सरेखा करत रिथे।
दरोगा- वोकर परसादे का उच्छाहित रिहि। तें अपन मन ल भूलवाराथाबस। अइसने कतेक दिन ले कमाबे किथौं। मोर तनि ल देख अउ आकब कर। मोंगरा ह दरोगा के गोठ ल आकब करे लगीस। दरोगा ह वोकर मरूवा ल कड़ीक के धरीस अउ मयारू गत म तिखरीस-तीन लईका के महतारी तभो दिखथस कुंवारी। जांगर टोर के रूप अउ जुवानी ल खपा झन। जतका बनि चाही काठा काठा नाप के लेग जबे। मोर कना खंगता नइये। खंगता हे त तोर मया के।
मोंगरा ह मरूवा ल छोड़ाय बर हाथ अईठत किहिस-मोर सोनऊ ह काम बूता बर डायल होही, मया बर नइये दरोगा। वोकर बस चलय ते चारो जुवार कुरिया ले नइ निकरन दिही।
जोरदरहा झटकारीस ते मरूवा ह छूट गिस। दरोगा ह हब ले मोंगरा के बांही ल अमरीस। मोंगरा ह पनघुच्चा घूंचीस अउ खखुवाये गत म किहिस-बूता के बनि लेगथंव। पय अउ पाप के अन्न म पेट भरईया अउ कोनो बनिहारिन होही। में मोर थौना के जिनगी म बने हंव, जाने।
दरोगा ह दुनो हाथ म वोकर दुनो बाहीं ल धर के किहिस-मोंगरा, तें घातेच सुघ्घर हस वो। में तोर बर तरसत हंव। जेन किबे तेन करहूं। जेन चाही तेन दुहूं। मोर मन के मया ल राख ले मोंगरा....।
मोंगरा ह बन्नी बन्नी देखत किहिस-ये बियां (जनम) म का दस बियां पाहूं तभो तोर असन के पांव म नइ गिरंव। कांख के ढपेलीस ते दरोगा ह गीर गे। मोंगरा ह भन्नाये गत म रेंगदिस।
फनफनावत घर म निंगीस त सोनउ ह बईठे बिड़ी पीयत रिहिस। देखते सोनऊ ह पूछिस- का होगे वो मोंगरा, कइसे बम लागाथाबस।
तोर सेती। तें ह डायली नइ मारतेस त दरोगा ह बरपेली काहीं नइ उटकतीस। आज त मोर मरूवा ल धर ले रिहिसे। मरूवा धरे के गोठ म सोनऊ ह भड़कीस-वोकर जातरी आगे हाबे। सईरा ल चेत नइ चघाहूं ते मोर नांव बदल देबे।
टिटही चिरई के रटे सरग नइ रूकय। में ह अब बाड़ा म बनि भूति जाबे नइ करंव, जाहूं त मंडल पारा म नइते सूत के पहा दुहूं। फेर तें ह चिभिक लगा के बूता कर।
सोनऊ ह हर्रस ले किहिस -महूं जोंग लेंव।
कउवाय कस मोंगरा पूछिस- का जोंग लेस ? 
सोनऊ ह जोंगे गत-साहर जाहूं। आनंदी के संग साहर जाहूं। वोकर ठीहा म कमाहूं। दुनो झिन के पूरतीन संवागे बनि पाहूं।
मोंगरा ह संसोही गत म- साहर जाबे। 
सोनऊ- हहो साहर। तिहीं गुन वो, मंडल पारा म मोर पूरतीन बारो महिना बूता नइ राहय। साहर म बूता के का दुकाल। जे खा के जाहूं अउ बियारी के बेरा आ जहूं।
जइसन तोर मन। मोंगरा ह न कांही अटघा मारीस न ढांक। सोनऊ के सुरांवट म साहर समागे। बिहनचे आनंदी के संग साहर गीस। साहर म सिरतोने के घातेच बनि पईस। दत दत के जिनगी ले उबरे कस दिन सम्मत होगे। मोंगरा तको मन करे त मंडल पारा बूता म जावय नइते घरेच म रीह के सकला करय। थीरा लेवय। फागा के जिनगी उच्छाहित होगे। बनिहार खाप के जिनगी बर अतका सुख ह नोहर होथे। अब त तीज-तिहार के नाहके म तको हाथ कच्चा रेहे लगीस।
सोनऊ ह दिन भर बर नीकारा लेवत रिहिस तेन पाय के दरोगा ह छूछवात राहय। का ओढ़र बइठे जांव, छेना दे आगी लांव। जतके बेर सुध लामे सोनऊ के घर बईठे बर खूसर जवय। फागा संग नीक-नीक गोठियावत मोंगरा कोती आंखी किंजार लेवय। मोंगरा ह जानाथाबे के दरोगा ह का गुनतारा म आथे फेर फागा ल कइसे बरजय। पसलोर मनसा इही होईस के मोंगरा ह सोनऊ कना निरौना लगा दिस।  निरौना लगाते सोनऊ ह किहिस -अब ढोर्रा डिह म नइ राहन। एकाद ठी घर के आरो लेहूं। माई पिल्ला साहर म रिबो तलघस लईका मन के परीक्षा तको हो जही।
