छत्‍तीसगढ़ी कहानी : भूलेसर देव

भूलेसर देव

‘छत्तीसगढ़ के असमिता, संसकिरती अउ स्वाभिमान ल पढ़े लिखे मनखे मन नइ जानय त अड़हा, साहर सभियता ले झाफर डिह टोला के रहईया अउ बारी बियारा म जांगर के हूरकईया मन ले का निरौना। असल मार छत्तीसगढ़ी के जिनगी कोन कोन जीयाथाबे तेखर निरवार खत्ता म करे बर परही।‘ नंदु भालेसार ह तनिया के भासन देवाथाबे। पार्टी नेता के पठोय तुलसी राम ह जलसा म बइठे अइसे सुनाथाबे जइसे टर्रा नोहय।

नंदु ह सरलग कितेच हाबे- ‘छत्तीसगढ़ म राम के पूजा होवय तईसन न एको तीज तिहार हे न जुराव जलसा। देस सुराजी के संग जेन पचआसी छत्तीसगढ़ म अईस अउ हरिद्वार के जेन लीला मंडली मन इहां आके अलख जगईन, आज छत्तीसगढ़ राज गठन के होवत ले गांव-गांव म तीन-तीन ठीन रमायेन मंडली सीरज गे। बिन रमायेन मंडली के छट्ठी नइ ऊंचय। हाय रे छत्तीसगढ़। रमायेन होवाथाबे किथे अउ रमायेन के लिखईया बालमिकी ल नइ जानय। जय बोलाथे त राम चरित मानस के रचईया तुलसीदास के। रिमेक युग जउन आगे हाबे। सरी जिनीस ह डलाड होगे हाबे। सत के पाहरो नंदावाथाबे।‘

नंदु भालेसार के अतका भासन ल सुनीस ते तुलसीराम ह कउवागे। नंदु ह जइसे छत्तीसगढ़िया विभूति मन के मान परनाम म भासन दिसे, तुलसीराम ह सनक गे। खुसुर मुसुर करिस। जलसा के उरकते रकपीक-रकपीक अपन पार्टी नेता कना गीस।

तुलसीराम ह लिगरी लगाय कस गत म नंदु के सरी भासन ल फरी फरी बतईस ते पार्टी नेता के अटकापारी म संसो के डांड़ ह बगबग ले उपक गिस। गुनिस- ‘नंदु भालेसार जइसे दू चार झीं अउ छत्तसीगढ़िया मन कहूं इहां के असमिता, संसकिरती, अउ स्वाभिमान के अलख जगाही ते मोर असन के रार मच जही। इहां राज नइ कर सकहूं। नंदु ह असल मार छत्तीसगढ़िया आय। वोकर हिरदे के दाहरा म इहां के मया लबलबावाथाबे। लागथे छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठिया के अउ छत्तीसगढ़िया मन ल भरमा के अब राज नइ कर सकंव। फेर इहां के तीज तिहार, अउ नेंग जोग ल कइसे अपनाहूं। जलघस अपन जिनगी म इहां के संसकिरती अउ संसकार ल नइ सानहू तलघस छत्तसीगढ़िया नइ बन सकंव।‘

‘का दूरघट के भउंरी म अरहज गेस नेता जी ?’ तुलसीराम ह नेता के चेत ल बिल्होरीस। नेता ह संसोही सांस फटिकत किहिस- ‘तुलसीराम, नंदु भालेसार ल बिल्होरे बर परही। बेंझाय बर परही। वोकर रद्दा म अइसे काहीं अटघा नाये ले परही, जेखर ले वोह छत्तीसगढ़ी असमिता, संसकिरती अउ स्वाभिमान ल बिसार देवय। सिरिफ राष्ट्रीयता के गोठ गोठियाय नइते नकटा बन के हमर अऊ नेता मन  कस च्एस’ करय।‘

तुलसीराम ह पंदौली गत म कांही अलकरहा जोंगे कस दांत कटरत किहिस-‘ते अढ़ों दे नेता जी, सरी छत्तीसगढ़ी समाज के गईरी मता दुहूं।‘

नेता ह पर जीकर गत म किहिस- ‘गईरी ते ह बाद म मताबे। अबही रामसरन कना चल। उही ह काहीं गुनतारा करही।‘

तुरतेताही दोनों झीं, रामसरन के मुहाटी म गीन।

रामसरन ह मंझोत म अईस तहां पार्टी नेता अउ तुलसीराम ह निहर के पांव परीस। दुनों के गत ल अटकर करत बइठे बर किहिस अउ थांह लेवत तिखरीस-‘लागथे काहीं दुरघट म फदके हव?’

