छत्तीसगढ़ी कहानी: बेंदरा बिनास

बेंदरा बिनास

छत्तीसगढ़ के राजधानी ले छत्तीस कोस झाफर म हे डिह कानाकोट। कानाकोट डिह म सरी पंचन के मनखे रिथे अउ सरी पंचन फिरका के मनखे ह गद सुन्ता म जिनगी पहावाथाबे, इही सेती न कोनो पय करे के जोंगय न काहीं अनीत के रद्दा म रेंगय। बेरा के हपटे नइते भोरहा के अभरे कोनो काहीं आन- अलकरहा उदीम कर परथे त तुरते जुराव उरकाथे अउ थूथील करईया ले रगड़े बरन डांड़ लेथे। डकराये बरन तुरतेच डांड़ के रूपिया-अन्नी ल हकरा लेथे। माने हाग रे बईला हाग। बनिहार भूतिहार ल का किबे मंडल अउ गौंटिया के तको पोटा कांपत रिथे। पौनी पसारी जउन बंद कर देथे. इही सेती कानाकोट म सुन्ता, नियाव अउ सांति ह मार घऊंरे रिथे। इही कानाकोट म हाबे केजऊ नांव के भूतिहार जेन ह अपन तीन एकड़ के डोली म धान ओनहारी उपजाथे। ठलहा ठांगुर म दाऊ मंडल मन घर बनी भूति तको अमर जथे। 

केजऊ के सुवारी सुकलिया अउ लईका म एक टूरी अउ दू झिंन टूरा। टूरी के नांव फुलेसरी अउ टूरा मन के नांव फगुवा-फिरंता।

केजऊ के तीन एकड़ डोली म तींवरा, मसूर, सरसो अउ गहूं बोवाय हे। मेड़ म राहेर ह मार घऊंरे गाहदे हे। चर-चर ले फूल तको सुघराये हे। इही मेड़ म नानूक कूंदरा हे। कुंदरा म केजऊ ह भात खावत हे अउ सुकलिया ह लकठा म बइठे मूहाचाही कराथाबे। लईका मन ह बोईर रूख के खाल्हे खड़े। कोहा मार के बोईर गीरावाथाबे। बीन बीन के खावाथाबे।

जइसे केजऊ ह जेईस तइसे सुकलिया ह थारी, लोटा अउ लईका मन ल धर के कानाकोट कोती रेंग दिस।

कानाकोट के एक ठीं बियारा म कउहा के रूख हे। रूख म एक ठी जतबहिरा बेंदरा चढ़े हे। बेंदरा के सेती वोमेर लईका मन सकलाये हे। कोनो कोहा काराथाबे त कोनो गारी देवाथाबे। फगुवा, फिरंता अउ फूलेसरी ह देखते कुलकुलागिन। तीनो झिन कउहा कोती गीन। जुरियाय लईका मन संग मींझरत बीजराईन-खीस बेंदरा खीस। हरदी मीरचा पीस।

कुड़काये के गत म जम्मो लईका एकमई होके केहे लगीन- कालु कालु बेंदरा दुकालु बाबु रोवाथाबे।

कुड़काये अउ कोहा के मार खाये म बेंदरा ह थर्रागे हे। कभू कभू दांत निपोर के डरवाय त कभू कभू ये डारा ले वो डारा फलंग के कलेचुप बईठ जवय। किबे त बेंदरा ह गिंधिया गे रिहिसे। बोचक के वो रूख ले भागे बर चारो कोती ल मूड़ी टांग टांग के देखई करिस। ठउका रामाधार सरपंच ह आन पारा ले आवत आवत देख परीस। जीकर करत खखवईस -सारे टूरा हो, बेंदरा ल मार डरहू का रे। चलव बे भागव।

रामाधार सरपंच के बौछाये कोन बिलमही। लईका मन धर्रापट्टी येती वोती टरकीन त कतको झिन घर कोती पल्ला गीन। थोरकेच म बेंदरा ह कउहा ले उतरिस अउ बाहरा खार कोती भागीस।