फागा ह ओतियावत किहिस- साहर नइ जातेन ते बने रितिस बेटा। इहां तोर नेरवा गड़े हे। तोर ददा के माटी परे हे। इहां ले जाबो ते करम छाड़े कस लागही। इहां जेन ल देखबे तेन अपने लागथे। उहां फेकाय छटियाय कस लागही। मोला त इही माटी म जीव छोड़न दे।
बेटा के आगु म महतारी फागा के नइ चलीस। डेरा डांगरी उसाल के साहर म बस गे। साहर म नावा परोसी त नावा चिन्हारी होईस। सोनऊ के संग मोंगरा ह ठीहा म जाय लगीस। दुनो के कमई म जिनगी  सम्हरे लगीस। अंते होईस त अतके, ढोर्रा म बनिहार बनिहारिन कहावत रिहिन। साहर म रेजा-कुली नइते मजदूर कहाथे्। ठउर ठांव कोनो मेर के होय, कमाही तबहे खाही। बछर के नाहकते पार्सद ह नाहर पार म नानुक ठउर दे दिस। बेवहर बाढ़ी ले के नानकून मढ़िया उंचा लीस। साहर म संवागे के घर होवई ह सपना होथे। सोनऊ ह बेवहर-बाढ़ी ले उबरे बर ढोर्रा डिंह के घर ल बरो दिस।
घर के बेंचाते सोनऊ के मया ह ढोर्रा डिह ले सिरागे। तीज तिहार म आतीस-जातिस, वहू ह बंद होगे। जा के करतीस का? साहर म अपन घर अउ फेर मोंगरा के कमई म लंघियाते छकल बकल होगे रिहिस।
पांच बछर के पहाते बेरा कलथ गे। 
फागा ह खटिया धर लीस। सोनऊ ह डायली के मारे कभू काम म जाथे त कभू मंद पी के पहा देथे। लईका मन बाढ़ गे रिहिन ते पाय के उपराहा खरचा। बसुंदरा मनखे कइसे उल्होवय। सरी संसो पीरा ह मोंगरा के मूड़ी म माढ़ गिस।
सावन के पुन्नी म राखी होथे। राखी के सकला सरेखा म मोंगरा ह दस दिन अगाहू जीकर लगईस। बनि के पईसा ल खरचा ले बचा के पांच  सौ सकेलेे रिहिस। कतको जोगासन म मढ़ा, दरूवाहा के मारे धोये चाउंर नइ बांचय। सोनऊ ह कब-कब हेर के सिरवा डरे रिहिस। मोंगरा ह तब गम पईस जब राखी बिसाय बर रिहिसे। मातगे मोंगरा अउ सोनऊ के झगरा।
सोनऊ ह अतका दरूवाहा होगे के जेन कमाथे अपने भोभस म भर लेथे। न खटिया धरे फागा के संसो न बाढ़त लईका मन के काहीं सूती। मोंगरा के कमई म अंधन चढ़थे तेन पाय के कोनो ल काहीं उटके न अटघा मारे। खाये के पा लेथे तहां किंजरत हे। मोंगरा ह कतेक ल लड़य। जान डरिस के सवांगे के परसादे घर ह रउति होही।
मोंगरा ह मूंदरहा उंचथे अउ नहाय धोय के संग रांधे गढ़े के सरेखा करथे। बेरा म चउंड़ी जाये बर जउन परथे। चउंड़ी म जाही त कांहीं बूता बर कोनो सोरियाही। लईका मन ह नौ बज्जी के स्कूल जाथे। लईका मन के जाते मोंगरा ह निकर जथे। मोंगरा के निकरते सोनऊ ह उंचथे। कोनो कोनो दिन अगुवा के उंच परथे त मोंगरा के जाते घर म आथे अउ नहा धो के खाथे। फागा ह सोनऊ ल काहीं न काहीं किथे फेर बात बानी नइ लागय। खाके जाथे तेन पी के लहुटथे। कोनजनी रोज कहां ले पईसा पाथे। फागा ह पछताये कस अतके किथे-साहर नइ जावन केहेन फेर कोनोच नइ मानेव। इहां आके भोसागे हन। दत दत के जिनगी होगे।
देवारी के लकठाती म अलहन होय बर रिहिसे। फागा ल रतिहा के जउन बुखार अईस तउन मुंदरहा के होवत ले ओकलागे। हाथ म खिनहा कउड़ी तक नइ रिहिस। मांगय त मांगय काकर ले। उपराहा म मंझोत ठाढ़े सउंहे देवारी। मोंगरा अउ सोनऊ ह अकबकागे। सोनऊ ह ये काहत घर ले निकरगे के कोनो मेर ले काहीं जुगार कर लेहूं। मोंगरा ह सोनऊ ल अगोरत रिहिस। घंटा पहागे फेर दिखबे नइ करीस। मोंगरा ह घर ले निकर के चउंक म गीस। एक ठी एसटीडी ले ठेकादार ल फोन करीस- ठेकादार, में मोंगरा गोठियावाथौं।
ठेकादार- फेर का होगे मोंगरा?