पार्टी नेता ह नंदु भालेसार के संउहे बखान करिस अउ तहां फेर गेलौली करत किहिस-‘अइसे काहीं उदिम करव के छत्तीसगढ़ियावाद ले उबर जंव।‘

पार्टी नेता के निरौना ल जीकर लगा के का सुनीस, रामसरन ह संसो म मुक्का होगे। तरी के दाहरा ल गिंधोल के बक्का फोरिस-‘जुठांगर होतिस ते पद पईसा म वोला बिसा के पार्टी म मिंझार लेतेन।  कोनो आयोग के अघुवा बना देतेन। जइसे कतको झीं ह पार्टी के सेवा कराथाबे फेर छत्तीसगढ़ी के गोठ नइ करय। मोर आकब किथे, नंदु ल छल कपट ले मारबे तबहे खुआर होही। छत्तीसगढ़ियावाद के झेलार ले निकरही, काबर के..।‘ 

पार्टी नेता अउ तुलसीराम ह एक दूसर ल देखिस अउ संघरा तिखरीस- काबर के..।

रामसरन ह पट्ठल गत म किहिस- ‘काबर के वोकर रग रग म छत्तीसगढ़ी असमिता, संसकिरती अउ स्वाभिमान के मया पलपलावाथाबे। कोनो राज के बात होय, अइसन मनखे मन भगवान ल नइ मानय, विभूति ल जानथे। साधु सन्यासी ल पानी तक नइ पूछय, संत मन ल तसमई खवाथे। झूठ के पेंड़ा ल हिरक के नइ देखय, सत बर जहर खा लेथे।‘

पार्टी नेता ह संसोही गत म केलौली करीस- ‘हमन त भोसा जबो। इहां कुकुर गत हो जही। काहीं त उदिम करव माननीय जी। जतका खरचा लागही ततका करबो। जेन किबे तेन करबो। अढ़ोबे ते दू चार के टोंटा तको कतर देबो।‘

तुलसीराम ह जोंगहा गत म किहिस- ‘कहू ते नंदु ल फदित्ता के ओरहन म सम्हरा के वोकरे मनखे के हाथ म टेंव करवा देबो।’

रामसरन ह गरबईल कलथी लेवत किहिस-‘चामसरन के चरन म आये हव, तुंहर बनौकी कइसे नइ बनाहूं। तुंहरे परसादे त इहां मोरो मान हे।’

त बतावव का करबो हमन?

पार्टी नेता कोती ल देखत रामसरन ह किहिस- ‘कहे हंव न छल कपट। वोकर मन अंतस म संचरे संत सेवा अउ विभूति मान के मंसा ल छल कपट ले खुआर करव।’

पार्टी नेता- ‘में नइ समझ पायेंव।’

रामसरन- ‘समझे के गोठ ल अब सुन। चउदा बछर के बनवास म राम लखन ह रद्दा भूलागे रिहिसे।  येती वोती भटकत रिहिसे। ठउक एक झीं मनखे ले अभरीस। वो मनखे ह राम ल रद्दा बतईस। भगवान राम ल रद्दा...।’

तुलसीराम ह भेंगराजी मारीस – ‘न राम ह कभू रद्दा बिसरे हे न रमायेन म अइसन काहीं लीखाय हे। में ह रोज रमायेन पढ़थौं।’

 रामसरन ह कन्नेखी देखत किहिस- ‘सोजेच पढ़त होबे, फेर गढ़े नइ हस। तें ह सिरिफ नांव के तुलसी अस। नेता जी, राम ल जेन रद्दा बतईस तेनह भालेसार पंचन (जात) के रिहिस। माने भालेसार जात म तको एक ठी भगवान पैदा कर दव। वो भगवान के नांव धरव, भूलेस्वर देव। जेन दिन तूमन ह भालेसार समाज म भूलेस्वर देव ल स्थापित करहू तेने दिन ले नंदु ह संत सेवा अउ विभूति मन ल बिसर जही। सिरिफ पूजा करही।पूजा, भूलेस्वर देव के।’

नेता ह ठेंसरा गत म किहिस- ‘फेर एक ठी भगवान के तड़का। देवी देवता के जलसा अउ सोभा यातरा ले अइसने साहर ह चिरीर बोरोर होवत रिथे अउ तेंह फेर एक ठी भगवान पैदा कराथाबस।’

मुचमुचावत रामसरन ह किहिस- ‘उजबक मनखे म राज जउन करे बर हे। तोला, मोला अउ यहू ल। रोये म दई नइ सहाय रे बाबू। तुलसीराम ह रमायेन मंडली म टिका किथे। धन दौलत म येला छकल बकल करदे। इही ह किहि के भूलेस्वर नांव के देंवता हमर सास्त्र म हाबे। सास्त्र ल कोन ह खोदिआही। एक कोलिहा हुआं हुआं ते सरी कोलिहा हुआं हुआं।’