बाहरा खार म केजऊ के कुंदरा हे। कुंदरा म केजऊ ह निसंसो ढलगे हे। नाक ह गावाथाबे। कइसे आरो पावय के बेंवारस बेंदरा ह बोईर ढेंखरा के रूंधना ल नाहक दिस। खखाय कस बेंदरा ह राहेर के फूल ल बूरच-बूरच के खवई करिस। केजऊ के नींद ह उदूप ले उमचीस त कूंदरा ले बाहिर निकर के ससन भर अंटिअईस। अंटियावत अंटियावत झक ले बेंदरा ह दिखिस ते धक ले होगे। कुंदरा कना माढ़े बोंगा ल धर के पल्ला कुदईस।बेंदरा ह सीरसा रूख म चढ़ गिस। केजऊ ह कोहा उपर कोहा मारीस फेर बेंदरा ह नइ उतरीस। केजऊ के डेना डेना पीरागे। हक खाये कस कुंदरा कना अईस अउ बईसखा म बईठ गिस। बईठ के थीराय नइ पाय रिहिसे, बेंदरा ह सीरसा रूख ले उतर के राहेर म फेर दत गिस। केजऊ ह उंचीस अउ फेर बोंगा धर के कूदईस। बेंदरा ह फेर रूख म चढ़ के फूलगी कोती फलंग गे। केजउ के मईंता भोगागे। का कर डरंव तइसे मन बियापीस। दू तीन घौं बेंदरा ह का पदोईस केजऊ ह हकर गे। डकर गे। मुंधियार के होवत ले रूख खाल्हे बईठ के पहईस। रतिहा ह गहीर होईस त बियारी के बेरा म अपन घर जाये बर ऊंचीस अउ डिह कोती गीस।

जे-खा के सुकलिया संग बेंदरा के गोठ गोठिअईस अउ झपकून ऊंचे बर हे किके ढलगीस। हफरे हक खये केजऊ के सप ले नींद परगे। मुंदरहा के कुकरा बासीस त खटिया ले ऊंचीस। तुरते गोर्रा म जाके मीयार म टंगाये सरगा बांस ल अमर के हेरिस अउ धर के खार कोती गीस।

जनावर जीव मन ह आन के बीपत पीरा ल नइ जानय। अपन थौना म जीथे। बेंदरा तको जनावर ताय राहेर म ओड़ा दे रिहिसे। देखते साठ केजउ के रीस ह तरूवा म चढ़ गीस। अंड-बंड गारी बखानत कुदईस। पईधे कस बेंदरा ह सीरसा रूख म चढ़ गे। केजऊ के अगियाय जीव। बांस म बेंदरा के बाखा ल हुदरीस। बेंदरा ह डारा डारा पचरंग पचरंग फलंग के बांचे के उदिम करिस। डार के चूके बेंदरा किथे। भुईयां म भकरस ले गिरिस ते चीतियागे। केजऊ सुकुरदूंग होगे। सन खाये कस अकबकहा गत म येती-तेती ल देख के अइसे आकब करीस जइसे अम्मट ले नीकर के चुर्रूक म परगे।

कानाकोट के गुड़ी म जुराव। टिकरा ठउर म सियान लईका मन बईठे हे त पयहर कस एक कोंटा म केजऊ। रामाधार सरपंच कना महराज ह चटके रिहिस अउ लकठा म कोतवाल। ये अलहन महराज के डांड़ी लाहसे हे बईगा का करतीस बरपेली कस जुराव म आके मंडल मन कना बइठ गिस।

केजऊ ह ऊंचीस अउ सरी अलहन ल फरी फरी गोठिअईस तहां रामाधार सरपंच ह बक्का फोरिस - केजऊ तें ह अलकर पय कर डरेस रे। बेंदरा भगवान होथे अउ तें ह भगवान ल मार डरेस। पाप के भागी बनगेस रे केजऊ पाप के भागी। जय हनुमान। तुमन बेंदरा ल जनावर काहत होहू फेर में ह जय हनुमान। मोर मन ल घातेच बियापाथाबे।

लकठा म बईठे महराज ह लफ ले मारीस- कइसे नइ बियापही सरपंच, हनुमान ह तोर कुल देंवता जउन आय। परलोखिया ह तोर देंवतच ल मार डरीस। घोर नरक म परही।