मोंगरा- मोर सास ल बने नइ लागाथाबे ठेकादार। हाथ ह निचट जूच्छा हे।
ठेकादार- तईहच के पंदरा सौ उधार लेगे हस तेन ल लहुटाये नइ अस अउ...।
मोंगरा- लहुटा दुहूं बापकीन.. फेर अबही खत्ता म पईसा चाही। बेरा बेरा म तोरे ठीहा त जाबे करथौं।
ठेकादार- सोनऊ ह नइये का?
मोंगरा- सोनउ ह बने रितिस त में काबर लुलवातेंव। साहर म लान के बोज दिस। आगु त डायल रिहिस अब त कोढ़िया होगे हे।
ठेकादार- तोला तुरते पईसा चाही त मोर बात माने बर परही मोंगरा। एक घंव बात मानबे त कभूच दुरघट म नइ राहस।
मोंगरा- का बात ये ठेकादार।
ठेकादार- तें ह मोर कना आव। इहां आबे तहां सरी बात ल बताहूं।
ठेकादार ह ठउर बता दिस। मोंगरा ह घर म अईस। सोनऊ ह आयेच नइ रिहिस। ढलगे फागा ह बुखार के मारे कल्हरत रिहिस। बड़े लईका ल किहिस-बेटी में ह ठेकादार कना जाथौं, बेवहर म पईसा लाहूं। तोर बाबू आही त बता देबे। कहूं तोर बाबू ह पईसा ले आनही त दाई ल तुरते अस्पताल लेग जबे।
बेटी चेतलग हे। हव किहिस अउ फागा कना बईठ गिस। मोंगरा ह घर ले निकरीस। चार डंका मढ़ाय पाय रिहिस के पारा म रहईया मिस्त्री ह अभरीस। मिस्त्री ह पुछिस-सोनऊ ह चार दिन होगे दिखत नइये भउजी? संझा होते लहुटा दुहूं किके दू सौ रुपिया मांगे हे। आज ले वोकर संझा होय नइये।
मोंगरा के मुहूं खिलागे। सोनऊ के पियई खवई ले हलाकान हे। मिस्त्री ह कनेखी देखत किहिस-आरो पाये हंव के बनि भूति म जाबे नइ करय। लागाथाबे तिहीं ह वोकर बेवहर ल उतारबे, भउजी।
मोंगरा के चेत ह ठेकादार अउ फागा कोती फदके रिहिस। ओढ़र मार के मिस्त्री कना ले नाहकीस। मिस्त्री ह टेड़गा गत म मुचकावत जावत मोंगरा ल देखत रिहिस-। मोंगरा ह एक सुरहा रिहिस के दुकानदार ह हूत पारिस- मोंगरा, अवो मोंगरा।
मोंगरा ह हिरक के देखिस। अनमनहा दुकानदार के लकठा म गीस। सेठ ह किहिस-मिटकाय गत म सुटुर सुटुर कती जावाथाबस वो। किराना समान के उधारी ह अतेक अकन चढ़ गे हाबे अउ चार दिन ले दिखेच नइ हस। पईसा रिथे त आन दुकान ले बिसा लेथस का वो?