छत्तीसगढ़ म राज करेबर हे त तीन पांच करे ले परहीच। अगास म दिया बारही। छानही म चढ़ के नाचही नइते अंगरा ल खाही। तीनो झीं एक सुंता के रद्दा म डंका मढ़ा दिन।

एक दिन के बात ये। छत्तीसगढ़ी विभूति मनके सुरता बर जलसा जुराव के मंसा म नंदु ह सपरिहा मन ल नेवता पठोय रिहिस। नंदु अउ वोकर संगवारी प्रदीप ह बइठे रिहिस के पार्टी नेता, तुलसीराम अउ रामसरन ह नंदु कना अईस।

जोहार अउ मुहाचाही म पार्टी नेता ह किहिस- ‘आरो पायेंव के छत्तीसगढ़ी विभूति मन के सुरता म काहीं जलसा के उदीम कराथाबस। साफर होय बर तुरते आगेन रे भई।’

नंदु ल बड़ नीक लागीस। नेता ह किते रिहिस- ‘जबर जलसा कर नंदु। में तोर संग म हाबंव। आगर ले आगर खरचा मोर तनी ले। इहां के विभूति हमर गौरव ये। येकर मान म थोरको खंगता झन होय।’

नंदु ह कुलकत किहिस- ‘खंगता नइ होवय नेता जी। मोर मंसा हे के राजधानी म जम्मो छत्तीसगढ़ी विभूति मन के मूरति माढ़य। विभूति मन के नांव ले चऊंक, वार्ड, अउ स्कुल-कॉलेज के चिन्हारी होवय। तुमन संग देवत हव तब त हो के रिहि।’

रामसरन ह तिखरीस- ‘नंदु जी, तें ह भालेसार समाज के जागरूक युवक अस। तोर अंतस म इतिहास रचे के ताकत हे। तोर असन के झीं हे जेन छत्तीसगढ़ी बर काहीं गुनय। तें ह अपन भालेसार जात ल मजबूत काबर नइ करस।’

नंदु ह अकचकईस। रामसरन ह सरलग किते हे – ‘भालेसार समाज के मजबूत होय ले तोर ताकत अउ बाढ़ जही। तोर मन होय चाही तोर जात समाज म अऊ ककरो मन, मांगे ले टिकट तको मिलही। सरी पार्टी के आंखी तोर बर गड़ जही।’

तीनो झीं के आंखी ल ओसरीपारी देखत नंदु ह किहिस- ‘में ह जम्मो छत्तीसगढ़ी समाज ल एकमई बना के छत्तीसगढ़िया राज लाये के गुनाथाबंव अउ तें ह भालेसार समाज के गोठ गोठियाथस। प्रदीप किहिस-लागथे जात समाज के बारे म काहीं नइ जानव। भालेसार पंचन ह अइसे हे के कोनो मनखे होय ककरो नइ सुनय।’

‘काबर नइ सुनही।’ गोठ म ओढ़र पाते पार्टी नेता ह हर्रस ले किहिस- ‘भूलेस्वर देव के जयंती मना। तोर जात के जम्मो मनखे एक कूंज म जुरिया जाही।’ 

‘भूलेसर देव। कोन भूलेसर देव।’ कउवाय गत म नंदु ह तिखारीस त रामसरन मुचमुचावत बतईस-च्च्घर के देंवता जाने नइ, भिंभोरा पूजे जाय इही ल किथे। भूलेस्वर देव। वो भूलेस्वर देव जेन ह बनवास काल म राम ल रद्दा बताय रिहिसे। तें बता तुलसीराम।’

सुकुरदूम बइठे तुलसी ह चेतलग होवत किहिस ‘भ..भ.. भूलेस्वर देव की जय।’

तुलसीराम ह राम चरित मानस के दू चार ठीन दोहा चौपाई ल सुना के जउन भूलेस्वर देव ल उदगारीस तउन ल नंदु ह पतियालीस। नंदु ह गदगद गत म किहिस- ‘मोरो जात समाज के देंवता हे। में सिरतो म नइ जानत रेहेंव। कतकोन जात समाज म अपन अपन देवी देवता हे। भालेसार पंचन म भूलेसर देव हाबे किके आज जानेंव।’