जुराव म आय एक झीं लीटलीटहा टूरा ह ठेसरा गत म किहिस-हनुमान ह काहीं कुल देवता होथे तेमा बियापही। कुल देंवता त अम्मर जीव के परताप होथे। न हनुमान होय न राम, न दुरगा काली न सिरडी स्याम।

अतका सुनते सरपंच के जीव अगियागे। तन तनहा गत म आंखी लड़ेरीस त टूरा ह कलथी मारत किहिस-किबे त सबोच मनखे ल बियापाथाबे। सरपंच के कुल देंवता नइ होतिस त का नइ बियापतीस। केजऊ ह पापी हे। सिरतो म नरक म जाही। जाय ले परही। नइ जाही त धर बांध के पठोबो।

महराज ह बनौकी बनाय के गत म किहिस-कुल देंवता सरी मनखे के होथे। जेखर नइ होय वो ह बेंवारस ये बेंवारस। नीक बात ये हाबे के हमर कानाकोट म कोनो बेंवारस नइये।

केजऊ ह थू बद्दी करत किहिस -में भूतिहार मनखे अंव सरपंच। थोक अक खार हे तेमा ओनहारी ल बोय हंव। बेंदरा ह सरी राहेर के धुर्रा छड़ावत रिहिस। वोला मारे के मंसा नइ रिहिस। खेदारे बर जोंगे रेहेंव। बेंदरा ह ये डारा ले वो डारा फलगत रिहिस के छलंड के गिर गे। गीरते साठ मर तको गे।

महराज ह गुर्रइस-पय होगे माने होगे रे बाबू। भूगते बर परही, जाने।

सरपंच ह नर नियाव म का डांड़ देवव के केजऊ ह रगड़ा जय अइसे गुनीस। सरपंच ल कलेचुप देख के महराज ह रमायेन मंडली वाला मन ल पूछिस। रमायेन मंडली के टिकाकार ह किहिस- जबहे ले बेंदरा मरे के आरो पाये हन तबहे ले थोरको नीक नइ लागाथाबे महराज। लागथे के हमू मन पाप के भागी होगे हाबन। लागथे उबरे बर अखंड रमायेन करे बर परही।

महाराज- ठउका ल केहेस। पय केजऊ ह करे हे अउ येकर परताप इंहा के सरी मनखे ल भोगे बर परही। ये गांव ह सरपीत झन हो जय। काहीं महामारी झन सरच जय। लागथे मुहीच ल काहीं उदिम करे बर परही।

सरपंच ह बक्का फोरिस- ठउका ल केहेस महराज। तिहीं काहीं अइसे नर बता जेखर ले कानाकोट के माटी ह पावन हो जवय अउ पाप ह धोवा जवय ये अबूजहा के।

महराज- सरपंच ह मोला अढ़ो दिस तेने सेती काहत हंव। केजऊ , तें ह पाप के गईरी ले उबरस चाही बोजावस में नइ जानव। जानथंव त ये कानाकोट के भलाई। ये कानाकोट के चार हजार मनखे ल उबारे बर एक ठी हनुमान मंदिर बनवाय ले परही। मंदिर बनही तबहे सनन परही।

महराज के नर म सरी मनखे अइसे हुंकारू दिन जइसे एक कोलिहा हुआं हुआं सरी कोलिहा हुआं। केजऊ ह नर ल सुनके सन्न होगे। केजऊ ह घातेच माफी मांगीस फेर कोनोच ल सोह नइ लागीस। सरपंच ह अढ़ोइस- मंदिर बनाये अउ मूर्ति के बइठारे म कतका लागही तेन ल महराजेच ह बताही। मंदिर उही मेर बनही जेमेर बेंदरा ह पटाही। केजऊ रूपिया पईसा के सरेखा हब ले कर देबे।

जुराव उसल गिस। नइ उसलत रिहिस ते केजऊ के पांव। अइसे आकब होवत रिहिस जईसे कानाकोट के सरी मनखे बैरी परलोखिया ये। जम्मो झिन काहीं बात के बलदा लेवाथाबे। भुईयां म भगवान नइये। जउन हे तउन म मनाखेपन नइये। परमारथ नइये। जम्मो मनखे बेंदरा ल लेग के तरीया पार म पाट दिस।