मोंगरा- उधारी खाय हन त कइसे नइ छूटबो सेठ। अबही हाथ ह निचटे जूच्छा हे। पईसा रिथे तहां जेन बनथे तेन छूट देथंवं।
सेठ- सोनऊ ल तको केहेंव के आधा थोरहा ल छूट दे। अब्बड़ अकन होगे हाबे। कनमटक नइ दिस रे भइ। आ जथे बेरा कूबेरा फल्ली दाना अउ सेव मिक्चर बर।
मोंगरा- वोकर का निरौना लगाथस सेठ। अठोरही होगे हे बनि म गेच नइये। घर ले बने खा बोज के निकरथे। कोन जनी कते मेर ले किंजर के लहुट आथे। आथे वहू म दारू पिके। कोन जनी कोन रोगहा ह रोजे पीयावत होही ते?
चोरी चमारी त नइ करत होही। सेठ के परतीतहा आखर म मोंगरा ह झक ले होईस अउ किहिस-अइसन बद्दी झन दे सेठ। वोह न चोरी हारी ल जाने न झूला झांझरी ल। लागथे वोकर संगति ह दरूवाहा मन ले होगे हाबे।
दुकानदार ह टेड़गा गत म किहिस-टापय ते खलय चाही कुमतिहा के संगति करय। में नइ जानौं वो मोंगरा। देवारी ले आगु आदहा थोरा उधारी ल छूटबे तबहे बनही नइते मिंही बोजा जहूं।
मोंगरा ह गोठ गढ़ के दुकानदार कना ले टरकीस। रद्दा म डराईवर ह दिखिस। पारच के रहईया। डराईवर कना ले सोनऊ ह कतको रूपिया मांग के दारू पी डरे हे। अभरही ते निरौना लगाही किके मोंगरा ह मुहूं लुकावत बोचकीस।
मोंगरा ह मुहूं लुका के डराईवर कना ले बोचक त गिस फेर मन मईंता म जेन संसो हमाये हे तेकर ले नइ उबरीस। ठेकादार कना के अमरत ले मिस्त्री, दुकानदार अउ डराईवर के थोथना ह नाचत रिहिस।
मोंगरा ह बताये ठउर म गीस त ठेकादार ह दारू पीयत बइठे रिहिसे। मोंगरा ल बइठारीस अउ तिखरीस-फेर का दुरघट म परगेस वो मोंगरा ? मोंगरा ह हक खाये गत म बतईस- काला गोठियाबे ठेकादार। दू दिन ले सास ल बुखार आय हे। आज त लाहकत हाबे। डाक्टर कना लेगतेंव त आगूच के उधारी लीखाय परे हे।
ठेकादार ह बांचे दारू ल ढरका के गोठिअईस -सोनऊ ह काकर ठीहा म जावाथाबे?
मोंगरा- वोकरे जांगर टूटगे हाबे तेन पाय के अपन जांगर ल टोराथाबौं। बने रिहिस गांव के जिनगी। काहीं पय करे रेहेंव धां करमछाड़े रिहिस ते साहर म झपा गेन। पईसा बर निकारा ले हाबे। कोनजनी कती मूड़वावाथाबे ते। अगोरत ले जोजन परगे।
घातेच करलई हे। डीह टोला म ओस चांट के तको जी लेबे। साहर म कतको कमा पूरबे नइ करय। तोरे असन गांव ल छोड़ के साहर म कमाय खाय बर आये हजारो मजदूर मन भूगताथाबे। ये बता मोंगरा तोर कतको बेवहर उधारी होही। कतकोन खरचा होही। लईका मन बाढा़थाबे। सोनऊ अपंगहा अउ बिमरहीन सास। बेवहर मांग के कइसे सरेखा करबे। कब ले कोन ह बेवहर दिही। दिही तेकर ले कइसे छूटकारा पाबे?