पार्टी नेता ह भपकी मारत किहिस- ‘छत्तीसगढ़िया मनखे अइसने ताय। अपन पंचन के इतिहास नइ जाने अउ गोठ म अइसे आगास ल अमरही के सांगा म नइ समाय। नंदु ते जान ले राह। छत्तीसगढ़ के जेन जेन जात समाज मन ह अपन अपन देवी देवता ल मानाथाबे तेन तेन जात समाज म सुंता अउ एका हे। आज उजागर होगे हे।’

नंदु ह परबुधिया बन गे। वोकर मन अंतस के आंखी ह भूकड़ागे। जेन दिन ले भूलेसर देव ल जानीस तेने दिन ले यहू भूलागे के छत्तीसगढ़ के असमिता, संसकिरती अउ स्वाभिमान का होथे। भालेसार पंचन ल उजागर करे बर, सुंता म लाये बर अउ राजनीति के फेर म ठउर बनाये बर डंका मढ़ादिस।

छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया के गोठ करईया प्रदीप ले नंदु ह अभरतीस। प्रदीप ह विभूति मान के गोठ गोठियातीस त नंदु ह हूरसे बरन कीह देवय- ‘दाऊ मंदराजी ह तेली रिहिस, तेली समाज जाने। हीरालाल काव्योपाध्याय अउ दाऊ रामचन्द्र देशमुख ह कुर्मी रिहिस, कुर्मी समाज जाने। वीर नारायण सिंह आदिवासी रिहिस, आदिवासी जाने। सुन्दरलाल शर्मा ल बाम्हन जाने अउ घासीदास ल सतनामी मन जानय। बस।’

अपन पंचन थौना बर जीअईया कतकोन छत्तीसगढ़िया मन कस नंदु तको विभूति मन के गोठ नइ गोठियाय भलूक पंचन के भूलेसर देव बर जीकर लमाये रिथे। भूलेसर देव बर जबर जबर जुराव जलसा करत रिथे। चार बछर म समाज ह उजागर होगिस काबर के जेन मनखे मन विभूति के नांव नंदु के संगत नइ करत रिहिन तेन मन ह अपन जात के देंवता बर हजारो रूपया बरारी देवाथाबे। ठांव-ठांव के जलसा म साफर होवाथाबे। किवदंती अउ इतिहास के फरक दिखाथाबे।

नंदु ह एक दिन भालेसार समाज के भवन म भूलेसर देव के मंदिर बनवा दिस। मनगढ़त मूर्ति  बनवा के वोकर प्रान प्रतिष्ठा बर जबर जलसा करिस। सामाजिक मनखे मन के मनमाड़े भीड़। पार्टी नेता, तुलसी अउ रामसरन ह नेवताय रिहिन। महराज ह पूजा पाठ म बेधुन रिहिस। नंदू ह सब के सरेखा करत कतकोन ल सोरियावत रिहिस।

प्रदीप ह अईस। सोर पठोईस। विभिूति सम्मान समारोह म तोर अगोरा हे। तुरते जाय ले परही। नंदू ह मुहाचाही म किहिस-विभूति सम्मान समारोह समिति ले इसथिपा देवाथाबौं। नंदू ह मुड़क के गीस अउ पूजा म बइठगे।

नंदु ह छत्तीसगढ़ के राज्य स्तरीय सपूत बनत बनत, अपन जात समाज अउ अपन देवता के संसो म सनकलप होगे। धन हे वो पंचन जेखर देवी देंवता नइये। काबर के बिना देवी-देवता वाला समाज ह विभूति के मान ल जानथे। संत-महात्मा अऊ महापुरूस के महत्ता ल मानथे। छत्तीसगढ़ी असमिता, संसकिरती अउ स्वाभिमान के गोठ गोठियाथे। आज जरूवत हे त नंदु जइसे वो सरी मनखे, जेन ह अपनेच पंचन के बारे म गूनाथाबे तेन ल जगाये के। अपन समाज के देवी-देवता बर किसिम-किसिम के उदिम करईया ल सत के रद्दा देखाये के। छत्तीसगढ़ी विभूति मन के जुराव- जलसा मनाये के। छत्तीसगढ़ी म गोठिआये के। छत्तीसगढ़ के असली संसकिरती ल चिन्हाये के। डोंगरगढ़ ले रायगढ़ अउ कोंटा ले कोरिया तक एक सुंता बनाये के। जेन दिन जम्मो छत्तीसगढ़ी समाज ह एक सूंतरी म गूंथाही तेने दिन छत्तीसगढ़ म सोनहा बिहान आही। भूलेसर कस नाना-नान पादी चुकोईया देवी देवता मन नंदाही तबहे भारतीय इतिहास अउ धर्म के ज्ञान ले मानव समाज ह लथपथाही।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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