महराज ह घर अमरते साठ अपन सुवारी ल किहिस- बेंदरा मारे हे किके सुनेंव तबहे ले मोर बुध ह उधेनत रिहिसे। मंदिर बनवाये बर मन ह खाखा गढ़त रिहिसे। सरपंच पंच मन ल अपन ट्रिक म फांद ले रेहेंव वो। तोर भाई ल आरो कर देबे। सारा बर जुगाड़ हो जही। इहां के मनखे मन घातेच अध्यातमिक हे। मंदिर म घातेच कमई होही।

महराजीन गदगद होगे। महराज के गाल ल चिमटत किहिस- घातेच चतुरा हस नइ का। महराज ह कठल के हांस दिस।

वोती केजऊ के हांसी खुसी ल गाज जउन मार दे हाबे। केजऊ, सुकलिया अउ तीनो लईका ह सूतक खाये कस खटिया म ढलगे  काड़ मियार ल देखत गोठियावाथाबे। केजऊ ह किहिस- बेंदरा ह मोर बिनास करत रिहिस तेन कोनो ल नइ दिखिसे। जक उमड़गे वोकर मरते। कुल देंवता तको बनगे। छानही म होरा भूंजाथाबे सारे मन ह, घातेच अईबी हे।

सुकलिया- बौछाये ले अब नर कलथे न बनौकी बनय। करम के नांगर ल भूत जोंताथाबे। भोगे के रिहिसे, अलहन होगे। अब का रोबे अउ काकर निरौना करबे।

का करत का होगे अलकर म घाव होगे इही ल किथे। केजऊ के कपार म बिपता के गुड़री माढ़े हे त दुख के हउला ह कइसे नइ माढ़तीस। डीह वाला के सुनाये नर नीत के आगु म मड़िया दिस।

बिहान होईस। महराज ह खखाय कस सरपंच कना गीस अउ मंदिर ऊंचाये के मुहरत बता दिस। लघियाते बनाबो अउ तुरते पईसा हकराबो किके महराज अउ सरपंच ह केजऊ कना गीस।

केजऊ ह बेवहर बाढ़ी ऊंचईस। खंगता होईस त सुकलिया के जम्मो गाहना ल बरो के पईसा दिस। सरपंच अउ महराज ह निरदई कस पईसा ल झोंकिस। फोकट कस खरचा करत दुवेच महिना म मंदिर ल बनवा दिस।

मंदिर म बजरंग बली के मढ़ाव दिन रिहिस। कानाकोट के सरी मनखे ह मंदिर कना जुरिअईन। महराज के सारा सरजू तको सबर दिन बर आगीस। नइ अईस त केजऊ सुकलिया अउ वोकर तीनो लईका मन ह। मंदिर म बजरंग बली मढ़ाव ह घातेच सोर सुर म उरकीस। भंडारा तको होईस। तिहार कस मनईन।

कानाकोट म सरी मनखे बर खेत खार ह जिनगी के थेगहा ये। चउमास म धान त जड़कलहा ओनहारी। कोनो कोनो मन बोर पंप वाला हे। तीन फसली नगरिहा कहाथे काबर के साग भाजी के खेती ह जड़कलहा के नाहकते जउन हो जथे।

सरजू ह बजरंग बली मंदिर कना नानुक आट बना के वोमा सनी देंवता ल मढ़ा दिस। सनी देंवता के माढ़े ले सनीच्चर अउ बजरंग बली के सेती मगंलवार के दिन मनखे मन के अवई जवई सुरू होगे। संझा के बेरा चार झिन सकलायेच रिथे। बछर पहावाथाबे फेर केजऊ ह न बजरंग बली के दरसन करे बर गीस न सनी देंवता के पांव परे बर। खेत म गड़े रिथे काबर के बेवहर बाढ़ी ल छूटे बर हे। एक झीं के तिहार त एक झिन के मरे बिहान चलाथाबे।

पहाय पउर कस यहू बछर कानाकोट के जम्मो नगरिहा मन ह चना, मसूर, गहूं, अउ राहेर असन ओनहारी ओनारे हाबे। जड़कलहा के सम्मत। ओनहारी मन ह घातेच गाहदे हे अउ फूल डोंहड़ी तको माते हे। सबोच ल अपन भर्री डोली के संसो हे। राखत रिथे, फेर अलहन ह आरो देके नइ आवय। 