मोंगरा ह कलेचुप होके संसो म अरहज गे। दुकानदार, मिस्त्री अउ डराईवर के संग लईका पिचका अउ सास सोनऊ ह किंजरे लगीस। ठेकादार ह लकठा म आवत किहिस-जम्मो सुति के पुरोवत ले सूरर जबे। लघियाते डोकरी हो जबे।
मोंगरा ह बक्का फोरिस-उही करहूं अउ उही होही ठेकादार, जेन भाग म होही। जिनगी अगम दाहरा हे। डोंगा ल सनकलप नइ होन दंव। भले मेंह बूड़ मरौं। जेन ह अपन थेघहा लाने रिहिस तेन त दारू म बूड़ के मर गे हाबे। महूं मरहूं।
तोला मरे के जरूवत नइये मोंगरा। तोला में ह उबारहूं। मोर राहत ले तोला काहींच के खंगता नइ होय? फेर.. ठेकेदार ह मोंगरा के मरूवा ल धर लीस।
मोंगरा ल अइसे लागीस जइसे दरोगा ह मंझोत म खड़े हे। नांव अउ गतगढ़न भर ह अंते होय हे। ठेकादार ह किहिस -रोये म दई नइ सहाय मोंगरा। मोर संग गोठिया। मोर संग मुस्का। जिनगी के नावा रद्दा ल चतवार। बियान हो जही। संसो के पल्हरा ह कती उढ़ियाही आरो नइ पाबे। न कभू लहुट के आय। हरहिंच्छा सुमित्ता हो जाबे।
मोंगरा ह दुरघट अउ संसो म फदके हाबे। न काहीं रद्दा न काहीं आसरा। सउंहत बूड़ के सनकलप होय ले बने हे, लकठियावत थेगहा। अगुन छगुन नइ करीस। ठेकादार ह मोंगरा ल अपन छाता म ओधा के पोटार लीस। ठेकादार ह दारू के निसा म माते रिहिसे। मोंगरा ह ठेकादार के निसा म मातत कबिया लीस।
अशिक्षा, अज्ञानता, गरीबी अउ मजबूरी हमनखे ल का का नइ कराय। मोंगरा ह मन अउ तन ले तिरपीत जउन होगे। ठेकादार ले पईसा झोंकत अतके किहिस-मोर धनि के करम म डउकी के कमई खवई लीखाय हाबे ठेकादार। नइते डायल थोरे होतिस। न अब कोढ़िया बनके मुहूं लुकातीस। आगु भोंसातेंव त भोसातेंव। अबही भोसायेंव त भोसायेंव। ये बेरा के गात आय ठेकादार।
फागा के इलाज बर निकरे सोनउ ह जरमनी के कटोरा धरे दुकान-दुकान म जावाथाबे। मांगाथाबे। ककरो ले एक रुपिया पावाथाबे त ककरो ले दू रुपिया। सोनऊ के मूड़ी म भोले के डमरू थोरे बाजाथाबे तेमा ये जानही के मोंगरा ह पईसा बर ककरो मया ल ममहा डरे होही। दू डग्गा कना मोंगरा ह नाहकीस फेर सोनऊ ल मांगत नइ देख पईस। देखतीस ते जउंहर हो जतीस। सोनऊ तको मोंगरा ल नइ जानीस। दुनो अपन-अपन मति अउ रद्दा म रेंगत जउन हे।
मोंगरा ह घर गीस। तुरतेच फागा ल अस्पताल लेगीस। डॉक्टर के उधारी ल छूटे के संग जतका लिखिस ततका दवई ल बिसईस।
देसी दारू भट्टी कना एक झिन खोरवा ह अपन ट्राईसकल म बईठे संगवारी ल अगोरत रिहिस। रोचेज के संगवारी ल। लच्छरहा पईसा गीनत आवत सोनऊ ल देखिस। देखते मुस्कईस। लकठा म आते साठ खोरवा ह बक्का फोरिस-कइसन मंझन कर देस जी। अब्बड़ बेरा के अगोरत हंव।
सोनउ ह किहिस- का करबे संगवारी। आज वो पारा म मांगे बर किंजर परेंव जेती कोच्चर अउ जिछूट्टा मन रिथे। भले मंझन होईस, फेर रोज असन आजो पीये के पुरतीन पा लेंव।
दुनों झिन रोजेच असन भीख मांग के आय रिहिन। रोजेच असन पईसा मिंझार के दारू बिसईन। रोजेच असन उहीच मेर दारू ल ढरका के भजीया बिसईन अउ भजीया खावत जग के सरी जंजाल ले निसफिकर होके मुहाचाही करे लगीन।
सोनऊ ह निसा म लथरे घर अईस त फागा ह दवई खा के निंद भांजत रिहिस। बड़े बेटी ह दुकानवाला के उधारी पटा के, चाउंर दार लान के आगी बारत रिहिस। मोंगरा ह मिस्त्री अउ डराईवर के लागा बोड़ी ले हूरकेल्ला होके पिछोत म नाहवत रिहिस। एकक लोटा पानी ल मूड़ी म रितो के सांति पावत रिहिस। सोनऊ ह जम्मो कोती ल एक घौं देखिस तहां अपन दसना मेर जा के अइसे ढलगीस जइसे न उधो के लेवय न माधो के देवय। तीन म न तेरा म, ढोल बजाये डेरा म। 

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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