एक दिन के बात ये। मुदंरहा के बेरा कुक्की- सलहई के नरिअई संग कुकरा बासत रिहिस। थोक थोक म हूप हूप तको सुनावत रिहिस। कानाकोट के मनखे आकब करीन के खार म बेंदरा  आय हे। बिहनिया के होते सबो मनखे जान डरीन के कोरी अक बेंदरा आय हे। अतका बेंदरा हे, जेखर खेत म बईठही तेखर गउदन मात जही। सरपंच ह सुंता-सुला करीस अउ दर्रहा के दर्रहा बेंदरा कुदाये बर गीन। कोनो टिपा बजावत त कोनो सूपा। फटाका तको फोरत गीन। नइ गीन त केजऊ, सुकलिया अउ वोकर तीनो झिन लईका मन।

लझरंग लझरंग कूदत जम्मो बेंदरा मन भागीन। बेंदरा मन ह नरवा ले नाहकीस तबहे कुदईया जम्मो मनखे लहुटिन। रात होईस त बिहाने फेर बेंदरा के गोहड़ी ह कानाकोट म पेल दे रिहिन। जेखर खेत म बईठे रिहिस तेखर करलई नइ रिहिस। मनखे मन दर्रहा के दर्रहा जाके फेर कुदईन। कुदावत ले हकरीन तहां मंदिर म हूम दिन। नरियर बदिन।

बेंदरा के गोहड़ी टरबे नइ करीस। कानाकोट म नींगे लगीन। ये छानही ले वो छानही कूदई। छत छानही म बरी बोईर नइ झूको पावत रिहिन। बारी मन के रार मचावत रिहिन। कतेक ल खेदारय। कतेक ल रखवारी बर खेत म जीव दे राहय। सबोच नगरिहा थर खा गे रिहिन। उपराहा म छानही मन के खपरा फूटत रिहिस अउ बखरी के साग भाजी तको खुआर होवत गिस। केजऊ ह एक दिन सुकलीया ल ठट्ठा करीस- बेंदरा के मठ म मंदिर ऊंचा के आगर भक्ति करीस। हनुमान ह आगरेच परसन्न होके हमर गांव म डेरा डार दे हे। असत्य अउ पाप ल नीक बतईया मन अइसनेच भोगथे।

चतुरा महराज ह फेर अपन कांदा उसनीस। सरपंच ल अपन गेयर म ले के जुराव बईठारिस। जुराव म किहिस- मंदिर म पाठ करव जी। चालीसा के पाठ ले सरी बिपता टर जही। मोर जानती के प्रवर्चन कर्ता हे। सेर चाऊंर अउ चढ़ौतरी भर म फत्त पर जही।

लीटलीटहा टूरा ह बोली बान मारीस- ये सुघ्घर उदिम म बेंदरा मन नइ भागही त मंदिर ल ओदार के डबरी म ठंडा कर देबो। न बाबू के बाजा न नोनी के नाचा।

टूरा के गोठ म महराज ह उखना गे। दांत कटरत किहिस-बेंदरा मन नइ भागही त तोला इही मेर पूज देबो। इही पापी मन के सेती डिह टोला म बिपता ठाड़े हे। न सांति हे न सुभित्ता। दुकाल, बाढ़, बीमारी, खूरहा- चपका सब येकरे मन सेती आथे।

सरपंच के संग कतकोन मनखे भड़किन। अपन अपन ले गारी बखानीन तहाँ वो टूरा ह घर कोती टरक दिस। वोकर जाते साठ पाठ परवचन बर सब झिन सुंता होईन। सरजू ल किहिस के वो परवचन कर्ता कना जावय अउ दिन बादर जोंग के आवय। मुहुर्त ह झन चुकय। सरजू ह हव किहिस तहां जुराव उसल गे।

रामाधार सरपंच ह आठ एकड़ म चना ओनारे हे. केंवची केंवची फर ह मार लटलटाये हे। कोनजाने कब यहू खेत म बेंदरा बिनास देखे ले पर जय, बने हे के काहीं रद्दा चतवारे जाय। चतुरा सरपंच के सोरियाये म जम्मो पंच अउ डिहयार मन जुरिअईन। सुंता होईन के कलेक्टर कना जाबो। विधायक कना जाबो। वन मंत्री कना निरौना लगाबो।

जम्मो मनखे मन मंदिर कना जुरिअईन। हनुमान अउ सनी देव ल सुमर के पांव परीन तहां दरदर दरदर साहर कोती गीन। कलेक्टर के दरबार।

बेंदरा बिनास के सरी निरौना ल कलेक्टर ह सुनीस तहां किहिस- काहीं जीव जनावर होवय वोकर सेवा करव। इही मरम हे। जीव जनावर मन उपर अतियाचार झन होय। अखबार नइ पढ़व का ? नगर निगम म चार ठी कुकुर मन ह एक झीं लईका ल हबक के खा दिस। का कुकुर ल मार सकेन? नगर निगम के जम्मो कुकुर ल धर बांध के साहर ले दूरिहा डीह टोला मन म छोड़त हन। समझ ले के बेंदरा ल नइ मार सकन। खेदारत राहव।  

छत्तीसगढ़ के चार पांच सौ गांव मन म मनखे ह बेंदरा के अतियाचार ल भूगताथाबे। हनुमान होय के गुमझा म कोनोच डीह के मनखे मन न माराथाबे न निरौना लगावाथाबे। कोन बताये उजबक मनखे मन ल के, अफरिका के जंगलिहा मन ह बेंदरा ल मार के खाथे। जंगल के कबरा अउ बूंदिया बर मनभावन चारा बेंदरच ह आय। पहिली घंव कानकोट के मनखे मन निरौना लगईन त वहू ल भूलवार दिस। 

केजऊ ल जेन डांड़ परीस तेखरे परताप आय, जेन ल कानाकोट के सरी मनखे ह भोगाथाबे। चउमास म जब छानही लहुटाय ले परही। बखरी के आरूग साग भाजी बर लुलवाय ले परही। फेर सरपंच के भाग म त अभिच्चे भोगे के रिहिसे।

जोंगे पइत मंदिर कना महराज ह परवचन के कूंज ल गड़िया डरे रिहिस। रमायेन मंडली वाला मन सकला गे रिहिन। पोगा बाजते कानाकोट के मनखे मन परवचन सुने बर उम्हियागे। मंझनिया के बेरा का मन होईस ते सरपंच ह चना खार कोती गीस। एक ठी डोली के चना म पंगत परे कस बेंदरा मन बईठे रिहिन। देखते साठ सरपंच ह कउवागे। मईंता भोगागे। कोहा ऊंचा के बेंदरा मन ल मारीस।  दस बीस झिन के दर्रहा ल बेंदरा मन ह घेपत रिहिन। भागत रिहिन। अबही त सरपंच ह आंकड़च आय हे। गोल्लर बरन के बेंदरा ह सरपंच ल पल्ला कूदईस। जीव के डर महाकठिन। सरपंच ह जी परान दे के भगीस। बेंदरा ह त उहीच मेर रबक के लहुटिस फेर, सरपंच ह हिरक के देखबे नइ करीस। पैडगरी म अईस त बिलमीस। बेंदरा नइ दिखिस त हाय जीव लागीस। अपन खार कोती ले केजऊ ह आवत रिहिस। केजऊ ल देख के सरपंच ह वोकरे कना गीस। केजऊ ह बिड़ि पीयत मुचमुचावत रिहिस। लकठा म अईस। खीसा ले बिड़ी के कट्टा हेरिस। एक ठी बीड़ी हेर के दिस। केजऊ के गूंगवावत बिड़ी म सरपंच ह अपन बीड़ी ल सिपचईस। दुनो झीं फुकूर फुकूर कुहरा उड़ियावत वो कानाकोट कोती रेंग दिस जेती ले भजन गान के आरो आवत हे।

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चंद्रशेखर चकोर 
परिया टोरउनी रेगहा :  छत्तीसगढ़ी कहिनी संग्रह
लेखक- चंद्रशेखर चकोर
ग्राम कान्दुल, पोस्ट सुन्दर नगर, 
जिला रायपुर 492013 (छ.ग.)
मो.- 9826992518
प्रथम संस्करण-2019
सर्वाधिकार लेखकाधिन
मूल्य-300/-

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